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पंजाब में पराली जलाने का सिलसिला फिर से शुरू, सामने आए 630 मामले

पंजाब में एक बार फिर पराली जलाने का सिलसिला शुरू हो गया है. इसी क्रम में किसानों ने धान की कटाई के बाद पराली जलाना शुरू कर दिया है. पंजाब में इस मानसून सीजन में अब तक पराली जलाने के 630 मामले सामने आ चुके हैं.

Stubble burning continues in Punjab
पंजाब में पराली जलाने का सिलसिला फिर से शुरू
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Published : Oct 7, 2022, 3:00 PM IST

Updated : Oct 7, 2022, 11:04 PM IST

चंडीगढ़/अमृतसर : पंजाब सरकार की सख्ती और जागरूकता अभियान के बावजूद खेतों में पराली जलाई जा रही है. धान की कटाई के साथ पराली जलाने के मामले बढ़ रहे हैं. पंजाब में इस मानसून सीजन में अब तक पराली जलाने के 630 मामले सामने आ चुके हैं. इनमें अमृतसर जिला सबसे आगे है जबकि दूसरे नंबर पर तरनतारन है. उधर, पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव करुणेश गर्ग का कहना है कि पराली जलाने की घटनाओं से संबंधित जिलों के प्रशासन को अवगत करा दिया गया है. इसके बाद प्रशासन को आगे की कार्रवाई करनी होगी. उन्होंने कहा कि पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में किसानों को लगातार जागरूक किया जा रहा है. इससे पर्यावरण भी काफी हद तक प्रदूषित होता है.

  • What happened to the decomposer on which ₹68 lakh was spent & a whopping ₹23 cr was blown up to advertise Kejriwal for it? Isn’t it being used in Punjab? Why is there stubble burning in Punjab???? Sooner than later Delhi will face pollution & frankly nothing has been done! pic.twitter.com/xtWNmFLQWs

    — Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) October 7, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

आईसीएआर द्वारा प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में इस मानसून सीजन में गुरुवार को पूरे पंजाब में एक ही दिन में पराली जलाने के 85 नए मामले सामने आए हैं. पराली जलाने के मामले में अमृतसर में पराली जलाने के 419 मामले सामने आए हैं. वहीं तरनतारन 106 मामलों के साथ दूसरे, पटियाला 22 मामलों के साथ तीसरे नंबर पर, कपूरथला 19 मामलों के साथ चौथे नंबर पर है. इसी तरह फिरोजपुर में 15, जालंधर में 12, गुरदासपुर में 7, लुधियाना में छह, एसएएस में 4, संगरूर में सात, बरनाला, मोगा और फरीदकोट में दो-दो और फतेहगढ़ साहिब में तीन मामले सामने आए हैं.

वहीं यूनिवर्सिटी स्पेस रिसर्च एसोसिएशन (यूएसआरए) के वरिष्ठ वैज्ञानिक पवन गुप्ता ने ट्वीट किया है कि 2020 में पूरे सीजन के दौरान पंजाब में पराली जलाने के 72373 मामले सामने आए. इसमें 16 नवंबर तक 74015 मामले सामने आए थे. वहीं अमृतसर के एक किसान ने दावा किया है कि पराली को हटाने के लिए हमारे पास मशीनरी नहीं है. इसके अलावा हमारे पास बहुत कम जमीन है और इसे खुद काटने के लिए संसाधन नहीं हैं, इसे जलाना ही एकमात्र उपाय है जो संभव है.

बता दें कि केंद्र सरकार ने धान की पराली जलाए जाने पर कारगर ढंग से लगाम लगाने के लिए पंजाब सरकार को एक व्यापक कार्ययोजना बनाने के कहा है. कृषि मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव अभिलक्ष लिखी ने पंजाब सरकार के अधिकारियों को पराली जलाने पर नियंत्रण करने के लिए एक विस्तृत योजना बनाने के लिए कहा था. धान की कटाई के बाद पंजाब में पराली जलाने का सिलसिला शुरू हो जाता है जिससे दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से वायु गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता रहा है.

एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, लीखी ने पंजाब के एसएएस नगर जिले की खरार तहसील में फसल अवशिष्ट प्रबंधन पर आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए पराली प्रबंधन के लिए कार्ययोजना बनाकर काम करने की जरूरत पर बल दिया था. राज्यों को मशीनों का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करने, फसल अवशिष्ट प्रबंधन (सीआरएम) मशीनों के साथ पूरक ढंग से जैव-अपघटक का इस्तेमाल बढ़ाने और बायोमास-आधारित बिजली संयंत्रों जैसे उद्योगों से आने वाली मांग को पूरा करने के लिए पुआल-भूसे का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए भी कहा गया है.

