कोलकाता: पश्चिम बंगाल कर्ज चुकाने के मामले में देश में नंबर एक स्थान पर कब्जा कर लिया है. पश्चिम बंगाल की रैंक दिल्ली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी) की हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट पर आधारित थी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बार-बार वाम मोर्चा शासन के कारण सरकार पर कर्ज के बोझ का जिक्र कर चुकी हैं. हालांकि, मुख्यमंत्री राज्य के प्रदर्शन से खुश हैं.
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले एनआईपीएफपी ने 18 प्रमुख राज्यों के लिए इस साल की बजट समीक्षा रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि छह राज्यों ने 2015-16 से चार वर्षों में अपने कर्ज को जीडीपी अनुपात में घटा दिया है. इस सूची में पश्चिम बंगाल सबसे सफल रहा, जो 33.87% से गिरकर 30.88% हो गया.
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राज्य सचिवालय नबन्ना सूत्रों के अनुसार कर संग्रहण प्रणाली के आधुनिकीकरण से राज्य ने स्टाम्प शुल्क के माध्यम से आय में वृद्धि की है. लेकिन कोविड बीच में आ गया. इससे पहले अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार से आमदनी में भी गिरावट आई थी. हालांकि, राज्य सरकार की पहल से स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है. राज्य के बजट दस्तावेजों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में कर्ज को छोड़कर राजस्व का 19.72 फीसदी पुराने कर्ज पर ब्याज को पूरा करने के लिए जरूरी होगा.