वाराणसी : टेंपल कन्वेंशन एंड एक्सपोर्ट की शुरुआत हो चुकी है. संघ प्रमुख मोहन भागवत कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पहुंच चुके हैं. टेंपल कन्वेंशन एक्सपो कार्यक्रम तीन दिनों तक वाराणसी में आयोजित होने वाला है. इसे लेकर देशभर के बड़े मंदिरों में प्रबंधन से लेकर अन्य व्यवस्थाओं को लेकर गहन मंथन होगा, जिसमें 800 से ज्यादा मंदिर प्रमुख व प्रबंधन से जुड़े लोग काशी में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे हुए हैं.
संघ प्रमुख ने कहा कि, 'मंदिर हमारे देश मे सनातन परंपरा को मानने वालों का अंग है, एक ऐसा स्थान जो सार्वजनिक है. हम मानते हैं कि देह भगवान का मंदिर है. कहा जाता है कि हम भारत के लोग मानते हैं कि सुख मन में होता है, बाहर नहीं होता है. सृष्टि दिखती अलग है, लेकिन एकता ही सर्वोपरि है. जीना है तो अपने स्वार्थ में न जीकर सब में मैं हूं, मुझमें सब हैं.. यह जानना होगा. जीवन में सदाचार और संयम चाहिए. इतिहास में कई समय आया कभी हम गिरे और कभी किसी ने धक्का मारकर गिराया. इसलिए अलग अलग पंथ सम्प्रदाय चलते रहे. तीनों को साथ चलाने वाला धर्म है, लेकिन अपने चित्त सुद्धि जरूरी है. सबका आंनद अपना आंनद है. ऐसा जीना है तो समाज को तैयार करना होगा, बहुत कुछ हुआ लेकिन धर्म चलता रहा, इसलिए इसको धर्म चक्र प्रवर्तन कहा गया, क्योंकि यह चलता रहता है. मंदिर इन सभी उद्देश्य को लेकर चलने वाला सामाजिक उपक्रम है. मंदिर में क्या होना चाहिए तो सोचिए यहां आराध्य की आराधना होनी चाहिये, हर मंदिर में अलग अलग चीजें हैं. शिव मंदिर में भस्म और विष्णु मंदिर में चंदन मिलता है. छोटे-छोटे मंदिरों के आचार्य परम्परा होनी चाहिए.'
संघ प्रमुख ने कहा कि 'बड़े मंदिरों को सब लोग जाते हैं. कुछ मंदिर टूटे हैं, उनमें भी कुछ लोग जाते हैं. मंदिर जाने के बाद पवित्रता के लिए सबसे महत्वपूर्ण है मंदिर की पवित्रता, उपासना और शांति जरूरी है. पूजा मंत्र जरूरी है कि मंदिर में. दर्शकों का मंत्र उच्चारण स्पष्ट हो जल्दी-जल्दी चीजें नहीं होनी चाहिए, जिनको जल्दी और उनके लिए अलग व्यवस्था होनी चाहिए. इस प्रकार का एक लक्ष्य कर्मकांड हमारे भारत की विशेषता है. सबसे महत्वपूर्ण है लोगों को मंदिर में आना चाहिए. प्राचीन समय में मंदिर में गुरुकुल चलता रहा. वेदमाती ब्राह्मण होते थे, बोलकर कृति से ऐसे कार्यक्रम होते थे जो लोगों को समझ में आते थे. नई पीढ़ियों को सिखाने के लिए हम आयोजन करते थे, संस्कार होता है. मनुष्य को जहां जो मिलता है वहा जाता है.' कहा कि मंदिर में संस्कारों की व्यवस्था शिक्षा और दुख दूर करने की व्यवस्था होनी चाहिए, सेवा उपक्रम होना चाहिए, लोगो की धार्मिक और भौतिक उन्नन्ति की भी चिंता होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि हमको चिंता करनी होगी मंदिर को चलाने वाले भक्त होने चाहिए कुछ मंदिर समाज के हाथ में है कुछ मंदिर सरकार के हाथ में हैं सरकार के हाथ में ऐसे मंदिर भी है जो अच्छे चल रहे हैं सरकार की तरफ से हाथ से चलने वाले हैं वह भी भक्त हैं विश्वनाथ मंदिर देख कर आइए उसका स्वरूप कैसा हो गया करने वाले सरकार के लोग हैं लेकिन वह भक्ति के साथ कर रहे हैं अपने मंदिर को चलाने वाले भक्त होने चाहिए इसलिए मंदिरों के द्वारा समाज में भक्ति और शक्ति सभी मंदिरों को करना होगा
इस बारे में टेंपल कन्वेंशन के आयोजक गिरेश कुलकर्णी ने बताया कि 'टेंपल कनेक्ट एक प्रमुख प्लेटफॉर्म है, जो भारतीय मूल के मंदिरों से संबंधित जानकारी के दस्तावेजीकरण, डिजिटलीकरण और वितरण के लिए प्लान करता है. उन्होंने बताया कि 22 से 24 जुलाई तक इस कन्वेंशन का आयोजन वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में किया जाएगा. इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का उद्देश्य नेटवर्किंग, नॉलेज शेयरिंग और पीयर लर्निंग के लिए एक कुशल इकोसिस्टम का सृजन और विस्तार करना है. जिसका आयोजन विभिन्न विषयों पर एक्सपर्ट सेमिनार, वर्कशॉप और मास्टर क्लासेस के माध्यम से किया जाएगा. इसमें मंदिर की सुरक्षा, संरक्षण व निगरानी, फंड प्रबंधन, आपदा प्रबंधन, स्वच्छता और पवित्रता के साथ ही साथ साइबर अटैक्स से सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) टेक्नोलॉजी का उपयोग और एक सुदृढ़ व परस्पर जुड़े हुए मंदिर समुदाय को बढ़ावा देने के लिए सोशल मीडिया प्रबंधन शामिल है. इस कार्यक्रम में तीर्थयात्रियों के अनुभव के तहत भीड़ और कतार प्रबंधन, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और इंफ्रास्ट्रक्चर में विस्तार जैसे विषयों पर भी चर्चा की जाएगी.'