ये भी पढ़ें - दिल्ली में जुटे किसान संगठन, कहा-न्यूनतम मजदूरी हो सकती है तो MSP गारंटी क्यों नहीं?

चंडीगढ़/अमृतसर : पंजाब सरकार की सख्ती और जागरूकता अभियान के बावजूद खेतों में पराली जलाई जा रही है. धान की कटाई के साथ पराली जलाने के मामले बढ़ रहे हैं. पंजाब में इस मानसून सीजन में अब तक पराली जलाने के 630 मामले सामने आ चुके हैं. इनमें अमृतसर जिला सबसे आगे है जबकि दूसरे नंबर पर तरनतारन है. उधर, पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव करुणेश गर्ग का कहना है कि पराली जलाने की घटनाओं से संबंधित जिलों के प्रशासन को अवगत करा दिया गया है. इसके बाद प्रशासन को आगे की कार्रवाई करनी होगी. उन्होंने कहा कि पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में किसानों को लगातार जागरूक किया जा रहा है. इससे पर्यावरण भी काफी हद तक प्रदूषित होता है.

  • What happened to the decomposer on which ₹68 lakh was spent & a whopping ₹23 cr was blown up to advertise Kejriwal for it? Isn’t it being used in Punjab? Why is there stubble burning in Punjab???? Sooner than later Delhi will face pollution & frankly nothing has been done! pic.twitter.com/xtWNmFLQWs

    — Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) October 7, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

आईसीएआर द्वारा प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में इस मानसून सीजन में गुरुवार को पूरे पंजाब में एक ही दिन में पराली जलाने के 85 नए मामले सामने आए हैं. पराली जलाने के मामले में अमृतसर में पराली जलाने के 419 मामले सामने आए हैं. वहीं तरनतारन 106 मामलों के साथ दूसरे, पटियाला 22 मामलों के साथ तीसरे नंबर पर, कपूरथला 19 मामलों के साथ चौथे नंबर पर है. इसी तरह फिरोजपुर में 15, जालंधर में 12, गुरदासपुर में 7, लुधियाना में छह, एसएएस में 4, संगरूर में सात, बरनाला, मोगा और फरीदकोट में दो-दो और फतेहगढ़ साहिब में तीन मामले सामने आए हैं.

वहीं यूनिवर्सिटी स्पेस रिसर्च एसोसिएशन (यूएसआरए) के वरिष्ठ वैज्ञानिक पवन गुप्ता ने ट्वीट किया है कि 2020 में पूरे सीजन के दौरान पंजाब में पराली जलाने के 72373 मामले सामने आए. इसमें 16 नवंबर तक 74015 मामले सामने आए थे. वहीं अमृतसर के एक किसान ने दावा किया है कि पराली को हटाने के लिए हमारे पास मशीनरी नहीं है. इसके अलावा हमारे पास बहुत कम जमीन है और इसे खुद काटने के लिए संसाधन नहीं हैं, इसे जलाना ही एकमात्र उपाय है जो संभव है.

बता दें कि केंद्र सरकार ने धान की पराली जलाए जाने पर कारगर ढंग से लगाम लगाने के लिए पंजाब सरकार को एक व्यापक कार्ययोजना बनाने के कहा है. कृषि मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव अभिलक्ष लिखी ने पंजाब सरकार के अधिकारियों को पराली जलाने पर नियंत्रण करने के लिए एक विस्तृत योजना बनाने के लिए कहा था. धान की कटाई के बाद पंजाब में पराली जलाने का सिलसिला शुरू हो जाता है जिससे दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से वायु गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता रहा है.

एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, लीखी ने पंजाब के एसएएस नगर जिले की खरार तहसील में फसल अवशिष्ट प्रबंधन पर आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए पराली प्रबंधन के लिए कार्ययोजना बनाकर काम करने की जरूरत पर बल दिया था. राज्यों को मशीनों का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करने, फसल अवशिष्ट प्रबंधन (सीआरएम) मशीनों के साथ पूरक ढंग से जैव-अपघटक का इस्तेमाल बढ़ाने और बायोमास-आधारित बिजली संयंत्रों जैसे उद्योगों से आने वाली मांग को पूरा करने के लिए पुआल-भूसे का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए भी कहा गया है.

ये भी पढ़ें - दिल्ली में जुटे किसान संगठन, कहा-न्यूनतम मजदूरी हो सकती है तो MSP गारंटी क्यों नहीं?

Last Updated : Oct 7, 2022, 11:04 PM IST
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