लखनऊ : राजधानी जेल से पेशी के लिए सिविल कोर्ट आए पश्चिमी यूपी के गैंगस्टर संजीव जीवा की कोर्ट के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई. हत्यारे वकील के वेश में आये थे. जीवा ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड का मुख्य आरोपी था और इसी हत्याकांड की सजा काट रहा था. आइए जानते हैं कि आखिर कौन है संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा, जिसके नाम से कभी लोग कांपते थे.
जिसने दी नौकरी उसी का कर लिया अपहरण : शामली जिले के नगर कोतवाली क्षेत्र के गांव आदमपुर का रहने वाला संजीव माहेश्वरी गांव के ही क्लीनिक में कंपाउंडर था. रोजाना सुबह 10 बजे दवाखाना पहुंचना और दवाओं की पुड़िया बनाना उसकी रोज़मर्रा की जिंदगी का एक हिस्सा बन गया था, लेकिन एक दिन संजीव जीवा के डॉक्टर ने बताया कि 'एक व्यक्ति ने उससे उधार लिया था, लेकिन वापस नहीं कर रहा है. जीवा गया और न पता कैसे लेकिन पूरे पैसे लेकर डॉक्टर के हाथ में रख दिये. बस इसी घटना ने पश्चिमी यूपी में एक और अपराधी को जन्म दे दिया था.
अपहरण कर दो करोड़ की फिरौती मांगने से चर्चा में आया जीवा : डॉक्टर के एक आदेश में उधार के पैसे वसूल लाने वाले संजीव जीवा के सपने सिर्फ दवा की पुड़िया बनाने तक सीमित नहीं थे. अब उसे कंपाउंडर से जरायम की दुनिया का डॉक्टर बनना था. वसूली करने का गुण एक झटके में सीखने वाले संजीव ने अपराध करने की बोहनी अपने डॉक्टर मालिक से की और उसे ही अगवा कर लिया. संजीव को अब अगवा करने की विधा भी आ चुकी थी. साल 1992 को संजीव ने कोलकाता के एक व्यापारी के बेटे का अपहरण कर लिया. संजीव को जरायम की दुनिया बेताज बादशाह बनना था, इसलिए उसने ऐसी फिरौती मांगी की न सिर्फ यूपी और कलकत्ता बल्कि पूरे देश में सनसनी मच गई. संजीव जीवा ने व्यापारी से लड़के को छोड़ने के एवज में दो करोड़ रुपये की डिमांड की थी. अब ये खबर आग की तरह शामली से निकलकर उस मुजफ्फरनगर तक पहुंच गई जहां सिर्फ गन्ने की नहीं बल्कि असलहों की भी खेती हुआ करती थी. मुजफ्फरनगर के हाईप्रोफाइल अपराधी रवि प्रकाश तक संजीव का किस्सा पहुंचा तो उसने संजीव को अपना शिष्य बना लिया. संजीव ने अपराध का ककहरा हाईप्रोफाइल अपराधी रविप्रकाश से सीखा. अपराध की दुनिया के सभी दांवपेच सीखने के बाद संजीव ने सबसे पहले हरिद्वार के नाजिम गैंग के साथ काम करना शुरू किया. उसके बाद वो सतेंद्र बरनाला नाम के एक गैंगस्टर के लिए काम करने लगा. दूसरों के लिए काम करते-करते संजीव खुद का नाम बनाना चाहता था. इसलिए संजीव ने अपना गैंग भी बना लिया, जिसमें उसके साथ रवि प्रकाश, जितेंद्र उर्फ भूरी और रमेश ठाकुर जुड़ गए.
BJP विधायक की जीवा ने हत्या कर मचाई सनसनी : 90 के दशक में पूर्वी उत्तर प्रदेश से लेकर पश्चिमी यूपी तक मुख्तार अंसारी, ब्रजेश सिंह, मुन्ना बजरंगी, बदन सिंह बद्दो और भोला जाट जैसे माफ़िया का दबदबा कायम था. उस वक़्त संजीव जीवा अपने छोटे से गैंग को ऑपरेट कर लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना चाह रहा था. जीवा के दिल में अब पूरे राज्य में राज करने की लहर उफान पर थी, इसलिए उसने ऐसा काम किया जिसने उत्तर प्रदेश में भूचाल ला दिया. संजीव जीवा ने उस बीजेपी नेता की हत्या कर दी जिसने कभी पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की जान बचाई थी. साल 1997 तारीख 10 फरवरी, बीजेपी के उभरते हुए नेता और विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी फर्रुखाबाद के शहर कोतवाली स्थित अपने घर से कुछ दूर एक तिलक समारोह शामिल होने गए थे. लौटते वक्त जैसे ही ब्रह्मदत्त अपनी गाड़ी में बैठने लगे तभी संजीव जीवा ने अपने साथियों रमेश ठाकुर और बलविंदर सिंह के साथ मिलकर ब्रह्मदत्त द्विवेदी पर अंधाधुंध फायरिंग कर उनकी और गनर बीके तिवारी की हत्या कर दी. हत्याकांड में सपा विधायक विजय सिंह का नाम सामने आया. जिन ब्रह्मदत्त की हत्या संजीव जीवा ने की थी, उनका सियासी कद का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता था कि उनकी अंतिम यात्रा में अटल बिहारी बाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी जैसे तमाम दिग्गज नेता सारे काम छोड़ कर शामिल हुए थे. ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड में संजीव जीवा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. कहा जाता था कि संजीव जीवा ने जिन ब्रह्मदत्त की हत्या की थी उन्होंने कभी मायावती की जान बचाई थी. जून 1995 में गेस्ट हाउस कांड के वक़्त मायावती कमरा नंबर 1 में बंद थीं, मायावती ने गेस्ट हाउस के कमरे से मदद के लिए कई लोगों को फोन लगाया, लेकिन किसी ने भी मदद नहीं की तब संकटमोचन बन कर ब्रह्मदत्त गेस्टहाउस पहुंचे और पुलिस के पहुंचने तक मायावती के कमरे के बाहर मामला संभालते रहे. कहते हैं कि इसके बाद से मायावती उन्हें अपना भाई मानती रहीं.
विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड में आया था नाम : बीजेपी विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के बाद संजीव जीवा हर माफिया की नजरों में छा चुका था. मुख्तार हो या ब्रजेश सिंह हर कोई संजीव जीवा को अपने गैंग में शामिल करवाने की चाहत रखने लगा था, लेकिन जीवा का रोल मॉडल था मुन्ना बजरंगी. वो मुन्ना बजरंगी जिसने जौनपुर में आतंक मचा कर जरायम की दुनिया मे कदम रखा तो कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. मुख्तार अंसारी का सबसे भरोसेमंद शार्प शूटर मुन्ना बजरंगी के साथ जुड़ने से संजीव जीवा का मानो अपराध जगत का बेताज बादशाह बनने का सपना पूरा हो गया था. संजीव जीवा मुन्ना बजरंगी के इशारे पर एक के बाद एक हत्याओं की वारदातों को अंजाम देने लगा. धीरे-धीरे संजीव जीवा मुख्तार के खास शूटर्स में सुमार होने लगा. नवंबर 2005, यूपी के पूर्वांचल में माफ़िया और अपराधियों की जिस इलाके में 'खेती' होती थी वो जिला था मऊ और मऊ में एक जगह है मोहम्मदाबाद. इस इलाके के बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन कर वापस लौट रहे थे. तभी सामने से एक कार उनकी गाड़ी के सामने रुकती है. गाड़ी से 8 लोग नीचे उतरते हैं और AK47 से गोलियों की ऐसी बौछार की गई कि कृष्णानंद राय के शरीर का एक भी ऐसा अंग नहीं बचा जहां गोलियां न लगी हों. कहा जाता है कि 400 राउंड गोलियां कृष्णानंद राय को मारने के लिए चलाई गई थीं. इस शूटआउट में विधायक कृष्णानंद समेत सात लोगों की मौत हुई थी. इस नृशंस हत्याकांड में मुख्तार अंसारी, मुन्ना बजरंगी और संजीव जीवा का नाम सामने आया, हालांकि बाद में कोर्ट से सभी आरोपी बरी हो गए थे.
गिरफ्तार हुआ था संजीव जीवा : बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के बाद संजीव जीवा को गिरफ्तार कर लिया गया. अब यूपी पुलिस और आम लोगों को एहसास होने लगा था कि यूपी में गोलियों की तड़तड़ाहट अब खत्म हो जाएगी, लेकिन संजीव जीवा ने जेल को अपना ऐशगाह बना लिया था. बाराबंकी जेल में जीवा का बाकायदा दरबार लगता था. जेल से ही कुख्यात संजीव लोगों की सुपारी लेता था और अपने शूटर से उनकी हत्या करवाता था. साल 2013 में संजीव जीवा बाराबंकी की जेल में बंद था. संजीव बैरक में कम जेल अस्पताल में ज्यादा रहा. उस वक़्त एक अखबार के स्टिंग ऑपरेशन में दिखा था कि जिस वार्ड में बिना किसी बीमारी के संजीव जीवा एडमिट था वहां ऐशोआराम की हर वो चीज मौजूद थी जो लोग अपने आलीशान घरों में रखते हैं. यही नहीं उसके दरबार में रोजाना दर्जन भर लोग उससे मिलने आते थे. बताया जाता था कि वो व्यापारियों से रंगदारी मांगने के लिए उन्हें जेल बुलाया करता था. साल 2017 को हरिद्वार के कंबल व्यवसायी अभिषेक दीक्षित की घर से दुकान जाते वक्त तीन बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी और इस हत्याकांड के तार दुर्दांत अपराधी संजीव जीवा से जाकर जुड़े थे.
उत्तराखंड के व्यापारी की हत्या में आया था नाम : दरअसल, 6 मार्च 2017 को रोज की तरह शाम को निर्मला छावनी हरिद्वार के रहने वाले कंबल व्यापारी अमित दीक्षित घर से दुकान जा रहे थे, तभी शूटर मुजाहिद उर्फ खान, शूटर शाहरुख उर्फ पठान और विवेक ठाकुर उर्फ विक्की ने अभिषेक के ऊपर गोलियों की बारिश कर दी. जिसमें अभिषेक दीक्षित की मौके पर ही मौत हो गयी. इस हत्याकांड ने उत्तराखंड और यूपी में तहलका मचा दिया. उत्तराखंड पुलिस ने एक हफ्ते के अंदर सभी शूटर व निखिल और रितेश शर्मा को गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के बाद जो खुलासा हुआ वो चौंकाने वाला था. शूटर्स ने बताया कि उन्हें हत्या करने के लिए मैनपुरी जेल में बंद संजीव जीवा ने कहा था. हरिद्वार पुलिस ने जीवा से पूछताछ की तो उसने बताया कि हत्या तो कनखल के प्रापर्टी डीलर सुभाष सैनी की करनी थी, लेकिन उसके गुर्गों ने अभिषेक की हत्या कर दी. जीवा ने कहा कि अभिषेक की मौत से वो दुखी है.
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