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वंदे भारत ट्रेन का 180 की स्पीड में इसलिए हुआ कोटा में ट्रायल, मिशन रफ्तार में शामिल है ये ट्रैक

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Published : Sep 1, 2022, 9:07 PM IST

भारत की हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत का ट्रायल कोटा रेल मंडल के ट्रैक पर किया (Trial of Vande Bharat Train) जा रहा है. इस ट्रेन को 180 किलोमीटर की स्पीड से दौड़ाकर देखा गया है, इसकी रिपोर्ट तैयार की जाएगी. वर्तमान में यह ट्रैक 130 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चलने के लायक माना गया है. इस ट्रैक को 160 किलोमीटर की रफ्तार के लायक बनाया जा रहा है.

Trial of Vande Bharat Train, Vande Bharat Train in Kota
80 की स्पीड में इसलिए हुआ कोटा में ट्रायल.

कोटा. भारत की हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत का ट्रायल कोटा रेल मंडल में किया जा रहा है. इस ट्रेन को ट्रायल के दौरान 180 किलोमीटर (Trial of Vande Bharat Train) की रफ्तार पर दौड़ाकर रेलवे ने देखा है. इस संबंध में एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसे मुख्य संरक्षा अधिकारी मुंबई को भेजा जाएगा. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि मथुरा से नागदा के बीच दिल्ली मुंबई रेल लाइन का यह ट्रैक कोटा रेल मंडल में आता है. जहां पर पहले भी तेज गति से चलने वाले ट्रेनों के ट्रायल हो चुके हैं.

रेलवे बोर्ड और मंत्रालय इस ट्रैक को काफी अच्छा मानता है. इसलिए यहां पर लगातार ट्रायल भी हो रहे हैं. देश में कोई भी नया इंजन, ट्रेन या कोच आते हैं, उसका ट्रायल यहां पर लिया जाता है. वर्तमान में यह ट्रक 130 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चलने के लायक माना गया है. जून 2020 से इस गति से कई ट्रेनें संचालित भी की जा रही हैं. इन्हीं खासियतों के चलते देश के दो ट्रैक को मिशन रफ्तार में शामिल किया गया है. यह दोनों ट्रैक दिल्ली से कोलकाता और दिल्ली से मुंबई हैं. जिसमें इस ट्रैक पर चलने वाली ट्रेनों की गति 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक होगी. इसके लिए 2664 करोड़ रुपए से 545 किलोमीटर के रेलवे ट्रैक का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है. जबकि पूरे दिल्ली मुंबई रेल लाइन को 6000 करोड़ से ज्यादा में 160 की स्पीड पर चलने वाला बनाया जा रहा है.

180 की स्पीड में इसलिए हुआ कोटा में ट्रायल.

घुमाव खत्म कर, ट्रैक को पूरा किया जा रहाः ट्रैक में होने वाले सभी घुमाव को खत्म किया जा रहा है. यह स्पीड को कम (Vande Bharat Train in Kota) कर देते हैं. जब ज्यादातर घुमाव को सीधा कर दिया जाएगा तो स्पीड कम नहीं होगी. वर्तमान स्थिति में तेज स्पीड से वहां से ट्रेन निकाली जाती है, तो दुर्घटना का खतरा बना रहता है. ऐसे में इन सभी जगह पर स्टेटिंग किया जा रहा है. दरा, सवाई माधोपुर, गंगापुर, भरतपुर, मथुरा, रामगंजमंडी एरिया में ऐसे घुमाव हैं. कोटा की दरा इलाके में मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में सबसे ज्यादा घुमाव है. यहां ट्रेन की 60 किलोमीटर प्रति घंटा स्पीड के आसपास सबसे कम रहती है.

पटरी से लेकर रेलवे ब्रिज को भी किया जा रहा मजबूतः ट्रेनों की गति बढ़ने पर दुर्घटनाओं का खतरा कम हो, इसके लिए अच्छी मजबूत पटरियां बिछाई जा रही हैं. पहले से जहां पर रेल पटरी अच्छी है, उन्हें दुरुस्त किया जा रहा है. साथ ही कई जगह पर रेलवे ट्रैक को भी पूरी तरह से बदला जाएगा. मजबूती व उच्च क्षमता की रेलवे पटरी बिछाई जा रही है. साथ ही सिगनलिंग प्रणाली में भी काफी सुधार किया जा रहा है. इसके अलावा रेलवे के ब्रिज, अंडर पास को भी मजबूत और सुदृढ़ किया जा रहा है. ट्रैक पर सेंसर भी कई जगह पर लगाए जा रहे हैं, जिससे दुर्घटनाओं को रोका जा सके.

