काबुल : अफगानिस्तान के कुनार प्रांत (Afghanistan's Kunar province ) की राजधानी असदाबाद में गुरुवार को तालिबान आतंकियों ने देश के 102वें स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) के उपलक्ष्य में आयोजित एक रैली में राष्ट्रीय ध्वज लहरा (waving the national flag ) रहे लोगों पर कथित तौर पर गोलियां चलाई. इस घटना में कई लोगों की मौत हो गई है.
यह घटना देश के नंगरहार प्रांत (Nangarhar province) की राजधानी जलालाबाद में इसी तरह के विरोध प्रदर्शन में तीन लोगों के मारे जाने के एक दिन बाद हुई है. फिलहाल तालिबान की ओर से इस पर कोई बयान जारी नहीं किया गया है.
इससे पहले तालिबान ने गुरुवार को यह घोषणा करते हुए स्वतंत्रता दिवस मनाया (Taliban celebrated Independence Day) कि उसने दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका को हरा दिया है.
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कट्टरपंथी संगठन ने पिछले रविवार को काबुल पर नियंत्रण कर लिया और अब दूसरी बार अफगानिस्तान पर शासन करने के लिए तैयार है. बता दें कि हर साल 19 अगस्त को अफगानिस्तान में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है.
तालिबान के सत्ता में आने के बाद किस तरह का दहशत है और वह भी आज के दिन, वहां के एक पत्रकार ने साझा की है.
तालिबान के, राजधानी काबुल पर कब्जा करने के बाद से अपने परिवार के साथ अपने घर के अंदर बंद पत्रकार अख्तरबीर अख्तर बेसब्री से 19 अगस्त को अफगानिस्तान के स्वतंत्रता दिवस का इंतजार कर रहे थे, लेकिन अब उनका कहना है कि इस बार स्वतंत्रता दिवस पर हम अफगान खुद को कैदी की तरह महसूस कर रहे हैं.
पूर्व पत्रकार अख्तर का कहना है कि पिछले कुछ दिनों में हुई घटनाओं ने उनकी रातों की नींद उड़ा दी है. काबुल से 54 वर्षीय अख्तर ने बताया, '19 अगस्त हमारा स्वतंत्रता दिवस है और हम हर साल इस अवसर पर दावत करते हैं और बहुत उल्लास के साथ यह दिन मनाते हैं. लोग अपने घरों को सजाते हैं और देश के झंडे लगाते हैं, मौज-मस्ती करते हैं, सजे-धजे बाजारों में जाते हैं, रंगीन राष्ट्रीय कपड़े पहनते हैं और राष्ट्रीय नृत्य अत्तन करते हैं. वह सब आज गायब है.'
अफगानिस्तान में फोन लाइन और इंटरनेट काम कर रहे हैं, नेटवर्क कनेक्शन में दिक्कत आ रही है और उनकी आवाज कभी-कभी कांप जाती है और फिर भी उन्होंने अपनी मातृभूमि की स्थिति पर अपनी भावनाओं को प्रकट किया. उन्होंने कहा, 'अफगान 19 अगस्त मनाते हैं, लेकिन सरकार गिर गई है, आजादी की क्या बात करें. लोग काबुल से कंधार तक अपने घरों के अंदर बंद हैं और बाहर निकलने से डरते हैं क्योंकि तालिबान के लोग सड़कों पर मार्च कर रहे हैं. हम सभी हमारी आजादी की सालगिरह पर कैदियों की तरह महसूस कर रहे हैं.'
उन्होंने कहा कि खाद्य और अन्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ गई हैं क्योंकि सीमाएं व्यावहारिक रूप से सील कर दी गई हैं.
एक सरकारी अधिकारी के रूप में काम करने वाले अख्तर अपनी पत्नी और 27 और 18 साल की दो बेटियों के साथ काबुल में रहते हैं, जबकि उसका बड़ा बेटा जर्मनी में काम करता है और छोटा बीजिंग के एक विश्वविद्यालय में पढ़ रहा है.
उन्होंने कहा, 'मेरी पत्नी एक निजी अस्पताल में कार्यरत है. वह अब काम पर जाने से डरती है. मेरी बड़ी बेटी जो पहले एक बैंक में काम करती थी, अनिश्चितता की स्थिति महसूस कर रही है और मेरी छोटी बेटी जो एक कॉलेज जाने और उच्च अध्ययन करने का सपना देख रही थी, वह अब सोच रही है कि क्या उसे तालिबान द्वारा अध्ययन करने और स्वतंत्र रूप से जीने की अनुमति दी जाएगी.'
अख्तर इस महीने की शुरुआत में तालिबान के हमले के बाद से कार्यालय नहीं गये है. उन्होंने अफसोस जताया कि अफगानिस्तान अनिश्चितता की खाई में चला गया है.
उन्होंने कहा कि यहां अब कोई नहीं रहना चाहता क्योंकि उन्हें अपनी जान का खतरा है. मेरे कुछ रिश्तेदार और दोस्त भी राजधानी शहर से उड़ान भरने के लिए काबुल हवाई अड्डे पर गए थे, लेकिन वे जा नहीं सके, इसलिए अपने घरों को लौट गए.
अख्तर परिवार की कहानी पूरे अफगानिस्तान में हजारों परिवारों की कहानी है. तालिबान ने इस महीने देश के लगभग सभी प्रांतों और काबुल पर कब्जा कर लिया.