लखनऊ:मतदाताओं को अब अपने प्रत्याशियों के आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में पता लगाने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा क्योंकि चुनाव आयोग ने प्रत्याशियों के लिए विज्ञापन देकर अपने आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में जानकारी देने को अनिवार्य बना दिया है.
आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने जहां एक ओर तिथियों की घोषणा की है तो वहीं दूसरी ओर आचार संहिता लागू हो गई है. ऐसे में चुनाव आयोग ने चुनाव को लेकर कई नियमों में बदलाव किया है.आचार संहिता लागू हो जाने के बाद इसका असर लखनऊ में भी देखने को मिल रहा है. लखनऊ डीएम कौशल राज शर्मा के नेतृत्व में राजनीतिक पार्टियों व नेताओं के बैनर उतरवाने का काम शुरू कर दिया गया है और चुनाव आयोग के निर्देशों को लेकर गाइडलाइन भी जिला प्रशासन की ओर से जारी कर दी गई है.
चुनाव आयोग की ओर से बदले गए नियमों के तहत आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों को अपना आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी चुनाव आयोग के फॉर्म पर स्पष्ट और निर्धारित फॉन्ट में देनी होगा. चुनाव प्रचार के दौरान प्रत्याशी को अपने आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी पर्याप्त सरकुलेशन वाले अखबारों में तीन बार प्रकाशित करानी होगी. यह जानकारी प्रत्याशी को नामांकन वापस लेने की तिथि से चुनाव के दो दिन पहले तक प्रकाशित करानी होगी. अखबारों में प्रकाशित जानकारी की प्रतिलिपि प्रत्याशी को डीएम कार्यालय में जमा करना होगी. प्रत्याशी को पिछले 5 वर्षों के आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी उपलब्ध करानी होगी.
मतदान की तारीख से पहले हर प्रत्याशी को अपने आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में प्रमुख टीवी चैनलों और अखबारों में कम से कम तीन बार विज्ञापन देना होगा. हालांकि, इस संबंध में 10 अक्टूबर, 2018 को ही निर्देश जारी कर दिए गए थे. लेकिन इस नियम का आगामी लोकसभा चुनाव में पहली बार इस्तेमाल होगा. राजनीतिक दलों को भी अपने प्रत्याशियों के आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में विज्ञापन देना अनिवार्य होगा. इसका मतलब हुआ कि चुनाव प्रचार के दौरान प्रत्याशी और उसकी पार्टी को तीन अलग-अलग तारीखों को मुख्य रूप से संचालित टीवी चैनलों और अखबारों में आपराधिक रिकॉर्ड का विज्ञापन प्रकाशित कराना होगा. जिस प्रत्याशी का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होगा, उसे इसका उल्लेख करना होगा. इसके लिए प्रत्याशी को अब संशोधित फॉर्म 26 भरने का प्रावधान रखा गया है.