पढ़ें. ट्रायल रन में वंदे भारत ट्रेन ने तोड़े रिकॉर्ड, पकड़ी 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार

बदल रहे ट्रेन संचालन के बिजली के तारः ट्रेन संचालन में उपयोग लिए जाने वाले बिजली के तार ओवर हेड इलेक्ट्रिक (ओएचई) को पूरी तरह से बदला जा रहा है. इसके लिए काफी ज्यादा क्षमता वाले विद्युत तार लगाए जाएंगे. ताकि ट्रेनों के संचालन में कोई रुकावट नहीं हो व हाई स्पीड ट्रेन को चलाने के लिए पर्याप्त बिजली भी मिल सके. वहीं बिजली की लाइनों के पोल की संख्या भी बढ़ाई जा रही है, इन्हें मजबूत किया जा रहा है.

मजबूत होगा इलेक्ट्रिक ट्रांसमिशन सिस्टमः ट्रैक पर ट्रेनों को 160 की गति से संचालित करने के लिए लिए पूरा (System of Vande Bharat Train) विद्युत सिस्टम भी बदला जा रहा है. ट्रांसमिशन को मॉडिफिकेशन भी किया जा रहा है. जिसके लिए उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकार को भी पैसा दिया गया है. जिससे नए ट्रांसमिशन स्थापित किए जा सके. बिजली की सुचारू व्यवस्था हो, ताकि पर्याप्त मात्रा में बिजली की सप्लाई मिल सके और उसमें किसी तरह के फॉल्ट नहीं आएं. जल्द ही यह काम पूरा हो जाएगा.

नहीं होगी रेलवे क्रॉसिंग, नहीं करनी होगी स्पीड कमः हाई स्पीड ट्रैक पर कंडीशन है कि मेन लेवल क्रॉसिंग गेट नहीं होने चाहिए. इसलिए आरओबी या लो-हाइट सबवे (एलएचएस) बनाए जा रहे हैं. यह सभी वर्क सेंशन हो गए हैं. ज्यादातर काम में हो चुके हैं. रेलवे फाटक को पूरी तरह से खत्म किया जा रहा है. रेलवे क्रॉसिंग आने पर ट्रेन की गति धीमी करनी होती है. इसलिए रेलवे क्रॉसिंग को ही खत्म किया जा रहा है. मथुरा से नागदा के बीच में कोई भी रेलवे फाटक नहीं रहेगी.

पढें. अश्विनी वैष्णव ने सितंबर से हर महीने 4 वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाने की घोषणा की

1100 किलोमीटर में की जा रही फेंसिंगः मथुरा से नागदा के बीच 545 किलोमीटर में दोनों तरफ यानी कि करीब 1100 किलोमीटर एरिया में पूरी तरह से फैंसिंग की जा रही है. जहां पर घनी आबादी एरिया में सीमेंट कंक्रीट से पूरी तरह से सुरक्षा दीवार बनाई जा रही है. कम आबादी एरिया में प्रीकास्ट पिलर से भी बाउंड्री वॉल बनाई जा रही है. कुछ जगह पर सामान्य फेंसिंग भी की गई है. डीआरएम पंकज शर्मा के अनुसार करीब 100 किलोमीटर एरिया में यह काम पूरा हो गया है. अन्य जगह दे दी तेज गति से कार्य को करवाया जा रहा है. मिशन रफ्तार में 160 की स्पीड के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता फैंसिंग ट्रैक है.

दुर्घटनाओं पर भी लगेगी लगाम, ट्रैक पर नहीं दिखेंगे जानवरः डीआरएम पंकज शर्मा के अनुसार जून 2020 में मथुरा से नागदा के बीच 130 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है. तेजस, राजधानी, अगस्त क्रांति इस स्पीड से दौड़ रही हैं. अभी मिशन रफ्तार के तहत 160 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से ट्रैक को तैयार करवाया जा रहा है. जब 130 की स्पीड की गई, तब कैटल और मेन रन ओवर के मामले बढ़ गए. स्पीड ज्यादा होने पर कैटल रन ओवर की स्थिति में ट्रेन भी दुर्घटनाग्रस्त हो सकती है. कई बार इंजन में भी कैटल रन ओवर होने की स्थिति में खराबी आ जाती है. जिससे दुर्घटना भी हो सकती है, हालांकि सुरक्षा दीवार बन जाने के बाद यह खतरा कम हो जाएगा.

