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Yogini Ekadashi 2023 : ये है पूजा विधि और व्रत के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां

हर एक एकादशी व्रत का अपना खास महत्व होता है लेकिन आषाढ़ मास कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी के रूप में मनायी जाने वाली योगिनी एकादशी के बारे एक खास मान्यता है. योगिनी एकादशी मुक्ति का मौका देती है, जानिए कैसे

Yogini Ekadashi Puja Vidhi and Tips
योगिनी एकादशी 2023
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Published : Jun 14, 2023, 1:42 AM IST

हमारे हिंदू धर्म शास्त्रों में एक नहीं कई एकादशी का वर्णन है. हर एक एकादशी व्रत का अपना खास महत्व है. इसी क्रम में हर साल आषाढ़ मास कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है . इसके व्रत एवं पूजा का विधान के बारे में कहा जाता है कि इस दिन की पूजा से अगर भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं तो पूजा करने वाले जातक के जाने-अनजाने में हुए जीवन के सारे पाप विनष्ट हो जाया करते हैं. साथ ही पूजा और व्रत करने वाले पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है.

कहा जाता है कि योगिनी एकादशी के व्रत व पूजा से साधक को जीवन में ऐश्वर्य के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस वर्ष योगिनी एकादशी व्रत बुधवार को रखा जाएगा. 14 जून 2023 को साधक व्रत व पूजन करेंगे, जबकि पारण 15 जून दिन गुरुवार को किया जाएगा.

योगिनी एकादशी व्रत का महात्म्य
आपको बता दें कि योगिनी एकादशी के व्रत पूजन से न सिर्फ जाने-अनजाने में किए गए पाप नष्ट होते हैं, बल्कि किसी संत महात्मा या व्यक्ति के द्वारा दिया गया श्रॉप भी नष्ट हो जाया करता है. कुछ लोगों में ऐसी मान्यता है कि योगिनी एकादशी व्रत कल्पतरू के समान है, जिसका व्रत व पूजन करने से हर तरह की वांछित मनोकामनाएं पूरी हो जाया करती हैं.

योगिनी एकादशी के बाद ही देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाता है, जिसके बाद भगवान विष्णु चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं और इन दिनों भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हैं और सारे शुभ कार्य वर्जित हो जाया करते हैं.

Yogini Ekadashi Puja Vidhi and Tips
योगिनी एकादशी व्रत मुहूर्त व पारण

ऐसे करें पूजा
योगिनी एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान कर सूर्य को जल देते हुए दिन की शुरुआत करें. उसके बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए अपने व्रत एवं पूजा को प्रारंभ करें. अपने घर या पास के मंदिर में जाकर पूजने विधि के अनुसार कलश स्थापित करें और भगवान विष्णु की पूजा शुरू करें. कथा के पहले अब कलश के सामने पुष्प, अक्षत, रोली, इत्र, तुलसी दल इत्यादि अर्पित करके भगवान का आह्वान करें. साथ ही साथ ताजे मौसमी फल और दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाएं. उसके बाद प्रतिमा या तस्वीर की पूजा के दौरान धूप दीप प्रज्वलित करके व्रत की कथा को पढ़ना चाहिए. फिर 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः' मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए. अंत में विष्णु जी की आरती गाकर पूजा कार्य का समापन करें और तत्पश्चात सभी को प्रसाद वितरित करें.

Yogini Ekadashi Puja Vidhi and Tips and Katha
योगिनी एकादशी व्रत की कथा

योगिनी एकादशी व्रत की कथा
प्राचीनकाल में अलकापुरी में राजा कुबेर के राजमहल में एक हेम नामक माली रहा करता था. उसका काम राजा कुबेर की पूजा के लिए फूल लाना था. वह फूल शिवजी की पूजा के लिए इस्तेमाल होता था. वह हर दिन मानसरोवर से फूल लाकर राजा को देता था. एक दिन की बात है वह इस कार्य को करने के बजाय अपनी पत्नी के साथ स्वछन्द विहार करने लगा, जिससे उसे फूल लाने में देरी हो गई. इसी कारण राजा कुबेर मे उसको क्रोधित होकर कोढ़ी होने का श्राप दे दिया.

कहा जाता है कि श्राप के प्रभाव से वह माली कोढ़ी होकर इधर-उधर मारा-मारा फिरने लगा. ऐसा करते-करते एक दिन माली मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में जा पहुंचा. तो मार्कण्डेय ऋषि ने अपने तपोबल से माली का कष्ट समझा और उसको निवारण का उपाय बताया. इसलिए उन्होंने उस माली को योगिनी एकादशी का व्रत रखने को कहा. व्रत को करने से मिले लाभ के कारण माली का कोढ़ समाप्त हो गया और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई.

