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अनोखी मुहिम: सप्तकोसीय परिक्रमा में पेड़ों पर लगाए जाएंगे 500 लकड़ी के घोंसले

गोवर्धन निवासी गौतम खंडेलवाल समाजसेवी सप्तकोसीय परिक्रमा में 500 लकड़ी के घोंसले पेड़ों पर लगाने जा रहे हैं. जिससे गर्मी के कारण मरने वाले पक्षियों को बचाया जा सकें.

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Published : Jun 20, 2019, 12:20 PM IST

समाजसेवी ने शुरू की अनोखी मुहिम

मथुरा: गोवर्धन निवासी समाजसेवी गौतम खंडेलवाल अनोखी मुहिम शुरू करने जा रहे हैं. गौतम खंडेलवाल ने गर्मी के प्रकोप को देखते हुए पक्षियों के लिए 500 लकड़ी के घोंसले बनवाए हैं, जिन्हें गोवर्धन की सप्तकोसीय परिक्रमा में पेड़ों पर लगाया जाएगा, जिससे गौरैया और अन्य पक्षियों को आशियाने के साथ दाना पानी की भी सुविधा मिलेगी.

500 लकड़ी के घोंसले पेड़ों पर लगाए जाएंगे

पेड़ों पर लकड़ी के 500 घोंसले लगाए जाएंगे-

  • जिले के गोवर्धन निवासी गौतम खंडेलवाल सप्तकोसीय परिक्रमा में 500 लकड़ी के घोंसले पेड़ों पर लगवाने वाले हैं.
  • गर्मियों में तापमान बढ़ने के साथ ही पक्षियों के पीने के पानी की समस्या बढ़ जाती है.
  • पेड़ों की लगातार कम होती संख्या और सूखते जल स्त्रोत की वजह से गौरैया और अन्य पक्षियों को आश्रय और दाना पानी की तलाश मैं इधर उधर भटकना पड़ता है.
  • गर्मी में हर वर्ष लाखों पक्षी पानी की कमी से मर जाते हैं.
  • पक्षियों के दाना पानी की व्यवस्था और संरक्षण के लिए अनेकों संस्थाएं पिछले कई वर्षों से कार्य कर रही हैं.
  • भारत जैसे देश में बहुतायत में पाई जाने वाली गौरैया की संख्या में 80 से 90 प्रतिशत कमी आई है.

पेड़ों की कटाई ,बढ़ता शहरीकरण, प्रदूषण, बिजली के तार और खेतों में कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग से इनकी घटती संख्या के लिए जिम्मेदार हैं . मोबाइल टावर से निकलने वाली रेडिएशन पेड़ों से भी पक्षियों की दिशा सूचक प्रणाली और परिजन क्षमता प्रभावित हो रही है, जिसके परिणामस्वरुप गौरैया और अन्य पक्षियों की संख्या लगातार घटती हुई नजर आ रही है.

गर्मी के प्रकोप को देखते हुए लकड़ी के लगभग 500 घोंसलों का निर्माण कराया गया है, जिन्हें गोवर्धन की सप्तकोसीय परिक्रमा में लगाया जाएगा. जिससे पक्षियों को रहने के लिए आशियाना के साथ-साथ दाना पानी भी मिल सकेगा .
-गौतम खंडेलवाल, समाजसेवी

मथुरा: गोवर्धन निवासी समाजसेवी गौतम खंडेलवाल अनोखी मुहिम शुरू करने जा रहे हैं. गौतम खंडेलवाल ने गर्मी के प्रकोप को देखते हुए पक्षियों के लिए 500 लकड़ी के घोंसले बनवाए हैं, जिन्हें गोवर्धन की सप्तकोसीय परिक्रमा में पेड़ों पर लगाया जाएगा, जिससे गौरैया और अन्य पक्षियों को आशियाने के साथ दाना पानी की भी सुविधा मिलेगी.