चलती ट्रेन, ट्रैक, पहिए और कोच की जांच के मॉनिटरिंग सिस्टमः कोटा डीआरएम पंकज शर्मा ने बताया कि चलती ट्रेनों के पहिए, बैरिंग, एक्सेल और इंजन में आई खराबी का पता लगाने के लिए सिस्टम लगाया जा रहा है. इसके अलावा ऑनलाइन मॉनिटरिंग ऑफ रोलिंग स्टॉक (ओएमआरएस) सिस्टम भी स्थापित किया जा रहा है. इससे रेल की पटरियों के टूटने और रेलगाड़ियों के पटरी से उतरने की घटनाएं कम की जा सकती हैं.

पढ़ें. Indian Railways: 58 नई वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण के लिए इन कंपनियों ने लगाई बोली

उन्होंने बताया कि हाई स्पीड ट्रेन में काफी तेजी होगी, तब कोच में कोई डिफेक्ट और अनयूजुअल नहीं हो उसके लिए भी हॉट बॉक्स डिटेक्टर लगाए जा रहे हैं. कोच या इंजन हॉट एक्सेल को डिटेक्ट कर लेंगे. कोच और बैगन की व्हील या बीयरिंग में कोई दिक्कत है, तो उसके लिए बीयरिंग डिटेक्टर लगाए जा रहे हैं. व्हील प्लेट में गड़बड़ी पकड़ने के लिए व्हील लोड इंपैक्ट डिटेक्टर लगाए जा रहे हैं. ऑनलाइन मॉनिटरिंग के लिए (ओएमआरएस) सिस्टम लगाया जा रहा है. इन सिस्टमों के जरिए पहले ही कोच, रेल ट्रैक व इंजन में होने वाली किसी दिक्कत के बारे में पता चल सकेगा और दुर्घटना रोकी जा सकेगी. वर्तमान में इनमें से कुछ काम मैनुअली किए जाते हैं. उन्होंने कहा कि हमें यह पूरा प्रोजेक्ट जून 2024 तक पूरा करना है.

कवच सिस्टम लगेगाः रेल मंत्री ने मई महीने में भारतीय ट्रेनों में भिड़ंत को रोकने के लिए हाल ही में भारत में ही इजाद किए गए "इंडीजीनस टेक्निकल ट्रेन कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम" कवच का परीक्षण खुद की मौजूदगी में किया था. अब यह सिस्टम कोटा मंडल के रेलवे ट्रैक पर स्थापित किया जाएगा. इसके लिए भी रेलवे ने टेंडर जारी कर दिए हैं. डीआरएम पंकज शर्मा ने बताया कि स्पीड बढ़ने पर दुर्घटनाएं नहीं हों और ट्रेनों में भिड़ंत रोकने के लिए यह कारगर रहेगा.

पढ़ें. 'अभी तक बनी है मात्र 2 वंदे भारत, फिर अगले तीन सालों में कैसे दौड़ेगी 400 नई ट्रेनें'

वन्यजीवों की भी होगी सुरक्षाः दिल्ली मुंबई रेल लाइन कोटा के दरा इलाके में मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के बीच से गुजरती है. ऐसे में वहां भी रेलवे लाइन के दोनों तरफ फेंसिंग होने के बाद वन्यजीवों की भी सुरक्षा हो सकेगी. करीब 10 साल पहले इसी रेलवे लाइन पर टाइगर ब्रोकन टेल आ गया था. जिसके चलते उसकी मौत हो गई थी. साल 2018 में भी एक पैंथर की मौत रेलवे ट्रैक पर हुई थी. वहीं 2020 में एक मगरमच्छ भी रेलवे ट्रैक पर ट्रेन से कटकर मर गया था. इसके अलावा कई वन्यजीव अन्य भी इस रेलवे ट्रैक पर दुर्घटनाओं के शिकार हुए हैं.

