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महराजगंज में चल रहा है 'मोदी मैजिक'

लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. कांग्रेस, बीजेपी सहित तमाम सियासी दल चुनावी दंगल में ताल ठोक रहे हैं. इस बार लोकसभा की 543 सीटों के लिए सात चरणों में चुनाव हो रहे हैं. पहले चरण के तहत 11 अप्रैल को वोटिंग हुई, जबकि आखिरी चरण की वोटिंग 19 मई को होगी और नतीजे 23 मई को आएंगे. जानिए क्या है महराजगंज के शिकारपुर गांव का विश्लेषण.

दीपक शर्मा, ग्रामीण, शिकारपुर​​​​​​​
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Published : May 11, 2019, 10:36 PM IST

Updated : May 11, 2019, 11:40 PM IST

महराजगंज : 17वीं लोकसभा का चुनाव अपने आखिरी चरण में है. सातवें दौर की चुनाव की तारीख 19 मई है, इसी तारीख को महराजगंज लोक सभा सीट पर भी चुनावी गहमागहमी रहेगी. ऐसे में जब उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम के बस्ते में बंद होने से पहले ईटीवी भारत ने जनता की नब्ज टटोलने की कोशिश की तो एक बात निकल कर सामने आई. इस चुनाव में 'मोदी फैक्टर' सबके भारी है. किसान हो या जवान, सबका यही कहना है कि हर सीट पर 'मोदी मैजिक' बरकरार है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बात अगर यूपी की की जाए तो हर सीट पर लड़ाई तगड़ी है, ऐसे में महराजगंज सीट पर विश्लेषण तो बनता ही है.

बड़ा नाम-बड़ा काम जैसे पीएम मोदी की परिभाषा बन चुका है गांव के रामू काका हों या शहर के मिस्टर राघव हर किसी के जुबान पर एक ही नारा एक ही नाम है. साल 2019 का चुनाव कई मायनों में खास भी, क्योंकि इस चुनाव में उन्नीस-बीस की लड़ाई नहीं रही. बात अगर देश स्तर पर की जाये तो इस चुनाव में कांग्रेस के सामने अपने-आपको खड़ा करने की चुनौती है, क्योंकि साल 2014 के चुनाव में मात्र 44 सीटों पर सिमटने के बाद कांग्रेस पार्टी को लोकसभा में अपना विपक्ष का नेता बनाने के लिए भी किसी दूसरे के कंधों का सहारा लेना पड़ा था.

महराजगंज के शिकारपुर गांव में ग्रामीणों से बात करते हुए

दिल्ली की गद्दी की ताजपोशी का मुख्य मार्ग यूपी से होकर जाता है. ऐसे में यूपी की बात अगर इन चुनावों में न की जाए तो इस राज्य के साथ बेईमानी होगी. हिंदी पट्टी की राजधानी कहलाने वाला उत्तर प्रदेश 543 लोकसभा सीटों में 80 सीट का भारी-भरकम कोटा अपने पास रखता है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश ने भारतीय जनता पार्टी को 71 सीटें मिली थी, तो वहीं पिछले 15 सालों से यूपी के सप्ताह की सिरमौर बनी क्षेत्रीय पार्टियों में से बसपा के खाते में एक भी सीट नसीब नहीं हुई, जबकि सपा की ओर से लोकसभा में सिर्फ मुलायम यादव परिवार की ही नुमाइंदगी शेष बच गई थी. कांग्रेस का हाल तो और भी बुरा था. वह भाजपा की सहयोगी रही अपना दल के बराबर यानी कि 2 सीटें पाकर संतोष करने के लिए मजबूर पर हो गई थी.

ईटीवी संवाददाता ने शिकारपुर में जब सब्जी वाले बनारसी मौर्या से बात की तो उन्होंने एक शायरी से अबकी बार मोदी सरकार का नारा बुलंद किया.

कौन कहता है कि मोदी जुदा होंगे, ये अफवाह और किसी ने फैलाए होंगे...