खास बात का रखें ध्यान

  1. किसी भी एकादशी व्रत को रखने के पहले चावल नहीं खाना चाहिए.
  2. योगिनी एकादशी के व्रत के दौरान अन्न व नमक का सेवन नहीं किया जाना चाहिए.
  3. क्रोध को शांत रखना चाहिए और इस दिन किसी से झूठ नहीं बोलना चाहिए.
  4. इस दिन गलती से भी घर में मांस और मदिरा को लाना नहीं चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि परिवार का कोई व्यक्ति इसका सेवन न करे.

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हमारे हिंदू धर्म शास्त्रों में एक नहीं कई एकादशी का वर्णन है. हर एक एकादशी व्रत का अपना खास महत्व है. इसी क्रम में हर साल आषाढ़ मास कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है . इसके व्रत एवं पूजा का विधान के बारे में कहा जाता है कि इस दिन की पूजा से अगर भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं तो पूजा करने वाले जातक के जाने-अनजाने में हुए जीवन के सारे पाप विनष्ट हो जाया करते हैं. साथ ही पूजा और व्रत करने वाले पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है.

कहा जाता है कि योगिनी एकादशी के व्रत व पूजा से साधक को जीवन में ऐश्वर्य के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस वर्ष योगिनी एकादशी व्रत बुधवार को रखा जाएगा. 14 जून 2023 को साधक व्रत व पूजन करेंगे, जबकि पारण 15 जून दिन गुरुवार को किया जाएगा.

योगिनी एकादशी व्रत का महात्म्य
आपको बता दें कि योगिनी एकादशी के व्रत पूजन से न सिर्फ जाने-अनजाने में किए गए पाप नष्ट होते हैं, बल्कि किसी संत महात्मा या व्यक्ति के द्वारा दिया गया श्रॉप भी नष्ट हो जाया करता है. कुछ लोगों में ऐसी मान्यता है कि योगिनी एकादशी व्रत कल्पतरू के समान है, जिसका व्रत व पूजन करने से हर तरह की वांछित मनोकामनाएं पूरी हो जाया करती हैं.

योगिनी एकादशी के बाद ही देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाता है, जिसके बाद भगवान विष्णु चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं और इन दिनों भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हैं और सारे शुभ कार्य वर्जित हो जाया करते हैं.

Yogini Ekadashi Puja Vidhi and Tips
योगिनी एकादशी व्रत मुहूर्त व पारण

ऐसे करें पूजा
योगिनी एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान कर सूर्य को जल देते हुए दिन की शुरुआत करें. उसके बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए अपने व्रत एवं पूजा को प्रारंभ करें. अपने घर या पास के मंदिर में जाकर पूजने विधि के अनुसार कलश स्थापित करें और भगवान विष्णु की पूजा शुरू करें. कथा के पहले अब कलश के सामने पुष्प, अक्षत, रोली, इत्र, तुलसी दल इत्यादि अर्पित करके भगवान का आह्वान करें. साथ ही साथ ताजे मौसमी फल और दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाएं. उसके बाद प्रतिमा या तस्वीर की पूजा के दौरान धूप दीप प्रज्वलित करके व्रत की कथा को पढ़ना चाहिए. फिर 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः' मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए. अंत में विष्णु जी की आरती गाकर पूजा कार्य का समापन करें और तत्पश्चात सभी को प्रसाद वितरित करें.

Yogini Ekadashi Puja Vidhi and Tips and Katha
योगिनी एकादशी व्रत की कथा

योगिनी एकादशी व्रत की कथा
प्राचीनकाल में अलकापुरी में राजा कुबेर के राजमहल में एक हेम नामक माली रहा करता था. उसका काम राजा कुबेर की पूजा के लिए फूल लाना था. वह फूल शिवजी की पूजा के लिए इस्तेमाल होता था. वह हर दिन मानसरोवर से फूल लाकर राजा को देता था. एक दिन की बात है वह इस कार्य को करने के बजाय अपनी पत्नी के साथ स्वछन्द विहार करने लगा, जिससे उसे फूल लाने में देरी हो गई. इसी कारण राजा कुबेर मे उसको क्रोधित होकर कोढ़ी होने का श्राप दे दिया.

कहा जाता है कि श्राप के प्रभाव से वह माली कोढ़ी होकर इधर-उधर मारा-मारा फिरने लगा. ऐसा करते-करते एक दिन माली मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में जा पहुंचा. तो मार्कण्डेय ऋषि ने अपने तपोबल से माली का कष्ट समझा और उसको निवारण का उपाय बताया. इसलिए उन्होंने उस माली को योगिनी एकादशी का व्रत रखने को कहा. व्रत को करने से मिले लाभ के कारण माली का कोढ़ समाप्त हो गया और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई.

खास बात का रखें ध्यान

  1. किसी भी एकादशी व्रत को रखने के पहले चावल नहीं खाना चाहिए.
  2. योगिनी एकादशी के व्रत के दौरान अन्न व नमक का सेवन नहीं किया जाना चाहिए.
  3. क्रोध को शांत रखना चाहिए और इस दिन किसी से झूठ नहीं बोलना चाहिए.
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