गतिमान एक्सप्रेस भी चल सकेगीः भारत में सेमी हाई स्पीड ट्रेन गतिमान एक्सप्रेस सबसे तेज चलने वाली ट्रेन है. यह दिल्ली से आगरा के बीच में संचालित हो रही है. जिसे ग्वालियर और झांसी तक भी बढ़ा दिया गया है. जिसको 160 किलोमीटर की स्पीड से चलाया जा रहा है. ऐसे में जब यह ट्रैक 160 की स्पीड पर चलने वाला हो जाएगा. तब यहां से गुजर रही राजधानी तेजस और अगस्त क्रांति भी इसी स्पीड से चलेगी. साथ ही गतिमान और दूसरी ट्रेनें भी यहां पर संचालित की जा सकेंगी. भारत में कोटा रेल मंडल भी माल भाड़े में काफी अच्छी आमदनी रेलवे को देता है. ऐसे में ट्रेनों की गति बढ़ने से इसमें भी फायदा मिलेगा.

कोटा. भारत की हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत का ट्रायल कोटा रेल मंडल में किया जा रहा है. इस ट्रेन को ट्रायल के दौरान 180 किलोमीटर (Trial of Vande Bharat Train) की रफ्तार पर दौड़ाकर रेलवे ने देखा है. इस संबंध में एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसे मुख्य संरक्षा अधिकारी मुंबई को भेजा जाएगा. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि मथुरा से नागदा के बीच दिल्ली मुंबई रेल लाइन का यह ट्रैक कोटा रेल मंडल में आता है. जहां पर पहले भी तेज गति से चलने वाले ट्रेनों के ट्रायल हो चुके हैं.

रेलवे बोर्ड और मंत्रालय इस ट्रैक को काफी अच्छा मानता है. इसलिए यहां पर लगातार ट्रायल भी हो रहे हैं. देश में कोई भी नया इंजन, ट्रेन या कोच आते हैं, उसका ट्रायल यहां पर लिया जाता है. वर्तमान में यह ट्रक 130 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चलने के लायक माना गया है. जून 2020 से इस गति से कई ट्रेनें संचालित भी की जा रही हैं. इन्हीं खासियतों के चलते देश के दो ट्रैक को मिशन रफ्तार में शामिल किया गया है. यह दोनों ट्रैक दिल्ली से कोलकाता और दिल्ली से मुंबई हैं. जिसमें इस ट्रैक पर चलने वाली ट्रेनों की गति 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक होगी. इसके लिए 2664 करोड़ रुपए से 545 किलोमीटर के रेलवे ट्रैक का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है. जबकि पूरे दिल्ली मुंबई रेल लाइन को 6000 करोड़ से ज्यादा में 160 की स्पीड पर चलने वाला बनाया जा रहा है.

180 की स्पीड में इसलिए हुआ कोटा में ट्रायल.

घुमाव खत्म कर, ट्रैक को पूरा किया जा रहाः ट्रैक में होने वाले सभी घुमाव को खत्म किया जा रहा है. यह स्पीड को कम (Vande Bharat Train in Kota) कर देते हैं. जब ज्यादातर घुमाव को सीधा कर दिया जाएगा तो स्पीड कम नहीं होगी. वर्तमान स्थिति में तेज स्पीड से वहां से ट्रेन निकाली जाती है, तो दुर्घटना का खतरा बना रहता है. ऐसे में इन सभी जगह पर स्टेटिंग किया जा रहा है. दरा, सवाई माधोपुर, गंगापुर, भरतपुर, मथुरा, रामगंजमंडी एरिया में ऐसे घुमाव हैं. कोटा की दरा इलाके में मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में सबसे ज्यादा घुमाव है. यहां ट्रेन की 60 किलोमीटर प्रति घंटा स्पीड के आसपास सबसे कम रहती है.

पटरी से लेकर रेलवे ब्रिज को भी किया जा रहा मजबूतः ट्रेनों की गति बढ़ने पर दुर्घटनाओं का खतरा कम हो, इसके लिए अच्छी मजबूत पटरियां बिछाई जा रही हैं. पहले से जहां पर रेल पटरी अच्छी है, उन्हें दुरुस्त किया जा रहा है. साथ ही कई जगह पर रेलवे ट्रैक को भी पूरी तरह से बदला जाएगा. मजबूती व उच्च क्षमता की रेलवे पटरी बिछाई जा रही है. साथ ही सिगनलिंग प्रणाली में भी काफी सुधार किया जा रहा है. इसके अलावा रेलवे के ब्रिज, अंडर पास को भी मजबूत और सुदृढ़ किया जा रहा है. ट्रैक पर सेंसर भी कई जगह पर लगाए जा रहे हैं, जिससे दुर्घटनाओं को रोका जा सके.

