मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश सरकार 1980 में मुरादाबाद में हुए दंगों की रिपोर्ट को सार्वजनिक रूप से देश और प्रदेश की जनता के सामने रखेगी. दंगो की इस रिपोर्ट को सामने लाने का सरकार का एक ही मकसद है लोगों को दंगों का सच क्या है, ये बताना. 43 साल बाद रिपोर्ट को जनता के सामने रखने पर सपा सांसद एसटी हसन का कहना है कि रिपोर्ट सामने आनी चाहिए. लेकिन, इसके माध्यम से किसी को बेवजह फंसाया और परेशान न किया जाए. दंगे में बहुत लोगों की जान गई थी. उन लोगो को इंसाफ मिलना चाहिए. क्योंकि 43 साल का समय बहुत लंबा होता है.
1980 के दंगों की जांच के लिए बना था जस्टिस सक्सेना आयोग: 1980 के दंगों का सच क्या है, यह अभी तक कोई नहीं जानता है. बस सुनी सुनाई बातें और किस्से सुनकर दंगो की किताब में जोड़ दिए गए हैं. उत्तर प्रदेश की सरकार ने कहा है कि मुरादाबाद के दंगों का सच सामने आना ही चाहिए. इसलिए 43 साल बाद 1980 के दंगों की जांच कर रहे जस्टिस सक्सेना आयोग की रिपोर्ट को प्रदेश सरकार विधानसभा में सबके सामने रखेगी.
तीन अगस्त 1980 को मुरादाबाद हुआ दंगाः तीन अगस्त 1980 को ईद का दिन था. इस दिन सभी मुस्लिम समाज के लोग ईद की नमाज पढ़ने के लिए ईदगाह के मैदान में इकट्ठा हो रहे थे. देखते ही देखते 50 हजार के करीब लोग ईदगाह में पहुंच गए. सभी लोगों ने अपनी-अपनी पंक्ति में खड़े होकर ईद की नमाज अदा की. इसी दौरान नमाजियों के बीच एक सुअर आ गया. जिसको लेकर नमाज पढ़ रहे लोगों ने पुलिस से इस बात का विरोध जताया.
नमाजियों ने कहा कि सुरक्षा के बीच सुअर कैसे आ गया. इसी बात को लेकर पुलिस और नमाजियों के बीच विवाद बढ़ गया. पुलिस और पीएससी के जवानों ने नमाजियों की तितर-बितर करने के लिए गोली चला दी. इस गोलीबारी में 83 नमाजियों की मौत हो गई. जबकि 112 नमाजी घायल हो गए. इसके बाद 2 महीने तक मुरादाबाद दंगों की आग में जलता रहा. सेना द्वारा बीएसएफ के आने के बाद पूरे हालात पर काबू पाया गया.
सपा सांसद हुए भावुक: मुरादाबाद से सपा सांसद एसटी हसन ने 1980 में हुए दंगों के बारे में बताया कि वह मंजर उन्होंने देखा है. वह उस समय एमबीबीएस फाइनल ईयर के स्टूडेंट थे. ईद मनाने के लिए घर आए थे. हालांकि, उन्होंने वहां नमाज नहीं पढ़ी थी. वह अपने मोहल्ले की मस्जिद से नमाज पढ़ कर आए थे. इस दौरान उन्होंने देखा कि लोग कीचड़ में सने हुए आए थे. बता रहे थे कि ईदगाह के मैदान में गोली चल गई है. पूरे ईदगाह मैदान में लाशें बिखरी हुई हैं.
धीरे-धीरे पता चला की नमाज पढ़ने के बाद सभी लोगों के बीच दुआ हो रही थी. इसी दौरान एक नापाक जानवर कीचड़ में सना हुआ नमाजियों के बीच आ गया था. जिसे देखकर लोगों ने इसका विरोध किया. इस दौरान पुलिस ने इस मामले को दबाने के लिए लाठीचार्ज कर दिया. इसके साथ ही फायरिंग शुरू कर दी. पुलिस द्वारा ना कोई आंसू गैस छोड़ी गई ना ही कोई रबड़ बुलेट का इस्तेमाल किया गया.
