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पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी

उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट (swami prasad maurya arrest warrant) जारी हुआ है. मौर्य ने मंगलवार को ही भाजपा छोड़, सपा का दामन थामा था. जानकारी के मुताबिक सात साल पुराने केस में मौर्य के खिलाफ वारंट जारी हुआ है. पूर्वी और मध्य उत्तर प्रदेश में स्वामी प्रसाद मौर्य का पिछड़े वर्गों में काफी प्रभाव माना जाता है. इस मामले में सुलतानपुर एमपीएमएलए कोर्ट 24 जनवरी को सुनवाई करेगी.

swami prasad maurya
स्वामी प्रसाद मौर्य
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Published : Jan 12, 2022, 4:51 PM IST

Updated : Jan 12, 2022, 6:49 PM IST

लखनऊ : स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट (swami prasad maurya arrest warrant) जारी हुआ है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ वारंट सात साल पुराने मामले में जारी हुआ है. खबरों के मुताबिक साल 2014 में मौर्य ने देवी-देवताओं के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिया था. इस मामले में उन पर धार्मिक भावनाओं को भड़काने के आरोप लगे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक यूपी के सुलतानपुर में एमपी-एमएलए कोर्ट ने मौर्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट (swami prasad maurya sultanpur court warrant) जारी किया है.

24 जनवरी को कोर्ट में पेशी !
जानकारी के मुताबिक मौर्य को बुधवार 12 जनवरी को अदालत में पेश होने को कहा गया था, लेकिन मौर्य सुलतानपुर कोर्ट में पेश नहीं हो सके. इसके बाद एमपी-एमएलए कोर्ट ने मौर्य के खिलाफ वारंट जारी करते हुए उन्हें 24 जनवरी को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है. अदालत इस मामले में 24 जनवरी को सुनवाई करेगी.

कहां से शुरू हुआ मामला
एमपी-एमएलए/एसीजीएम कोर्ट के न्यायाधीश योगेश यादव ने बुधवार को सुनवाई के दौरान उनकी अनुपस्थिति पर एक बार फिर से गैर जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया. बीते लगभग डेढ़ साल से उनकी उपस्थिति नहीं होने के चलते अदालत से वारंट हुआ है. बता दें कि मौर्य की टिप्पणी को आपत्तिजनक बताते हुए अधिवक्ता अनिल तिवारी ने जिला सत्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. अदालत में मामला जाने के बाद 2016 में स्वामी प्रसाद मौर्य उच्च न्यायालय गए थे. मौर्य के खिलाफ निचली अदालत से जारी वारंट पर हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश जारी किया था.

स्वामी प्रसाद मौर्य के मामले में वारंट जारी होने के संबंध में वकील अनिल तिवारी का बयान

अनिल तिवारी ने कहा कि 2014 में उन्होंने परिवाद दायर कराया था. उन्होंने बताया कि मजिस्ट्रेट ने आईपीसी की धारा 295 के तहत स्वामी प्रसाद मौर्य को तलब किया था. वकील अनिल तिवारी ने बताया कि जिला जज न्यायालय ने मौर्य की याचिका खारिज कर दी थी. जिसके बाद हाईकोर्ट से मौर्य को स्टे मिल गया था. उन्होंने कहा कि 6 जनवरी को मौर्य को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली, जिसके बाद 12 जनवरी को मौर्य को एमपी-एमएलए कोर्ट में पेश होना था. मौर्य पेश नहीं हुए, इसलिए उनके खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी किया गया है.

मौर्य सपा में शामिल हुए हैं
बता दें कि मौर्य ने मंगलवार को भाजपा से नाता तोड़ समाजवादी पार्टी में शामिल (swami prasad maurya joins SP) होने का एलान किया था. मौर्य ने पहले राज्यपाल को यूपी कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा (swami prasad maurya resignation) देने का त्यागपत्र भेजा. इसके कुछ ही देर के बाद मौर्य अखिलेश यादव से मिले (swami prasad maurya akhilesh yadav meeting) और समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद तीन और नेताओं का इस्तीफा मंगलवार को ही सामने आया था.

swami prasad maurya
सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ स्वामी प्रसाद मौर्य (फाइल फोटो)

क्यों सुर्खियों में है मौर्य का इस्तीफा
मौर्य का पूर्वी और मध्य उत्तर प्रदेश के पिछड़े वर्गों में काफी प्रभाव माना जाता है. स्वामी प्रसाद मौर्य 5 बार विधायक रह चुके हैं. मौर्य 80 के दशक से ही राजनीति में सक्रिय हैं. 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा के टिकट पर पडरौना विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा. चुनाव जीतने के बाद मौर्य को श्रम मंत्री बनाया गया था.