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बदल रहे ट्रेन संचालन के बिजली के तारः ट्रेन संचालन में उपयोग लिए जाने वाले बिजली के तार ओवर हेड इलेक्ट्रिक (ओएचई) को पूरी तरह से बदला जा रहा है. इसके लिए काफी ज्यादा क्षमता वाले विद्युत तार लगाए जाएंगे. ताकि ट्रेनों के संचालन में कोई रुकावट नहीं हो व हाई स्पीड ट्रेन को चलाने के लिए पर्याप्त बिजली भी मिल सके. वहीं बिजली की लाइनों के पोल की संख्या भी बढ़ाई जा रही है, इन्हें मजबूत किया जा रहा है.

मजबूत होगा इलेक्ट्रिक ट्रांसमिशन सिस्टमः ट्रैक पर ट्रेनों को 160 की गति से संचालित करने के लिए लिए पूरा (System of Vande Bharat Train) विद्युत सिस्टम भी बदला जा रहा है. ट्रांसमिशन को मॉडिफिकेशन भी किया जा रहा है. जिसके लिए उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकार को भी पैसा दिया गया है. जिससे नए ट्रांसमिशन स्थापित किए जा सके. बिजली की सुचारू व्यवस्था हो, ताकि पर्याप्त मात्रा में बिजली की सप्लाई मिल सके और उसमें किसी तरह के फॉल्ट नहीं आएं. जल्द ही यह काम पूरा हो जाएगा.

नहीं होगी रेलवे क्रॉसिंग, नहीं करनी होगी स्पीड कमः हाई स्पीड ट्रैक पर कंडीशन है कि मेन लेवल क्रॉसिंग गेट नहीं होने चाहिए. इसलिए आरओबी या लो-हाइट सबवे (एलएचएस) बनाए जा रहे हैं. यह सभी वर्क सेंशन हो गए हैं. ज्यादातर काम में हो चुके हैं. रेलवे फाटक को पूरी तरह से खत्म किया जा रहा है. रेलवे क्रॉसिंग आने पर ट्रेन की गति धीमी करनी होती है. इसलिए रेलवे क्रॉसिंग को ही खत्म किया जा रहा है. मथुरा से नागदा के बीच में कोई भी रेलवे फाटक नहीं रहेगी.

पढें. अश्विनी वैष्णव ने सितंबर से हर महीने 4 वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाने की घोषणा की

1100 किलोमीटर में की जा रही फेंसिंगः मथुरा से नागदा के बीच 545 किलोमीटर में दोनों तरफ यानी कि करीब 1100 किलोमीटर एरिया में पूरी तरह से फैंसिंग की जा रही है. जहां पर घनी आबादी एरिया में सीमेंट कंक्रीट से पूरी तरह से सुरक्षा दीवार बनाई जा रही है. कम आबादी एरिया में प्रीकास्ट पिलर से भी बाउंड्री वॉल बनाई जा रही है. कुछ जगह पर सामान्य फेंसिंग भी की गई है. डीआरएम पंकज शर्मा के अनुसार करीब 100 किलोमीटर एरिया में यह काम पूरा हो गया है. अन्य जगह दे दी तेज गति से कार्य को करवाया जा रहा है. मिशन रफ्तार में 160 की स्पीड के लिए सबसे बड़ी आवश्यकता फैंसिंग ट्रैक है.

दुर्घटनाओं पर भी लगेगी लगाम, ट्रैक पर नहीं दिखेंगे जानवरः डीआरएम पंकज शर्मा के अनुसार जून 2020 में मथुरा से नागदा के बीच 130 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है. तेजस, राजधानी, अगस्त क्रांति इस स्पीड से दौड़ रही हैं. अभी मिशन रफ्तार के तहत 160 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से ट्रैक को तैयार करवाया जा रहा है. जब 130 की स्पीड की गई, तब कैटल और मेन रन ओवर के मामले बढ़ गए. स्पीड ज्यादा होने पर कैटल रन ओवर की स्थिति में ट्रेन भी दुर्घटनाग्रस्त हो सकती है. कई बार इंजन में भी कैटल रन ओवर होने की स्थिति में खराबी आ जाती है. जिससे दुर्घटना भी हो सकती है, हालांकि सुरक्षा दीवार बन जाने के बाद यह खतरा कम हो जाएगा.