शान से जिऐंगे मोदी सबके दिल में, इतने दिनों से कुछ तो जगह बनाए होंगे...

फिलहाल हम मोदी जी से खुश नहीं हैं. सांसद जी ने कोई काम नहीं किया है. फिर भी हम वोट मोदी को ही देंगे, क्योंकि मोदी जी को प्रधानमंत्री बनवाना है.

- रामधनी चौधरी, ग्रामीण,शिकारपुर

मोदी सरकार ने कोई काम तो नहीं किया है लेकिन फिर भी हम वोट कमल के फूल को ही देंगे, क्योंकि हम तो मोदी वाले हैं.

- चंद्रावती ग्रामीण, शिकारपुर

शिकारपुर गांव के ही एक युवक दीपक जोकि बाल काटने का काम करते हैं जब उनसे सरकार बनाने का सवाल किया गया तो उन्होंने भी भाजपा की सरकार बनाने की बात कही. उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार ने ही विकास किया है.

महराजगंज : 17वीं लोकसभा का चुनाव अपने आखिरी चरण में है. सातवें दौर की चुनाव की तारीख 19 मई है, इसी तारीख को महराजगंज लोक सभा सीट पर भी चुनावी गहमागहमी रहेगी. ऐसे में जब उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम के बस्ते में बंद होने से पहले ईटीवी भारत ने जनता की नब्ज टटोलने की कोशिश की तो एक बात निकल कर सामने आई. इस चुनाव में 'मोदी फैक्टर' सबके भारी है. किसान हो या जवान, सबका यही कहना है कि हर सीट पर 'मोदी मैजिक' बरकरार है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बात अगर यूपी की की जाए तो हर सीट पर लड़ाई तगड़ी है, ऐसे में महराजगंज सीट पर विश्लेषण तो बनता ही है.

बड़ा नाम-बड़ा काम जैसे पीएम मोदी की परिभाषा बन चुका है गांव के रामू काका हों या शहर के मिस्टर राघव हर किसी के जुबान पर एक ही नारा एक ही नाम है. साल 2019 का चुनाव कई मायनों में खास भी, क्योंकि इस चुनाव में उन्नीस-बीस की लड़ाई नहीं रही. बात अगर देश स्तर पर की जाये तो इस चुनाव में कांग्रेस के सामने अपने-आपको खड़ा करने की चुनौती है, क्योंकि साल 2014 के चुनाव में मात्र 44 सीटों पर सिमटने के बाद कांग्रेस पार्टी को लोकसभा में अपना विपक्ष का नेता बनाने के लिए भी किसी दूसरे के कंधों का सहारा लेना पड़ा था.

महराजगंज के शिकारपुर गांव में ग्रामीणों से बात करते हुए

दिल्ली की गद्दी की ताजपोशी का मुख्य मार्ग यूपी से होकर जाता है. ऐसे में यूपी की बात अगर इन चुनावों में न की जाए तो इस राज्य के साथ बेईमानी होगी. हिंदी पट्टी की राजधानी कहलाने वाला उत्तर प्रदेश 543 लोकसभा सीटों में 80 सीट का भारी-भरकम कोटा अपने पास रखता है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश ने भारतीय जनता पार्टी को 71 सीटें मिली थी, तो वहीं पिछले 15 सालों से यूपी के सप्ताह की सिरमौर बनी क्षेत्रीय पार्टियों में से बसपा के खाते में एक भी सीट नसीब नहीं हुई, जबकि सपा की ओर से लोकसभा में सिर्फ मुलायम यादव परिवार की ही नुमाइंदगी शेष बच गई थी. कांग्रेस का हाल तो और भी बुरा था. वह भाजपा की सहयोगी रही अपना दल के बराबर यानी कि 2 सीटें पाकर संतोष करने के लिए मजबूर पर हो गई थी.

ईटीवी संवाददाता ने शिकारपुर में जब सब्जी वाले बनारसी मौर्या से बात की तो उन्होंने एक शायरी से अबकी बार मोदी सरकार का नारा बुलंद किया.

