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केंद्र के हलफनामा दाखिल नहीं करने पर न्यायालय ने नाराजगी जताई

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को केंद्र के द्वारा एक याचिका पर अभी तक जवाबी हलफनामा दाखिल नहींं करने पर नाराजगी जताई. साथ ही कोर्ट ने सरकार को 7,500 रुपये का अर्थदंड जमा करने की सूरत में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का 'एक और अवसर' दिया है.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Jan 31, 2022, 4:47 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने सोमवार को इस बात पर नाराजगी जाहिर कि केंद्र ने अभी तक उस याचिका पर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया है, जिसमें राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थान अधिनियम 2004 की धारा 2 (एफ) की वैधता को चुनौती दी गई है. न्यायालय ने सरकार को 7,500 रुपये का अर्थदंड जमा करने की सूरत में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का 'एक और अवसर' दिया है.

वैकल्पिक रूप में, याचिका में केंद्र को राज्य स्तर पर अल्पसंख्यक की पहचान के लिए दिशा-निर्देश देने का निर्देश देने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि 10 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं लेकिन वे अल्पसंख्यकों के लिए बनाई गई योजनाओं का लाभ उठाने में सक्षम नहीं हैं. शीर्ष अदालत ने सात जनवरी को केंद्र को चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का 'अंतिम अवसर' दिया था. न्यायालय ने कहा था कि सरकार को इस मुद्दे पर 'एक रुख' अपनाना होगा.न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ को सोमवार को सूचित किया गया कि केंद्र ने सुनवाई स्थगित करने के अनुरोध के साथ एक पत्र प्रसारित किया है.

याचिकाकर्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि उन्हें केंद्र द्वारा केवल सीमित उद्देश्य के लिए प्रसारित पत्र पर आपत्ति है क्योंकि मामले में सरकार का रुख महत्वपूर्ण होगा और उन्हें कम से कम इसमें तेजी लानी चाहिए. पीठ ने केंद्र की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) के एम नटराज से कहा, 'आपने एक पत्र प्रसारित किया है लेकिन आप केवल पत्र प्रसारित कर रहे हैं. बाकी सब कुछ हो रहा है. आपको एक रुख अपनाना होगा.'

ये भी पढ़ें - India Israel defence deal : सुप्रीम कोर्ट में याचिका, अमेरिकी अखबार की रिपोर्ट पर जांच की मांग

एएसजी ने कोविड-19 की स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि सरकार इसपर कोई फैसला लेगी. पीठ ने कहा कि याचिका पर 28 अगस्त 2020 को नोटिस जारी किया गया था. न्यायालय ने कहा, 'ऐसे बहाने मत बनाइए जिन्हें स्वीकार करना हमारे लिए बेहद मुश्किल हो.' पीठ ने कहा कि यह 'अनुचित' है कि केंद्र ने अभी तक जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया है. पीठ ने कहा, 'हम याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील के अनुरोध के अनुसार एससीबीए (सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन) अधिवक्ता कल्याणा निधि में 7,500 रुपये की रकम जमा करने पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का एक और अवसर प्रदान करते हैं.' इस मामले में अगली सुनवाई 28 मार्च को होगी.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने सोमवार को इस बात पर नाराजगी जाहिर कि केंद्र ने अभी तक उस याचिका पर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया है, जिसमें राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थान अधिनियम 2004 की धारा 2 (एफ) की वैधता को चुनौती दी गई है. न्यायालय ने सरकार को 7,500 रुपये का अर्थदंड जमा करने की सूरत में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का 'एक और अवसर' दिया है.

वैकल्पिक रूप में, याचिका में केंद्र को राज्य स्तर पर अल्पसंख्यक की पहचान के लिए दिशा-निर्देश देने का निर्देश देने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि 10 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं लेकिन वे अल्पसंख्यकों के लिए बनाई गई योजनाओं का लाभ उठाने में सक्षम नहीं हैं. शीर्ष अदालत ने सात जनवरी को केंद्र को चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का 'अंतिम अवसर' दिया था. न्यायालय ने कहा था कि सरकार को इस मुद्दे पर 'एक रुख' अपनाना होगा.न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ को सोमवार को सूचित किया गया कि केंद्र ने सुनवाई स्थगित करने के अनुरोध के साथ एक पत्र प्रसारित किया है.

याचिकाकर्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि उन्हें केंद्र द्वारा केवल सीमित उद्देश्य के लिए प्रसारित पत्र पर आपत्ति है क्योंकि मामले में सरकार का रुख महत्वपूर्ण होगा और उन्हें कम से कम इसमें तेजी लानी चाहिए. पीठ ने केंद्र की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) के एम नटराज से कहा, 'आपने एक पत्र प्रसारित किया है लेकिन आप केवल पत्र प्रसारित कर रहे हैं. बाकी सब कुछ हो रहा है. आपको एक रुख अपनाना होगा.'

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एएसजी ने कोविड-19 की स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि सरकार इसपर कोई फैसला लेगी. पीठ ने कहा कि याचिका पर 28 अगस्त 2020 को नोटिस जारी किया गया था. न्यायालय ने कहा, 'ऐसे बहाने मत बनाइए जिन्हें स्वीकार करना हमारे लिए बेहद मुश्किल हो.' पीठ ने कहा कि यह 'अनुचित' है कि केंद्र ने अभी तक जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया है. पीठ ने कहा, 'हम याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील के अनुरोध के अनुसार एससीबीए (सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन) अधिवक्ता कल्याणा निधि में 7,500 रुपये की रकम जमा करने पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का एक और अवसर प्रदान करते हैं.' इस मामले में अगली सुनवाई 28 मार्च को होगी.

(पीटीआई-भाषा)

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