चलती ट्रेन, ट्रैक, पहिए और कोच की जांच के मॉनिटरिंग सिस्टमः कोटा डीआरएम पंकज शर्मा ने बताया कि चलती ट्रेनों के पहिए, बैरिंग, एक्सेल और इंजन में आई खराबी का पता लगाने के लिए सिस्टम लगाया जा रहा है. इसके अलावा ऑनलाइन मॉनिटरिंग ऑफ रोलिंग स्टॉक (ओएमआरएस) सिस्टम भी स्थापित किया जा रहा है. इससे रेल की पटरियों के टूटने और रेलगाड़ियों के पटरी से उतरने की घटनाएं कम की जा सकती हैं.

पढ़ें. Indian Railways: 58 नई वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण के लिए इन कंपनियों ने लगाई बोली

उन्होंने बताया कि हाई स्पीड ट्रेन में काफी तेजी होगी, तब कोच में कोई डिफेक्ट और अनयूजुअल नहीं हो उसके लिए भी हॉट बॉक्स डिटेक्टर लगाए जा रहे हैं. कोच या इंजन हॉट एक्सेल को डिटेक्ट कर लेंगे. कोच और बैगन की व्हील या बीयरिंग में कोई दिक्कत है, तो उसके लिए बीयरिंग डिटेक्टर लगाए जा रहे हैं. व्हील प्लेट में गड़बड़ी पकड़ने के लिए व्हील लोड इंपैक्ट डिटेक्टर लगाए जा रहे हैं. ऑनलाइन मॉनिटरिंग के लिए (ओएमआरएस) सिस्टम लगाया जा रहा है. इन सिस्टमों के जरिए पहले ही कोच, रेल ट्रैक व इंजन में होने वाली किसी दिक्कत के बारे में पता चल सकेगा और दुर्घटना रोकी जा सकेगी. वर्तमान में इनमें से कुछ काम मैनुअली किए जाते हैं. उन्होंने कहा कि हमें यह पूरा प्रोजेक्ट जून 2024 तक पूरा करना है.

कवच सिस्टम लगेगाः रेल मंत्री ने मई महीने में भारतीय ट्रेनों में भिड़ंत को रोकने के लिए हाल ही में भारत में ही इजाद किए गए "इंडीजीनस टेक्निकल ट्रेन कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम" कवच का परीक्षण खुद की मौजूदगी में किया था. अब यह सिस्टम कोटा मंडल के रेलवे ट्रैक पर स्थापित किया जाएगा. इसके लिए भी रेलवे ने टेंडर जारी कर दिए हैं. डीआरएम पंकज शर्मा ने बताया कि स्पीड बढ़ने पर दुर्घटनाएं नहीं हों और ट्रेनों में भिड़ंत रोकने के लिए यह कारगर रहेगा.

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वन्यजीवों की भी होगी सुरक्षाः दिल्ली मुंबई रेल लाइन कोटा के दरा इलाके में मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के बीच से गुजरती है. ऐसे में वहां भी रेलवे लाइन के दोनों तरफ फेंसिंग होने के बाद वन्यजीवों की भी सुरक्षा हो सकेगी. करीब 10 साल पहले इसी रेलवे लाइन पर टाइगर ब्रोकन टेल आ गया था. जिसके चलते उसकी मौत हो गई थी. साल 2018 में भी एक पैंथर की मौत रेलवे ट्रैक पर हुई थी. वहीं 2020 में एक मगरमच्छ भी रेलवे ट्रैक पर ट्रेन से कटकर मर गया था. इसके अलावा कई वन्यजीव अन्य भी इस रेलवे ट्रैक पर दुर्घटनाओं के शिकार हुए हैं.

गतिमान एक्सप्रेस भी चल सकेगीः भारत में सेमी हाई स्पीड ट्रेन गतिमान एक्सप्रेस सबसे तेज चलने वाली ट्रेन है. यह दिल्ली से आगरा के बीच में संचालित हो रही है. जिसे ग्वालियर और झांसी तक भी बढ़ा दिया गया है. जिसको 160 किलोमीटर की स्पीड से चलाया जा रहा है. ऐसे में जब यह ट्रैक 160 की स्पीड पर चलने वाला हो जाएगा. तब यहां से गुजर रही राजधानी तेजस और अगस्त क्रांति भी इसी स्पीड से चलेगी. साथ ही गतिमान और दूसरी ट्रेनें भी यहां पर संचालित की जा सकेंगी. भारत में कोटा रेल मंडल भी माल भाड़े में काफी अच्छी आमदनी रेलवे को देता है. ऐसे में ट्रेनों की गति बढ़ने से इसमें भी फायदा मिलेगा.

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