गिरेश ने बताया कि 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत इस टेंपल के अनेक कार्यक्रम का उद्घाटन लगभग 10:30 बजे शनिवार को करेंगे. इसके बाद तीन दिनों तक चलने वाले इस आयोजन में 30 से अधिक देशों के प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे. प्रोग्राम में हिंदू, बौद्ध, जैन मंदिरों और गुरुद्वारों के करीब 1000 प्रबंधक मौजूद रहेंगे. इसके अलावा 600 मंदिरों के प्रतिनिधि वर्चुअल तरीके से भी संयोजन से जुड़ेंगे. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भी कार्यक्रम में आने की उम्मीद है, हालांकि उनका प्रोटोकॉल कंफर्म नहीं हुआ है. इसके अलावा सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे, राज्यसभा सदस्य सुधांशु त्रिवेदी भी शामिल होंगे. मंदिरों के न्यास से जुड़े बड़े अधिकारी और सीईओ भी इस आयोजन से जुड़ेंगे. सम्मेलन के अंतिम दिन मंदिरों गुरुद्वारा प्रबंध के संदर्भ में एक श्वेत पत्र भी जारी किया जाएगा, जिसमें तीन दिनों तक चले मंथन के बाद निकली चीजों का जिक्र होगा, और कैसे मंदिरों के प्रबंधन को बेहतर बनाया जा सकता है यह सुझाव भी शामिल होंगे. इसके अतिरिक्त इस आयोजन में काशी विश्वनाथ मंदिर, महाकाल ज्योतिर्लिंग, अयोध्या के राम मंदिर, पटना साहेब गुरुद्वारा, पटना के महावीर मंदिर, चिदंबरम मंदिर समेत बड़े मंदिरों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी भी रहेगी.'
क्या है आईटीसीएक्स? : इंटरनेशनल टेंपल्स कन्वेंशन एंड एक्सपो (आईटीसीएक्स)-23 पूजा स्थलों को एक बड़े मंच पर एक साथ लाने की एक पहल है. इसका दृष्टिकोण तनाव मुक्त मंदिर पर्यटन को बढ़ावा देना है, ताकि सभी पूजा स्थल एक-दूसरे से मंदिर प्रबंधन की सर्वोत्तम प्रथाओं को सीख सकें, साथ ही अपने मंदिर के इकोसिस्टम्स को सुदृढ़ बना सकें, मंदिर प्रशासन में सुधार कर सकें और तीर्थयात्रियों को बेहतर यात्रा अनुभव प्रदान कर सकें. इस आयोजन का उद्देश्य मंदिर प्रबंधन के बारे में सभी मंदिर इकोसिस्टम स्टेकहोल्डर्स की समझ को व्यापक बनाने और उन्हें अपने पूजा स्थलों को भविष्य के अनुरूप तैयार करने के लिए उचित जानकारी प्रदान करते हुए उन्हें सशक्त बनाना है.
टेंपल कनेक्ट के बारे में : टेंपल कन्वेंशन अपनी तरह की एक अनूठी पहल है, जो दुनिया भर में हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख मंदिरों के बारे में डिटेल दस्तावेजीकरण, डिजिटलीकरण और वितरण के लिए प्रतिबद्ध है. इसकी स्थापना को बेहद कम समय हुआ है, इसके बावजूद टेंपल कन्वेंशन ने भारत के दूर-दराज के क्षेत्रों के साथ ही साथ अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र के मंदिरों को एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर एक साथ लाने और हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध ग्रंथ के धार्मिक रीति-रिवाजों के बारे में लोगों को जागरूक करने का काम काफी शालीनता से किया है. इसने सभी आयु-समूहों के भक्तों को शिक्षित और सूचित करने और उनकी भक्ति को एक नया आयाम देने का भी काम किया है.