लखनऊ: सहाराश्री सुब्रत राय सहारा ने स्कूटर से नमकीन बेचने का काम शुरू किया हो और फिर वह रियल एस्टेट, फाइनेंस, इन्फ्रास्ट्रक्चर, मीडिया, एंटरटेनमेंट, हेल्थ केयर, हॉस्पिटैलिटी, रिटेल, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और एयरलाइन सेक्टर तक धमक बनाई हो, उसकी मौत ने कारोबारी जगत ने स्तब्ध कर दिया है.
कभी सत्ता के गलियारों में तूती बोलती थी, सरकार बनने और बिगड़ने में उनकी अहम भूमिका हुआ करती थी. ऐसे में 27 फरवरी 2014 को ऐसा क्या हुआ कि राजधानी के गोमती नगर स्थिति सहारा शहर में अचानक लखनऊ पुलिस की भरी भरकम फौज आ धमकी और पूरे सहारा शहर परिसर में सुब्रत रॉय की तलाशी शुरू हुई.
IPO लाने के चक्कर में सेबी के चक्कर में फंसे सुब्रत राय
सुब्रत रॉय की सहारा ग्रुप की 2 कंपनियों-सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड ने रियल एस्टेट में निवेश के नाम पर 3 करोड़ निवेशकों से 17,400 करोड़ रुपए वसूले थे. सहारा ग्रुप अपना आईपीओ लाना चाहता था, ऐसे में कंपनी ने सितंबर 2009 को सेबी के पास दस्तावेज जमा कर दिए। सेबी को सहारा ग्रुप द्वारा जमा किए गए दस्तावेजों में कई गड़बड़िया मिली, जिसके बाद एजेंसी ने अगस्त 2010 में ग्रुप की दोनों कंपनियों की जांच के आदेश दे दिए। जांच में कंपनी में झोल दिखा इतना ही नहीं निवेशकों ने भी हंगामा करना शुरू कर दिया। ऐसे में मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। 31 अगस्त 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह की दोनों कंपनियों को निवेशकों के 36 हजार करोड़ रुपए लौटाने का आदेश दिया.
SC ने 18 माह में निवेशकों को 36 हजार करोड़ लौटने के निर्देश दिए
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मानों सहारा ग्रुप और निवेशकों में हलचल मच चुकी थी। सहारा ग्रुप की ओर से मशहूर वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में ग्रुप की ओर से दलील रखी और कहा कि 18 महीने में 36 हजार करोड़ रुपए नहीं चुका पाएंगे. उनकी तरफ से कोर्ट को बताया गया कि दुनिया का कोई भी बिजनेस हाउस इतने कम समय में इतनी बड़ी रकम नहीं चुका सकता. इस दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस रकम को तो चुकाना ही पड़ेगा. बावजूद इसके सहारा ग्रुप ने न ही निवेशकों के पैसे चुकाए और न ही सुप्रीम कोर्ट में पेश हो रहे थे. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट सख्त हुआ और सुब्रत रॉय के खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी किया. पुलिस द्वारा सुब्रत रॉय को गिरफ्तार न किए जाने से कोर्ट फिर नाराज हुआ और उन्हे कोर्ट के सामने पेश करने के लिए लखनऊ पुलिस को फटकार लगाई.
न पैसे दिए और न ही कोर्ट में पेश हुए
27 फरवरी 2014, राजधानी के सीजेएम आनंद कुमार की कोर्ट ने लखनऊ पुलिस को निर्देश दिए कि किसी भी हाल में सुब्रत रॉय सहारा को आज ही कोर्ट के सामने पेश किया जाए. समय बीतता गया, लेकिन न ही कोर्ट में सुब्रत रॉय पहुंचे और न उनका कोई वकील, ऐसे में सीजेएम नाराज हुए और उन्होंने पुलिस से पूछा कि दस मिनट का रास्ता तय करने में इतनी देर क्यों, आज जब तक सुब्रत रॉय कोर्ट के सामने नहीं आते है तब तक कोर्ट बैठी रहेगी. न्यायालय की फटकार लगते ही पुलिस महकमे में हलचल मच गई.
सरकार में पैठ के बाद भी गिरफ्तार किए गए थे सुब्रत रॉय
वर्ष 2014, केंद्र में कांग्रेस और यूपी में अखिलेश यादव की सरकार थी. सुब्रत रॉय के संबंध दोनो ही सरकारों से थे, लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट से जुड़ा था ऐसे में पुलिस कार्रवाई करनी पड़ी। 27 फरवरी 2014 को ही करीब एक दर्जन गाड़ियों के साथ लखनऊ पुलिस की फौज गोमती नगर स्थिति सहारा शहर पहुंची, जहां सुब्रत रॉय रहते हैं. पहले तो पुलिस को शहर शहर के अंदर घुसने से ही रोक दिया गया, लेकिन जब वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रेशर बनाया तो पुलिस अंदर चली गई. करीब डेढ़ घंटे तक तलाशी अभियान चला और पुलिस बैरंग लौट गई.
सहारा शहर से पुलिस के लौटने के थोड़ी देर बाद सूचना मिली कि सुब्रत रॉय सहारा को लखनऊ के सीजेएम आनंद कुमार के सामने पेश कर दिया गया है. पुलिस ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने सहारा को गिरफ्तार किया है, लेकिन सहारा के वकील का कहना था कि उन्होंने सरेंडर किया है. सुब्रत रॉय ने कहा कि वह न्यायपालिका में विश्वास रखते हैं. वह कोर्ट के हर आदेश का सम्मान करते हैं लेकिन व्यक्तिगत रूप से चाहते हैं कि वह अपनी बीमार मां के साथ रहें. ऐसे में उन्हें हाउस अरेस्ट कर लिया जाए. वहीं पुलिस ने सहारा की रिमांड मांग ली. ऐसे में कोर्ट ने सुब्रत को चार मार्च 2014 तक पुलिस रिमांड में भेज दिया और 4 मार्च को दो बजे तक सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश करने के लिए पुलिस को निर्देश दिए जिसके बाद 4 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने सहारा श्री को जेल भेज दिया, लेकिन दो साल जेल में रहने के बाद मां की मौत होने के चलते उन्हें पैरोल मिल गई और तब से ही पैरोल बढ़ती जा रही थी.