नई दिल्ली : संसद के मानसून सत्र का आज 11वां दिन है. पेगासस जासूसी, महंगाई समेत कई अन्य मुद्दों को लेकर हंगामे का दौर जारी है. हालांकि, इसी बीच कई पल ऐसे भी आते हैं, जब सरकार से तीखे सवाल किए जाते हैं, और सरकार के लिए संसद में इन सवालों का जवाब देना जरा मुश्किल भी दिखाई देता है. ऐसा ही कुछ हुआ आज जब भाजपा सांसद राजीव प्रताप रुडी ने सवाल किया. उनके सवाल को लेकर पहले केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी इसके बाद खुद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जवाब दिया.
दरअसल, राजीव प्रताप रूडी ने मंगलवार को लोक सभा में प्रश्नकाल के दौरान पौधों की नई किस्म उगाने से जुड़ा सवाल पूछा. रूडी ने कहा कि उन्होंने अपने कर्मचारियों को पूसा में भेजा. वहां उनके कर्मचारियों के साथ ऐसा व्यवहार हुआ जैसे पौधों की किस्म देना कोई एहसान हो. इसके बाद उन्हें बताया गया कि सीजन खत्म हो गया है, अगले साल के लिए बुकिंग कराएं.
रूडी ने कहा कि बतौर सांसद वे पौधों की नई किस्म के लिए प्रयास करते रहे लेकिन, उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई. उन्होंने कहा कि लिस्ट बनाकर भेजा गया लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. इसके बाद मंत्री जी की कृपा हुई और प्राइवेट सेक्रेटरी से बात होने के बाद 50 पेड़ों की अनुमति मिली. उन्होंने कहा कि मुझे नर्सरी के बारे में बताया गया. रूडी ने कहा कि 2019-20 की सूची के मुताबिक उत्तर प्रदेश में पूसा ने एक भी नर्सरी नहीं दी गई है. बिहार में 12 करोड़ की आबादी के लिए आम, अमरुद, पपीता, केला जैसे फलों के लिए हॉर्टीकल्चर नर्सरी मदर प्लांट के लिए नहीं हैं.
रूडी ने पूछा कि भारत में कई कृषि विज्ञान केंद्र काम करते हैं. उन्होंने पूछा कि पूछा कि भारत सरकार क्या किसी प्रस्ताव पर विचार कर रही है, जिसके तहत इतने बड़े देश में कृषि विज्ञान केंद्रों को अधिकृत कर, देश में अच्छे फल और पौधों की किस्म दी जा सके.
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री के जवाब के बाद रूडी ने कहा कि मेरे सीधे सवाल के जवाब में मंत्री जी ने पूरे मंत्रालय के तथ्य सामने रख दिए. उन्होंने कहा कि नर्सरी से लेकर जाने के बाद पौधों की देखरेख तीन साल तक करने के बाद भी फल नहीं आए, तो ऐसे में किसान का क्या कसूर है ?
रूडी ने कहा कि मेरा सवाल बस इतना है कि सरकार लाखों पौधे कहां भेजती है, इससे उन्हें कोई मतलब नहीं है. उन्होंने पूछा कि सरकार की तरफ से मदर प्लांट और बीज के सर्टिफिकेशन की क्या व्यवस्था है ? मदर प्लांट के सीड से तीन साल के बाद फल अनुरूप नहीं निकलने पर सरकार इसके खिलाफ क्या कार्रवाई करेगी ? उन्होंने पूछा कि किसानों को क्या संरक्षण है ? क्या किसी किसान विज्ञान केंद्र को इसकी जिम्मेदारी दी जाएगी ?
सवालों की झड़ी लगने के बाद कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने जवाब देना चाहा, लेकिन केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर खुद जवाब देने के लिए खड़े हुए. तोमर ने कहा कि सांसद की चिंता वाजिब है, पौधे प्राप्त करने में जो कठिनाई हुई वो नहीं होनी चाहिए थी.
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तोमर ने कहा कि खेती से जुड़े रिसर्च सेंटर्स में पौधों की किस्मों को लेकर लगातार काम हो रहा है. उन्होंने कहा कि रिसर्च के बाद मदर प्लांट तैयार करना और इसके बाद राज्य सरकारों और नर्सरी को देने में दिक्कत इसलिए आई, क्योंकि सामान्य तौर पर पहले नर्सरी रजिस्टर्ड हों, पौधे प्रामाणिक हों इसकी व्यवस्था पहले कमजोर थी.
उन्होंने कहा कि कुछ ही दिन पहले नर्सरी का पंजीकरण शुरू किया गया है. इसमें 691 नर्सरी देशभर में रजिस्टर्ड हुई हैं. इनकी संख्या बढ़ रही है. तोमर ने कहा कि नर्सरी को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार मदद भी करती है. लेकिन नर्सरी का रजिस्ट्रेशन हो, केंद्र और राज्य को जानकारी हो और उनके प्रामाणीकरण की कमजोर व्यवस्था को सुदृढ़ बनाया गया है. ऐसे में भविष्य में पौधे उपलब्ध होने में कोई परेशानी नहीं होगी.