कैबिनेट मंत्री रहते कहा था, चुनाव बाद तय होगा सीएम
बता दें कि नवंबर, 2021 में ईटीवी भारत से बात करते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि यदि यूपी असेंबली इलेक्शन में भाजपा जीतती है तो अगला मुख्यमंत्री कौन होगा ? इसके जवाब में मौर्य ने कहा था कि यूपी में भाजपा सरकार एक बार फिर आएगी और योगी आदित्यनाथ दोबारा मुख्यमंत्री बनेंगे. हालांकि, यह भी दिलचस्प है कि कैबिनेट मंत्री रहते हुए जून, 2021 में स्वामी प्रसाद मौर्य ने कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर कहा था कि चुनाव के बाद ही मुख्यमंत्री तय होगा.

swami prasad maurya
स्वामी प्रसाद मौर्य (फाइल फोटो)

यह भी पढ़ें- ईटीवी भारत से बोले - स्वामी प्रसाद मौर्य, 'भाजपा नेताओं से परेशानी नहीं, दलितों के खिलाफ नीति से था असहज'

दारा सिंह चौहान का इस्तीफा
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP assembly elections) से पहले सियासी गतिविधियां तेजी से सामने आ रही हैं. नेताओं के दल बदलने का सिलसिला भी जारी है. बुधवार को वन मंत्री दारा सिंह चौहान ने भी मंत्रिमंडल से अपना इस्तीफा भेज दिया है. दारा सिंह चौहान ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को अपना इस्तीफा भेजा है. भारतीय जनता पार्टी के लिए मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद यह एक और बड़ा झटका माना जा रहा है. दारा सिंह चौहान ने भी दलितों पिछड़ों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया है.

यह भी पढ़ें- UP Assembly Election 2022: यूपी के कैबिनेट मंत्री दारा सिंह चौहान ने दिया इस्तीफा

मंत्री दारा सिंह चौहान भी 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे. 5 साल सरकार में मंत्री रहे और अब जब विधानसभा चुनाव सूचना जारी हो चुकी है तो उन्होंने भी स्वामी प्रसाद मौर्य की तरह मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है. सूत्रों का कहना है कि मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ दारा सिंह चौहान भी समाजवादी पार्टी में शामिल होंगे और बीजेपी के कई अन्य मंत्री भी स्वामी प्रसाद मौर्य संपर्क में है.

बता दें कि उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव 10 फरवरी से शुरू होंगे. निर्वाचन आयोग ने विधानसभा चुनाव कार्यक्रम का एलान गत जनवरी को किया था. मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा था कि यूपी में 10 फरवरी को पहले चरण का मतदान और 7 मार्च को सातवें चरण की वोटिंग होगी. वोटों की गिनती 10 मार्च को होगी.

यह भी पढ़ें- Up Election 2022 Schedule: जानिए, आपकी विधानसभा में कौन सी तारीख को होगा चुनाव

यूपी में 10 फरवरी को पहले चरण, 14 फरवरी को दूसरे चरण, 20 फरवरी को तीसरे चरण, 23 फरवरी को चौथे चरण, 27 फरवरी को पांचवे चरण का मतदान होगा. वहीं 3 मार्च को छठे चरण और 7 मार्च को सातवें चरण की मतदान होगा. 10 मार्च को मतगणना करायी जाएगी.

up elections 2022
सात चरणों में होंगे यूपी विधानसभा चुनाव

बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव- 2017 में भाजपा को अपने सहयोगी दलों के साथ 325 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. भाजपा को अकेले 40 प्रतिशत के लगभग वोट के साथ 312 सीटों पर जीत हासिल हुई थी जबकि उसके सहयोगी अपना दल ( एस ) को 9 और ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा को 4 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. 2017 में 21.82 प्रतिशत मत के साथ समाजवादी पार्टी को 47 और 22.23 प्रतिशत मत के साथ बहुजन समाज पार्टी को 19 सीटों पर जीत हासिल हुई थी.

