नई दिल्ली : ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट के संदर्भ में भाजपा सांसद आरके सिंह पटेल ने लोक सभा में सवाल पूछा. केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इस सवाल का जवाब दिया. स्मृति ईरानी ने कहा कि भारत सरकार प्रधानमंत्री मातृवंदना योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को छह हजार रुपये की आर्थिक मदद देती है. उन्होंने कहा कि अब तक 2 करोड़ 20 लाख महिलाओं को प्रधानमंत्री मातृवंदना योजना के तहत गर्भवती महिलाओं के बैंक खातों में पैसे भेजे जा चुके हैं. योजना अभी भी चल रही है.
स्मृति ईरानी ने बताया कि पोषण के मामले में देश के 13.80 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों में 9 करोड़ महिलाओं और बच्चों के पोषण का ध्यान रख रही है. भारत सरकार इस मद में 20 हजार रुपये खर्च कर रही है. एक अन्य सवाल पर ईरानी ने कहा, संसद में ये कहा जाए कि बेटी जन्म लेती है तो बोझ बन जाती है, ये किसी सवाल का भी अंश नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि जहां तक उत्तर प्रदेश में महिलाओं और बच्चों से जुड़ी योजनाओं के संचालन का सवाल है, ये केंद्र सरकार के सहयोग से ही चल रही हैं.
स्मृति ईरानी ने दो बार पीएम मोदी का नाम लिया : उन्होंने कहा कि भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में भारत की शिक्षा नीति में पहली बार जेंडर इन्क्लूजन फंड का प्रावधान किया गया. इसका मकसद बेटियों की शिक्षा सुनिश्चित करना है. ऐसा करने वाले नेता का नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी है. उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्रालय के साथ समन्वय कर पांच लाख ऐसी बेटियों की पहचान की गई है, जिन्हें स्कूल में लौटाने के प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि देश में 11 करोड़ बहनों के लिए टॉयलेट बनाए गए, जिसे यूपी में इज्जत घर कहा जाता है. भारत सरकार की जिन योजनाओं से महिलाओं को लाभ मिल रहा है, उनके बारे में स्मृति ईरानी कहा कि आयुष्मान भारत योजना के तहत करोड़ों महिलाओं ने सर्वाइकल कैंसर जैसी बीमारी के उपचार की पहल की है.
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यूपी के भाजपा नेता ने 'बेटी को बोझ...' कैसे कहा : भाजपा सांसद ने पूछा, हमारे देश में महिलाओं और पुरुष के बीच आज भी अंतर किया जाता है. उन्होंने कहा, 'जब बेटी पैदा होती है तो बोझ बन जाती है, बेटा पैदा होता है तो बधाईयां होती हैं.' उन्होंने कहा कि यूपी में मुख्यमंत्री ने कन्या सुमंगला योजना शुरू कर बेटे-बेटी का अंतर खत्म करने का प्रयास किया है. इसके तहत जन्म से इंटर तक पढ़ाई के लिए 15000 रुपये देने की योजना है. उन्होंने पूछा कि क्या भारत सरकार उत्तर प्रदेश सरकार जैसी किसी योजना पर विचार कर रही है, जिसमें जन्म से ग्रैजुएशन तक की पढ़ाई की व्यवस्था हो सके. बेटे-बेटी की पढ़ाई में कोई अंतर न हो इसके लिए क्या केंद्र सरकार की कोई योजना है ?