श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री सज्जाद गनी लोन ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव में गैर-स्थानीय लोगों को वोट देने की अनुमति देने के संबंध में चुनाव आयोग के अधिकारियों के हालिया बयान ने चिंता पैदा कर दी है. भारत सरकार को जम्मू-कश्मीर के लोगों के डर और आशंकाओं को दूर करने के लिए सच्चाई के साथ आगे आना चाहिए. पीपुल्स कॉन्फ्रेंस द्वारा जारी एक बयान में लोन ने कहा कि ईसीआई के अधिकारियों के बयान ने जनसांख्यिकी बदलने की चिंताओं को और बढ़ा दिया है.
हम देश भर में लागू कानूनों के सेट को जानते हैं, लेकिन यहां जो मायने रखता है वह कानून को लागू करना नहीं बल्कि कानून को लागू करने वालों का इरादा है. सज्जाद लोन ने अपने बयान में कहा कि पिछले तीन वर्षों में जम्मू-कश्मीर के निवासियों के अधिकारों का हनन की एक सतत प्रक्रिया बन गई है. यह (गैर-स्वदेशी मतदान अधिकार) एक बार फिर एक अपवित्र योजना की तरह लग रहा है. उन्होंने आगे कहा कि जो कुछ भी बचा हुआ अधिकार है, उस पर खतरे के बादल मंडराते रहते हैं.
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स्पष्ट है कि 5 अगस्त, 2019 के बाद हर गुजरते दिन के साथ, हम शक्तिहीन होते जा रहे हैं और जो दूर बैठे हैं वे अभी भी थके नहीं हैं. नाम लिए बिना केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए लोन ने कहा कि वे हमें अपनी ही जमीन में अजनबी बनाने पर तुले हुए हैं. हमें यह महसूस कराया जा रहा है कि हम अपनी मातृभूमि में नहीं, बल्कि एक विदेशी क्षेत्र में रह रहे हैं. यह स्पष्ट रूप से शासकों और प्रजा का मामला है जहां हम (जम्मू और कश्मीर के लोग) अधीन हैं. लोन ने कहा कि शासक यहां के नहीं हैं और जम्मू-कश्मीर में उनका कुछ भी दांव पर नहीं है.
यह न केवल बुनियादी सिद्धांतों और लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है बल्कि प्रांतीय प्रणाली, संघवाद और क्षेत्रीय आकांक्षाओं के भी खिलाफ है. बयान में लोन ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में चुनावी धांधली अतीत का हिस्सा है और इस तरह के बयान हमें पहले हुए धांधली वाले चुनावों की याद दिलाते हैं. सज्जाद लोन ने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार पिछले तीन साल में की गई गलतियों को सुधारेगी. सज्जाद लोन ने जम्मू-कश्मीर के लोगों की चिंताओं को दूर करने की अपील करते हुए केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन से उनकी मंशा स्पष्ट करने की अपील की.