लखनऊ : स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट (swami prasad maurya arrest warrant) जारी हुआ है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ वारंट सात साल पुराने मामले में जारी हुआ है. खबरों के मुताबिक साल 2014 में मौर्य ने देवी-देवताओं के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिया था. इस मामले में उन पर धार्मिक भावनाओं को भड़काने के आरोप लगे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक यूपी के सुलतानपुर में एमपी-एमएलए कोर्ट ने मौर्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट (swami prasad maurya sultanpur court warrant) जारी किया है.

24 जनवरी को कोर्ट में पेशी !
जानकारी के मुताबिक मौर्य को बुधवार 12 जनवरी को अदालत में पेश होने को कहा गया था, लेकिन मौर्य सुलतानपुर कोर्ट में पेश नहीं हो सके. इसके बाद एमपी-एमएलए कोर्ट ने मौर्य के खिलाफ वारंट जारी करते हुए उन्हें 24 जनवरी को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है. अदालत इस मामले में 24 जनवरी को सुनवाई करेगी.

कहां से शुरू हुआ मामला
एमपी-एमएलए/एसीजीएम कोर्ट के न्यायाधीश योगेश यादव ने बुधवार को सुनवाई के दौरान उनकी अनुपस्थिति पर एक बार फिर से गैर जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया. बीते लगभग डेढ़ साल से उनकी उपस्थिति नहीं होने के चलते अदालत से वारंट हुआ है. बता दें कि मौर्य की टिप्पणी को आपत्तिजनक बताते हुए अधिवक्ता अनिल तिवारी ने जिला सत्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. अदालत में मामला जाने के बाद 2016 में स्वामी प्रसाद मौर्य उच्च न्यायालय गए थे. मौर्य के खिलाफ निचली अदालत से जारी वारंट पर हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश जारी किया था.

स्वामी प्रसाद मौर्य के मामले में वारंट जारी होने के संबंध में वकील अनिल तिवारी का बयान

अनिल तिवारी ने कहा कि 2014 में उन्होंने परिवाद दायर कराया था. उन्होंने बताया कि मजिस्ट्रेट ने आईपीसी की धारा 295 के तहत स्वामी प्रसाद मौर्य को तलब किया था. वकील अनिल तिवारी ने बताया कि जिला जज न्यायालय ने मौर्य की याचिका खारिज कर दी थी. जिसके बाद हाईकोर्ट से मौर्य को स्टे मिल गया था. उन्होंने कहा कि 6 जनवरी को मौर्य को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली, जिसके बाद 12 जनवरी को मौर्य को एमपी-एमएलए कोर्ट में पेश होना था. मौर्य पेश नहीं हुए, इसलिए उनके खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी किया गया है.

मौर्य सपा में शामिल हुए हैं
बता दें कि मौर्य ने मंगलवार को भाजपा से नाता तोड़ समाजवादी पार्टी में शामिल (swami prasad maurya joins SP) होने का एलान किया था. मौर्य ने पहले राज्यपाल को यूपी कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा (swami prasad maurya resignation) देने का त्यागपत्र भेजा. इसके कुछ ही देर के बाद मौर्य अखिलेश यादव से मिले (swami prasad maurya akhilesh yadav meeting) और समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद तीन और नेताओं का इस्तीफा मंगलवार को ही सामने आया था.

swami prasad maurya
सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ स्वामी प्रसाद मौर्य (फाइल फोटो)

क्यों सुर्खियों में है मौर्य का इस्तीफा
मौर्य का पूर्वी और मध्य उत्तर प्रदेश के पिछड़े वर्गों में काफी प्रभाव माना जाता है. स्वामी प्रसाद मौर्य 5 बार विधायक रह चुके हैं. मौर्य 80 के दशक से ही राजनीति में सक्रिय हैं. 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा के टिकट पर पडरौना विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा. चुनाव जीतने के बाद मौर्य को श्रम मंत्री बनाया गया था.