जिंदा व्यक्ति को लाशों के बीच डाला गयाः सपा सांसद एसटी हसन ने बताया कि उनके मामा ईदगाह में नमाज पढ़ रहे थे. उन्होंने मुझे बताया कि ईदगाह से ट्रकों से भरकर लाशें गई थी. इसी से जुड़ा एक दर्दनाक वाक्या उन्होंने बताया. कहा कि एक आदमी जिसकी टांग में गोली लगी थी, वह इमाम साहब से कह रहा था कि मुझे बचा लो. यह लोग मुझे लाशों में दबाकर ले जा रहे हैं. इमाम साहब ने उसकी टांग पकड़कर उसे निकालने की कोशिश की. इसके बाद पीएसी वालों ने उन पर अपनी बंदूक की बट से ठोकर मार दी. इसके बावजूद इमाम साहब ने उसकी टांग नहीं छोड़ी. फिर उसकी टांग उनके मुख पर आकर टकराई. उनकी जुबां पर भी खून का धब्बा लग गया. उस समय की मीडिया ने यह सबको दिखाया था. लोगों ने आक्रोश में आकर गलशहीद की चौकी में आग लगा दी थी. साथ ही तोड़फोड़ भी की. उसके बाद में पीएसी के जवानों ने का वह दृष्य बहुत ही भयानक था. जिस घर में पीएसी घुस गई, उसके लोगों को बर्बाद कर दिया. लोगों को पीएसी जहां ले गई, वहां से वे लोग आज तक नहीं लौटे.
बेटा ईदगाह नमाज पढ़ने गया है आता ही होगा: डॉ. एसटी हसन ने बताया कि दंगों में इंसानियत पर क्या गुजरी होगी, जिसे वह शब्दों में बयां नहीं कर सकते हैं. उन्होंने एक ऐसी महिला का इलाज भी किया था, जिसकी 15 साल के बाद भी दिमागी हालात यह थी कि मुझसे आकर कहती थी, डॉक्टर साहब मेरा बेटा आरिफ ईदगाह गया हुआ है, वह अभी तक नहीं लौटा है. वह उसका इंतजार कर रही है. उसने उसके लिए सेंवई बनाई है. आज तक उनका बेटा नहीं लौटा है. सांसद ने कहा कि उसकी दास्ताने कहां तक बताऊं. वह चाहते हैं कि उसकी सही रिपोर्ट आए. किसी को बिना वजह न फंसाया जाए. क्योंकि इस मामले को 43 साल हो चुके हैं. अब वह इस मामले में क्या मांग करें. सांसद ने कहा कि उन लोगों को सजा मिले. जिन लोगों ने गोली चलाई थी. एक भी पीएसी और पुलिस के जवान ने कोई एक्शन नहीं लिया. अब जब रिपोर्ट आ रही है, उसे जनता को जानने का हक है कि उस वक्त क्या हुआ था.
बीएसएफ के जवानों ने लगाया पीड़ितों के जख्म पर मरहम: डॉ. एसटी हसन ने बताया कि कैसे-कैसे वह दंगा आगे बढ़ता गया. लोग दुखी और परेशान हो गए. लेकिन, जब बीएसएफ आई तो लोगों के दिल जीतने का काम किया. हिंदू-मुसलमान सब के जख्मों पर मरहम रखने का काम किया गया. किसी को कर्फ्यू के अंदर सब्जी लाकर दिया गया. किसी को दूध और संभ्रांत नागरिकों को बिठाकर एक साथ संवाद कराया. फिर कहीं जाकर वह दंगा खत्म हुआ. सपा सांसद ने बताया कि वह दंगा 2 महीने तक चला था.
मुस्लिम लीग के अध्यक्ष पर लगे आरोपों पर बोले सपा सांसद: सांसद एसटी हसन ने कहा कि इस मामले में मुस्लिम लीग के अध्यक्ष डॉ. सलीम का जिक्र किया गया है जिनका इस दंगे में कोई रोल नहीं था. क्या सूअर से उन्होंने कह दिया था कि नमाजियों के बीच में घुस जाए. उन्होंने केवल आवाज उठाई थी. उन मजलूम लोगों की जिन पर जुल्म हो रहे थे. जिनके हाथ कोतवाली में तोड़े जा रहे थे. उनके खिलाफ इन्होंने आवाज उठाई थी. उनकी दंगे में कोई भूमिका नहीं थी. सबसे बड़ा दोषी उत्तर प्रदेश की पीएसी थी.
43 साल बाद दंगो की रिपोर्ट होगी जारी: सपा सांसद ने कहा कि सरकार यह रिपोर्ट जारी कर मुसलमानों को बांटने की भी साजिश है. मुसलमान को बदनाम करने की साजिश है. उन्होंने कहा कि अब कोई भी साजिश कामयाब नहीं होंगी. मुसलमान इतना बेवकूफ नहीं है. साथ ही उन्होंने कहा कि जो दंगा हुआ था. उसकी रिपोर्ट आनी चाहिए. जनता को मालूम होना चाहिए की उस समय क्या हुआ था. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अब से 50 साल बाद एक बाबरी मस्जिद पर भी रिपोर्ट बनेगी.