500 लकड़ी के घोंसले पेड़ों पर लगाए जाएंगे

पेड़ों पर लकड़ी के 500 घोंसले लगाए जाएंगे-

  • जिले के गोवर्धन निवासी गौतम खंडेलवाल सप्तकोसीय परिक्रमा में 500 लकड़ी के घोंसले पेड़ों पर लगवाने वाले हैं.
  • गर्मियों में तापमान बढ़ने के साथ ही पक्षियों के पीने के पानी की समस्या बढ़ जाती है.
  • पेड़ों की लगातार कम होती संख्या और सूखते जल स्त्रोत की वजह से गौरैया और अन्य पक्षियों को आश्रय और दाना पानी की तलाश मैं इधर उधर भटकना पड़ता है.
  • गर्मी में हर वर्ष लाखों पक्षी पानी की कमी से मर जाते हैं.
  • पक्षियों के दाना पानी की व्यवस्था और संरक्षण के लिए अनेकों संस्थाएं पिछले कई वर्षों से कार्य कर रही हैं.
  • भारत जैसे देश में बहुतायत में पाई जाने वाली गौरैया की संख्या में 80 से 90 प्रतिशत कमी आई है.

पेड़ों की कटाई ,बढ़ता शहरीकरण, प्रदूषण, बिजली के तार और खेतों में कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग से इनकी घटती संख्या के लिए जिम्मेदार हैं . मोबाइल टावर से निकलने वाली रेडिएशन पेड़ों से भी पक्षियों की दिशा सूचक प्रणाली और परिजन क्षमता प्रभावित हो रही है, जिसके परिणामस्वरुप गौरैया और अन्य पक्षियों की संख्या लगातार घटती हुई नजर आ रही है.

गर्मी के प्रकोप को देखते हुए लकड़ी के लगभग 500 घोंसलों का निर्माण कराया गया है, जिन्हें गोवर्धन की सप्तकोसीय परिक्रमा में लगाया जाएगा. जिससे पक्षियों को रहने के लिए आशियाना के साथ-साथ दाना पानी भी मिल सकेगा .
-गौतम खंडेलवाल, समाजसेवी

Intro:गोवर्धन के रहने वाले समाजसेवी गौतम खंडेलवाल ने गर्मी के प्रकोप को देखते हुए पक्षियों के लिए 500 लकड़ी के घोसले बनवाए हैं ,जिन्हें गोवर्धन की सप्तकोशिय परिक्रमा में लगाया जाएगा, जिससे गौरैया व अन्य पक्षियों को आशियाने के साथ दाना पानी की भी सुविधा मिलेगी.


Body:गर्मियों में तापमान बढ़ने के साथ ही पक्षियों के पीने के पानी की समस्या बढ़ जाती है. पेड़ों की लगातार कम होती संख्या और सूखते जल स्त्रोत की वजह से गौरैया व अन्य पक्षियों को आश्रय व दाना पानी की तलाश मैं इधर उधर भटकना पड़ता है. गर्मी में हर वर्ष लाखों पक्षी पानी की कमी से मर जाते हैं. ऐसे पक्षियों के दाना पानी की व्यवस्था व संरक्षण के लिए अनेकों संस्थाएं पिछले कई वर्षो से कार्य कर रही हैं. भारत जैसे देश में बहुतायत में पाई जाने वाली गौरैया की संख्या में 80 से 90% कमी आई है. लगातार पेड़ों की कटाई ,बढ़ता शहरीकरण, प्रदूषण, बिजली के तार व खेतों में कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग से इनकी घटती संख्या के लिए जिम्मेदार हैं .टावर से निकलने वाली रेडिएशन पेड़ों से भी पक्षियों की दिशा सूचक प्रणाली व परिजन क्षमता प्रभावित हो रही है .जिसके परिणाम स्वरुप गौरैया व अन्य पक्षियों की संख्या लगातार घटती हुई नजर आ रही है.


Conclusion:गोवर्धन के ही रहने वाले समाजसेवी गौतम खंडेलवाल ने एक पहल चलाई है, इस पहल से लगभग 500 पक्षियों को आशियाना मिल सकेगा, समाजसेवी गौतम खंडेलवाल ने बताया कि गर्मी के प्रकोप को देखते हुए लकड़ी के लगभग 500 घोंसलों का निर्माण कराया गया है, जिन्हें गोवर्धन की सप्तकोशिय परिक्रमा में लगाया जाएगा. जिससे पक्षियों को रहने के लिए आशियाना के साथ-साथ दाना पानी भी मिल सकेगा .
बाइट- गौतम खंडेलवाल समाज सेवी
स्ट्रिंगर मथुरा
राहुल खरे
mb-9897000608
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