कैबिनेट मंत्री रहते कहा था, चुनाव बाद तय होगा सीएम
बता दें कि नवंबर, 2021 में ईटीवी भारत से बात करते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि यदि यूपी असेंबली इलेक्शन में भाजपा जीतती है तो अगला मुख्यमंत्री कौन होगा ? इसके जवाब में मौर्य ने कहा था कि यूपी में भाजपा सरकार एक बार फिर आएगी और योगी आदित्यनाथ दोबारा मुख्यमंत्री बनेंगे. हालांकि, यह भी दिलचस्प है कि कैबिनेट मंत्री रहते हुए जून, 2021 में स्वामी प्रसाद मौर्य ने कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर कहा था कि चुनाव के बाद ही मुख्यमंत्री तय होगा.

swami prasad maurya
स्वामी प्रसाद मौर्य (फाइल फोटो)

यह भी पढ़ें- ईटीवी भारत से बोले - स्वामी प्रसाद मौर्य, 'भाजपा नेताओं से परेशानी नहीं, दलितों के खिलाफ नीति से था असहज'

दारा सिंह चौहान का इस्तीफा
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP assembly elections) से पहले सियासी गतिविधियां तेजी से सामने आ रही हैं. नेताओं के दल बदलने का सिलसिला भी जारी है. बुधवार को वन मंत्री दारा सिंह चौहान ने भी मंत्रिमंडल से अपना इस्तीफा भेज दिया है. दारा सिंह चौहान ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को अपना इस्तीफा भेजा है. भारतीय जनता पार्टी के लिए मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद यह एक और बड़ा झटका माना जा रहा है. दारा सिंह चौहान ने भी दलितों पिछड़ों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया है.

यह भी पढ़ें- UP Assembly Election 2022: यूपी के कैबिनेट मंत्री दारा सिंह चौहान ने दिया इस्तीफा

मंत्री दारा सिंह चौहान भी 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे. 5 साल सरकार में मंत्री रहे और अब जब विधानसभा चुनाव सूचना जारी हो चुकी है तो उन्होंने भी स्वामी प्रसाद मौर्य की तरह मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है. सूत्रों का कहना है कि मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ दारा सिंह चौहान भी समाजवादी पार्टी में शामिल होंगे और बीजेपी के कई अन्य मंत्री भी स्वामी प्रसाद मौर्य संपर्क में है.

बता दें कि उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव 10 फरवरी से शुरू होंगे. निर्वाचन आयोग ने विधानसभा चुनाव कार्यक्रम का एलान गत जनवरी को किया था. मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा था कि यूपी में 10 फरवरी को पहले चरण का मतदान और 7 मार्च को सातवें चरण की वोटिंग होगी. वोटों की गिनती 10 मार्च को होगी.

यह भी पढ़ें- Up Election 2022 Schedule: जानिए, आपकी विधानसभा में कौन सी तारीख को होगा चुनाव

यूपी में 10 फरवरी को पहले चरण, 14 फरवरी को दूसरे चरण, 20 फरवरी को तीसरे चरण, 23 फरवरी को चौथे चरण, 27 फरवरी को पांचवे चरण का मतदान होगा. वहीं 3 मार्च को छठे चरण और 7 मार्च को सातवें चरण की मतदान होगा. 10 मार्च को मतगणना करायी जाएगी.

up elections 2022
सात चरणों में होंगे यूपी विधानसभा चुनाव

बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव- 2017 में भाजपा को अपने सहयोगी दलों के साथ 325 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. भाजपा को अकेले 40 प्रतिशत के लगभग वोट के साथ 312 सीटों पर जीत हासिल हुई थी जबकि उसके सहयोगी अपना दल ( एस ) को 9 और ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा को 4 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. 2017 में 21.82 प्रतिशत मत के साथ समाजवादी पार्टी को 47 और 22.23 प्रतिशत मत के साथ बहुजन समाज पार्टी को 19 सीटों पर जीत हासिल हुई थी.

Last Updated : Jan 12, 2022, 6:49 PM IST
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