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पुरानी पेंशन बहाली के मामले में अपना रूख स्पष्ट करे सरकार :हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली के मामले के निर्देश में कहा गया है कि यदि सरकार स्थिति स्पष्ट नहीं करती है तो 17 अप्रैल को मुख्य सचिव को कोर्ट में हाजिर होना पड़ेगा. यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने प्रेरित जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है.

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Published : Mar 27, 2019, 11:20 PM IST

प्रयागराज:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली के मामले में सरकार को अंतिम अवसर देते हुए दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. निर्देश में कहा गया है कि यदि सरकार स्थिति स्पष्ट नहीं करती है तो 17 अप्रैल को मुख्य सचिव कोर्ट में हाजिर होना पड़ेगा.

यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमारकी खंडपीठ ने प्रेरित जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है. राजकीय मुद्रणालय के कर्मचारियों की हड़ताल से काजलिस्ट न छप पाने के चलते न्यायिक कार्य में व्यवधान को देखते हुए कोर्ट की सख्ती पर हड़ताल खत्म हो गई. कर्मचारी नेताओं ने अपनी दो दिन की तनख्वाह पुलवामा पीड़ितों को दिया, तो दूसरी तरफ कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि कर्मचारियों की मांग पर विचार क्यों नहीं हो सकता. बिना कर्मचारियों की सहमति के उनका पैसा सरकार शेयर मार्केट में कैसे लगा सकती है? क्या सरकार न्यूनतम पेंशन देने को तैयार है?

साथ ही पूछा था कि यदि नई पेंशन स्कीम अच्छी है तो नेताओं, नौकरशाहों पर क्यों नहीं लागू करते? क्या कर्मचारियों को संतुष्ट करना राज्य की जिम्मेदारी नहीं है? कोर्ट ने सरकार से सभी मुद्दों पर रुख स्पष्ट करने को कहा था और जवाब मांगा था. सरकार की तरफ से 6 हफ्ते का समय मांगा गया, लेकिन कोर्ट ने 17 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने का समय दिया है.

प्रयागराज:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली के मामले में सरकार को अंतिम अवसर देते हुए दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. निर्देश में कहा गया है कि यदि सरकार स्थिति स्पष्ट नहीं करती है तो 17 अप्रैल को मुख्य सचिव कोर्ट में हाजिर होना पड़ेगा.

यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमारकी खंडपीठ ने प्रेरित जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है. राजकीय मुद्रणालय के कर्मचारियों की हड़ताल से काजलिस्ट न छप पाने के चलते न्यायिक कार्य में व्यवधान को देखते हुए कोर्ट की सख्ती पर हड़ताल खत्म हो गई. कर्मचारी नेताओं ने अपनी दो दिन की तनख्वाह पुलवामा पीड़ितों को दिया, तो दूसरी तरफ कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि कर्मचारियों की मांग पर विचार क्यों नहीं हो सकता. बिना कर्मचारियों की सहमति के उनका पैसा सरकार शेयर मार्केट में कैसे लगा सकती है? क्या सरकार न्यूनतम पेंशन देने को तैयार है?

साथ ही पूछा था कि यदि नई पेंशन स्कीम अच्छी है तो नेताओं, नौकरशाहों पर क्यों नहीं लागू करते? क्या कर्मचारियों को संतुष्ट करना राज्य की जिम्मेदारी नहीं है? कोर्ट ने सरकार से सभी मुद्दों पर रुख स्पष्ट करने को कहा था और जवाब मांगा था. सरकार की तरफ से 6 हफ्ते का समय मांगा गया, लेकिन कोर्ट ने 17 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने का समय दिया है.

प्रयागराज 27 मई
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने  राज्य कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली के मामले में सरकार को अंतिम अवसर देते हुए दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।और कहा है कि यदि सरकार स्थिति स्पष्ट नही करती तो 17 अप्रैल को मुख्य सचिव कोर्ट में हाजिर हो।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार   की खंडपीठ ने स्वतः प्रेरित जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।राजकीय मुद्रणालय के 
कर्मचारियों की हड़ताल से काजलिस्ट न छप पाने के चलते न्यायिक कार्य में व्यवधान को देखते हुए कोर्ट की सख्ती पर हड़ताल खत्म हो गयी।कर्मचारी नेताओ ने अपनी दो दिन की तनख्वाह पुलवामा पीड़ितों को दिया ।तो दूसरी तरफ कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा की कर्मचारियों की मांग पर विचार क्यों नही हो सकता।और बिना कर्मचारियों की सहमति के उनका पैसा सरकार शेयर मार्केट में कैसे लगा सकती है।क्या सरकार न्यूनतम पेंशन देने को तैयार है।साथ ही पूछा था कि यदि नई पेंशन स्कीम अच्छी है तो नेताओ नौकरशाहों पर क्यों नही लागू करते।और क्या कर्मचारियों को संतुष्ट करना राज्य की जिम्मेदारी नही है।कोर्ट ने सरकार से सभी मुद्दों पर रुख स्पष्ट करने को कहा था और जवाब मांगा था।सरकार की तरफ से 6 हफ्ते का समय मांगा गया किन्तु कोर्ट ने 17 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने का समय दिया है।
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