कौन कहता है कि मोदी जुदा होंगे, ये अफवाह और किसी ने फैलाए होंगे...

शान से जिऐंगे मोदी सबके दिल में, इतने दिनों से कुछ तो जगह बनाए होंगे...

फिलहाल हम मोदी जी से खुश नहीं हैं. सांसद जी ने कोई काम नहीं किया है. फिर भी हम वोट मोदी को ही देंगे, क्योंकि मोदी जी को प्रधानमंत्री बनवाना है.

- रामधनी चौधरी, ग्रामीण,शिकारपुर

मोदी सरकार ने कोई काम तो नहीं किया है लेकिन फिर भी हम वोट कमल के फूल को ही देंगे, क्योंकि हम तो मोदी वाले हैं.

- चंद्रावती ग्रामीण, शिकारपुर

शिकारपुर गांव के ही एक युवक दीपक जोकि बाल काटने का काम करते हैं जब उनसे सरकार बनाने का सवाल किया गया तो उन्होंने भी भाजपा की सरकार बनाने की बात कही. उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार ने ही विकास किया है.

Intro:महराजगंज: 17वीं लोकसभा का चुनाव अपने आखिरी चरण यानी कि सातवें दौर में है. सातवें दौर की चुनाव की तारीख 19 मई है, इसी तारीख को महराजगंज लोक सभा सीट पर भी चुनावी गहमागहमी रहेगी. ऐसे में जब उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम के बस्ते में बंद होने से पहले ईटीवी भारत जनता की नब्ज टटोलकर थाह लेने निकली तो चौकाने वाली बात सामने आयी की इस चुनाव मोदी में मोदी नाम का फैक्टर सबके ऊपर भारी है. किसान हो या जवान सबका यहीं कहना है कि हर सीट पर मोदी का मैजिक बरकरार है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बात अगर यूपी की की जाए तो हर सीट पर लड़ाई तगड़ी है ऐसे में महाराजगंज सीट पर विश्लेषण तो बनता है.


Body:बड़ा नाम-बड़ा काम जैसे पीएम मोदी की परिभाषा बन चुका है गांव के रामू काका हों या शहर के मिस्टर राघव हर किसी के जुबान पर एक हीं नारा एक हीं नाम है. साल 2019 का चुनाव
कई मायनों में खास भी क्योंकि इस चुनाव में उन्नीस-बीस की लड़ाई नहीं रही. बात अगर देश स्तर पर की जाये तो इस चुनाव में कांग्रेस के सामने अपने-आपको खड़ा करने की चुनौती है क्योंकि साल 2014 के चुनाव में मात्र 44 सीटों पर सिमटने के बाद कांग्रेस पार्टी को लोकसभा में अपना विपक्ष का नेता बनाने के लिए भी किसी दूसरे के कंधो का सहारा लेना पड़ा था.


Conclusion:दिल्ली की गद्दी के ताजपोशी का मुख्य मार्ग यूपी से होकर जाता है ऐसे में यूपी की बात अगर इन चुनावों में ना की जाए तो इस राज्य के साथ बेईमानी होगी. हिंदी पट्टी की राजधानी कहलाने वाला उत्तर प्रदेश 543 लोकसभा सीटों में 80 सीट का भारी-भरकम कोटा अपने पास रखता है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश ने भारतीय जनता पार्टी को 71 सीटों का सुपर मेंडेट दिया था तो वहीं पिछले 15 सालों से यूपी के सप्ताह की सिरमौर बनी क्षेत्रीय पार्टियों में से बसपा के खाते में एक भी सीट नसीब नहीं हुई जबकि सपा की ओर से लोकसभा में सिर्फ मुलायम यादव परिवार की ही नुमाइंदगी शेष बच गई थी. कांग्रेस का हाल तो और भी बुरा था वह भाजपा की सहयोगी रही अपना दल के के बराबर यानी कि 2 सीटें पाकर संतोष करने के लिए मजबूर पर हो गयी थी.
Last Updated : May 11, 2019, 11:40 PM IST
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