ETV Bharat / bharat

यूक्रेन से लौटे छात्रों को विदेश से मेडिकल कोर्स पूरा करने में मदद करे सरकार: सुप्रीम कोर्ट - यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों का मामला

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वह यूक्रेन से लौटे छात्रों को विदेश से मेडिकल कोर्स पूरा करने में मदद करे. इससे पहले केंद्र सरकार ने अदालत में कहा कि वह यूक्रेन से लौटे 20,000 छात्रों को भारत में समायोजित नहीं कर सकती और उन्हें विदेशी कॉलेजों में जाना होगा.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Sep 16, 2022, 3:07 PM IST

Updated : Sep 16, 2022, 3:32 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को युद्धग्रस्त यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों के लिए एक पोर्टल स्थापित करने का सुझाव दिया, जिसमें विदेशी कॉलेजों में उपलब्ध सीटों और इन छात्रों को विदेश में अपनी चिकित्सा शिक्षा जारी रखने में मदद करने के लिए फीस व अन्य विवरण शामिल हो. शीर्ष अदालत का यह सुझाव सरकार की इस दलील के जवाब में आया कि वह यूक्रेन से लौटे 20,000 छात्रों को भारत में समायोजित नहीं कर सकती और उन्हें विदेशी कॉलेजों में जाना होगा.

अदालत ने 20,000 छात्रों को समायोजित करने की व्यवहार्यता समस्या (feasibility problem) को स्वीकार किया, लेकिन कहा कि सरकार को छात्रों को समायोजित करने में पूरी मदद करनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'भारत सरकार के पास यह पता लगाने के लिए संसाधन हैं कि किन देशों में इतनी सीटें हैं. छात्रों को पारदर्शी विकल्प दें. आपको उन भारतीय छात्रों के लिए समन्वय करना चाहिए जिन्हें अब वैकल्पिक योजना के तहत विदेश जाना होगा. हमारे उच्चायोगों को उनकी मदद करनी चाहिए. पोर्टल शुरू करें, कॉलेजों में उपलब्ध सीटों, फीस जैसे विवरण पोस्ट करें. सुनिश्चित करें कि उन्हें एजेंटों द्वारा नहीं लूटा जाए.'

केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत के सुझावों पर सरकार से निर्देश लेने के लिए समय मांगा और कहा कि वह इस मामले पर प्रतिकूल रुख नहीं अपना रहे हैं और निर्देशों के अनुसार जवाब देंगे. तुषार मेहता ने अदालत को यह भी बताया कि जो छात्र अपनी क्लीनिकल ट्रेनिंग पूरी नहीं कर सके, उन्हें भारत में पूरा करने की अनुमति दी गई है और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने भी छात्रों को अपना पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए विदेशी विश्वविद्यालयों में गतिशीलता के संबंध में निर्णय लिया है.

सुनवाई के दौरान इस बात पर भी जोर दिया गया कि भाषा की बाधा उन प्रमुख समस्याओं में से एक होने जा रही है जिनका सामना छात्रों को दूसरे देश में जाने के दौरान करना पड़ेगा. अदालत ने कहा, 'अगर छात्र अपना कोर्स पूरा करना चाहते हैं तो उन्हें कोई रास्ता निकालना होगा.'

न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ उन छात्रों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जो मेडिकल करने के लिए यूक्रेन गए थे लेकिन रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद उन्हें लौटना पड़ा. छात्र अदालत से केंद्र को निर्देश देने की मांग कर रहे थे कि उन्हें भारत में अपना मेडिकल कोर्स पूरा करने की अनुमति दी जाए क्योंकि वे यूक्रेन नहीं लौट सकते. सुप्रीम कोर्ट 23 सितंबर को मामले की फिर सुनवाई करेगा.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को युद्धग्रस्त यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों के लिए एक पोर्टल स्थापित करने का सुझाव दिया, जिसमें विदेशी कॉलेजों में उपलब्ध सीटों और इन छात्रों को विदेश में अपनी चिकित्सा शिक्षा जारी रखने में मदद करने के लिए फीस व अन्य विवरण शामिल हो. शीर्ष अदालत का यह सुझाव सरकार की इस दलील के जवाब में आया कि वह यूक्रेन से लौटे 20,000 छात्रों को भारत में समायोजित नहीं कर सकती और उन्हें विदेशी कॉलेजों में जाना होगा.

अदालत ने 20,000 छात्रों को समायोजित करने की व्यवहार्यता समस्या (feasibility problem) को स्वीकार किया, लेकिन कहा कि सरकार को छात्रों को समायोजित करने में पूरी मदद करनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'भारत सरकार के पास यह पता लगाने के लिए संसाधन हैं कि किन देशों में इतनी सीटें हैं. छात्रों को पारदर्शी विकल्प दें. आपको उन भारतीय छात्रों के लिए समन्वय करना चाहिए जिन्हें अब वैकल्पिक योजना के तहत विदेश जाना होगा. हमारे उच्चायोगों को उनकी मदद करनी चाहिए. पोर्टल शुरू करें, कॉलेजों में उपलब्ध सीटों, फीस जैसे विवरण पोस्ट करें. सुनिश्चित करें कि उन्हें एजेंटों द्वारा नहीं लूटा जाए.'

केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत के सुझावों पर सरकार से निर्देश लेने के लिए समय मांगा और कहा कि वह इस मामले पर प्रतिकूल रुख नहीं अपना रहे हैं और निर्देशों के अनुसार जवाब देंगे. तुषार मेहता ने अदालत को यह भी बताया कि जो छात्र अपनी क्लीनिकल ट्रेनिंग पूरी नहीं कर सके, उन्हें भारत में पूरा करने की अनुमति दी गई है और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने भी छात्रों को अपना पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए विदेशी विश्वविद्यालयों में गतिशीलता के संबंध में निर्णय लिया है.

सुनवाई के दौरान इस बात पर भी जोर दिया गया कि भाषा की बाधा उन प्रमुख समस्याओं में से एक होने जा रही है जिनका सामना छात्रों को दूसरे देश में जाने के दौरान करना पड़ेगा. अदालत ने कहा, 'अगर छात्र अपना कोर्स पूरा करना चाहते हैं तो उन्हें कोई रास्ता निकालना होगा.'

न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ उन छात्रों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जो मेडिकल करने के लिए यूक्रेन गए थे लेकिन रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद उन्हें लौटना पड़ा. छात्र अदालत से केंद्र को निर्देश देने की मांग कर रहे थे कि उन्हें भारत में अपना मेडिकल कोर्स पूरा करने की अनुमति दी जाए क्योंकि वे यूक्रेन नहीं लौट सकते. सुप्रीम कोर्ट 23 सितंबर को मामले की फिर सुनवाई करेगा.

Last Updated : Sep 16, 2022, 3:32 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.