मेरठ, सहारनपुर, कुशीनगर में हुई जहरीली शराब से मौतों के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस के आला अफसर पड़ोसी राज्यों की लापरवाही को जिम्मेदार बता रहे हैं. सहारनपुर और मेरठ में हुई मौतों की वजह हरिद्वार में हुआ एक पारिवारिक कार्यक्रम और वहां बंटी जहरीली शराब को बताया जा रहा है तो वहीं कुशीनगर में हुई मौतों के लिए बिहार के अवैध शराब कारोबारियों पर ठीकरा फोड़ा जा रहा है. फिलहाल जहरीली शराब से अब तक 62 मौतों की पुष्टि हो चुकी है और अभी भी कई गंभीर रूप से घायल हैं. वहीं कई मौतों में बिसरा रिपोर्ट का आना बाकी है.
लखनऊ से लेकर ललितपुर तक, नोएडा से लेकर बांदा तक उत्तर प्रदेश के हर गांव और कस्बे में धधक रही अवैध शराब की भट्टियां शासन और प्रशासन के निशाने पर तभी आती है, जब इन भट्टियों से मौत बांटी जाती है. शनिवार को उत्तर प्रदेश में कुछ ऐसा ही हुआ. मेरठ, सहारनपुर और कुशीनगर में हुई 62 मौतों के बाद प्रदेश व्यापी अभियान की शुरुआत की गई है. डीजीपी मुख्यालय ने सभी जिला कप्तान को अवैध शराब कारोबारियों पर नकेल कसने की हिदायत दी तो सभी जिलों में अभियान चलाया गया और अवैध शराब की भट्टिया मिलने पर तोड़ी भी जाने लगी.
लेकिन लखनऊ में बैठे आला अफसर मेरठ, कुशीनगर, सहारनपुर में हुई 62 मौतों के लिए उत्तराखंड और बिहार को जिम्मेदार मानते हैं. उत्तर प्रदेश पुलिस के एडीजी एलओ आनंद कुमार की माने तो मेरठ और सहारनपुर में हुई जहरीली शराब से मौत की वजह हरिद्वार के झबरेटा इलाके में हुआ एक तेरहवीं का समारोह था, जहां यह जहरीली शराब पीकर लोग मेरठ सहारनपुर को आए और जहां इनकी मौत हो गई. वहीं दूसरी ओर कुशीनगर में हुई 8 मौतों पर एडीजी का मानना है कि इन मौतों का बिहार कनेक्शन है. यूपी बिहार बॉर्डर पर धधक रही शराब की भठ्ठिया बिहार में जहरीली शराब तैयार करती हैं और उत्तर प्रदेश में बेची जा रही है. एडीजी की माने तो कुशीनगर में जहरीली शराब से 8, सहारनपुर में 36 और मेरठ में 18 मौते हो चुकी है.