कैराना/शामली : देश की सत्ता और राष्ट्रीय राजनीति पर उत्तर प्रदेश के मुद्दों का असर जगजाहिर है. इसी के चलते सारे बड़े राजनीतिक दल और सीनियर नेता यहां जोर-आजमाइश में कोई कसर नहीं छोड़ते. हालांकि पिछले कुछ वक्त में यूपी, खासकर पश्चिमी यूपी में राजनीतिक तस्वीर इतनी तेजी से बदली है कि यहां किसका सिक्का जमेगा यह कहना आसान नहीं है.
गौर करने वाली बात यह है कि बेहद संवेदनशील माने जाने वाले पश्चिमी यूपी के तीन जिले मुजफ्फरनगर, कैराना और सहारनपुर जातिवाद या सांप्रिदायिकता के चलते भले ही खबरों में छाने लगे हों, जमीनी मुद्दे अभी मूलभूत विकास से जुड़े हैं और वोटरों ने इसको लेकर आवाज बुलंद की है.
कैराना लोकसभा सीट पर भाजपा के प्रदीप चौधरी, सपा की तबस्सुम हसन के बीच कड़ा मुकाबला है. कांग्रेस के हरेंद्र मलिक चुनाव को त्रिकोणात्मक बनाने में लगे हैं.
भाजपा प्रत्याशी प्रदीप चौधरी की ताकत मोदी फैक्टर है. वह कहते हैं जनता मोदी के नाम और काम दोनों पर वोट करेगी. पीएम व सीएम की रैलियों के बाद भाजपा नेता, पूर्व सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह का टिकट कटने से गुर्जरों की नाराजगी दूर होने का दावा कर रहे हैं. भाजपा की चुनौती जाट वोट है. कांग्रेस प्रत्याशी हरेंद्र मलिक जाट हैं. दूसरे सपा-बसपा-रालोद गठबंधन के कारण रालोद समर्थक जाट मतदाताओं के गठबंधन के पक्ष में चले जाने की संभावना है.