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नन्ही रोजेदार: लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना निशा की

पाक महीना रमजान का तीसरा और आखिरी अशरा चल रहा है. वहीं दूसरी ओर गर्मी का कहर जारी है. ऐसे में रोजेदारों के लिए मुश्किलें पेश आ रही हैं. इसके इतर कासगंज की एक 8 साल की रोजेदार सबके लिए मिसाल बन रही है. उसने पूरे महीने रोजा रखने का फैसला किया है. वह रोजा अपने बीमार चाचा की सेहत के लिए रख रही है.

नमाज में रोज दुआ करती है निशा अंसारी.
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Published : May 29, 2019, 11:49 AM IST

Updated : May 29, 2019, 3:01 PM IST

कासगंज: रमजान के पवित्र महीने में जहां एक तरफ मई की चिलचिलाती गर्मी रोजेदारों का इम्तिहान ले रही है तो वहीं दूसरी तरफ कासगंज की 8 वर्षीय सबसे छोटी रोजेदार निशा मंसूरी पूरे रमजान रोजा रखने के संकल्प को लेकर चर्चा का विषय बनी हुई है. महीने भर तक चलने वाले रमजान में निशा अपने बीमार चाचा के ठीक होने के लिए इबादत करती है.

कासगंज में मिसाल बनी 8 साल की रोजेदार निशा अंसारी.

कासगंज जनपद की पटियाली की रहने वाली कक्षा 2 की छात्रा निशा मंसूरी महज 8 वर्ष की है और उसने पूरे रमज़ान रोजा रखने का संकल्प लिया है. निशा कहती है कि रोजा हमारे इस्लाम में जरूरी है. हम अल्लाह को खुश करने के लिए रोजा रखते हैं. 8 वर्षीय नन्ही रोजेदार को इस भीषण गर्मी में भी भूख प्यास नहीं सताती है.

निशा सुबह 3 बजे उठकर रोजे के नियमों के मुताबिक सहरी करती है. उस समय वह खाने में दूध, बिस्किट आदि लेतीं हैं उसके बाद फजर की नमाज के साथ ही उनका रोजा शुरू हो जाता है. शाम सात बजे निशा रोजा खोलती है और इफ्तार के समय शाम को वह अपने चाचा के ठीक होने की दुआ करती है.

कासगंज: रमजान के पवित्र महीने में जहां एक तरफ मई की चिलचिलाती गर्मी रोजेदारों का इम्तिहान ले रही है तो वहीं दूसरी तरफ कासगंज की 8 वर्षीय सबसे छोटी रोजेदार निशा मंसूरी पूरे रमजान रोजा रखने के संकल्प को लेकर चर्चा का विषय बनी हुई है. महीने भर तक चलने वाले रमजान में निशा अपने बीमार चाचा के ठीक होने के लिए इबादत करती है.

कासगंज में मिसाल बनी 8 साल की रोजेदार निशा अंसारी.

कासगंज जनपद की पटियाली की रहने वाली कक्षा 2 की छात्रा निशा मंसूरी महज 8 वर्ष की है और उसने पूरे रमज़ान रोजा रखने का संकल्प लिया है. निशा कहती है कि रोजा हमारे इस्लाम में जरूरी है. हम अल्लाह को खुश करने के लिए रोजा रखते हैं. 8 वर्षीय नन्ही रोजेदार को इस भीषण गर्मी में भी भूख प्यास नहीं सताती है.

निशा सुबह 3 बजे उठकर रोजे के नियमों के मुताबिक सहरी करती है. उस समय वह खाने में दूध, बिस्किट आदि लेतीं हैं उसके बाद फजर की नमाज के साथ ही उनका रोजा शुरू हो जाता है. शाम सात बजे निशा रोजा खोलती है और इफ्तार के समय शाम को वह अपने चाचा के ठीक होने की दुआ करती है.

Intro:स्लग- कासगंज की 8 वर्षीय सबसे छोटी रोजेदार बनी मुस्लिम युवाओं के लिए मिसाल


एंकर- रमजान के पवित्र महीने में जहां एक तरफ मई की चिलचिलाती गर्मी रोजेदारों का इंतहान ले रही है तो वहीं दूसरी तरफ कासगंज की 8 वर्षीय सबसे छोटी रोजेदार निशा मंसूरी पूरे रमज़ान रोज़ा रखने के संकल्प को लेकर चर्चा का विषय बनी हुई है और युवाओं के लिए प्रेरणा देने का काम कर रही है।


Body:वीओ-1-कासगंज जनपद की पटियाली की रहने वाली कक्षा 2 की छात्रा निशा मंसूरी महज 8 वर्ष की है और उसने पूरे रमज़ान रोज़ा रखने का संकल्प लिया है।निशा कहती है कि रोज़ा हमारे इस्लाम मे ज़रूरी है।हम अल्लाह को खुश करने के लिए रोज़ा रखते हैं।8 वर्षीय नन्ही रोज़ेदार को इस भीषण गर्मी में भी भूख प्यास नहीं सताती।

वीओ-2-निशा सुबह 3 बजे उठती हैं कुल्ला दातौन करने के बाद वह सहरी करतीं हैं और उस समय वह खाने में दूध बिस्किट आदि लेतीं हैं उसके बाद फ़ज़र की नमाज़ के बाद उनका रोज़ा शुरू हो जाता है जो शाम को सात बजे तक चलता है।शाम सात बजे निशा रोज़ा खोलती है और इफ्तार के समय शाम को वह अपने चाचा के ठीक होने की दुआ करती है जो बीमार हैं।

वन टू वन -निशा मंसूरी (8 वर्षीय रोज़ेदार)


Conclusion:
Last Updated : May 29, 2019, 3:01 PM IST
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