गोरखपुर: अक्सर आपने देखा, सुना और पढ़ा होगा कि प्लेटफार्म पर ट्रेन से चढ़ने और उतरने के दौरान यात्री या तो घायल हो जाते हैं या फिर उनकी मौत हो जाती है. दरअसल, ट्रेन के निकास द्वार से प्लेटफार्म काफी नीचा होने के कारण अक्सर ऐसे हादसे होते हैं. ऐसे में रेलवे ने इस समस्या से निपटने की तैयारी कर ली है. रेलवे अब प्लेटफार्मों की ऊंचाई के साथ ही लंबाई भी बढ़ाने जा रहा है. इससे प्लेटफार्मों पर यात्रियों के साथ होने वाले हादसों पर लगाम लग सकेगी.
पूर्वोत्तर रेलवे ने इसका मॉडल तैयार कर लिया है. कुछ जगहों पर इसका कार्य भी शुरू हो गया है लेकिन नए वित्तीय वर्ष में इस कार्य पर जोर देते हुए करीब तीन हजार किलोमीटर की लम्बाई में इस तरह का कार्य करना तय किया गया है. इस प्रोजेक्ट की संस्तुति मिल चुकी है, जिससे बुजुर्ग और महिलाओं के साथ दिव्यांगजनों को यात्रा में बड़ी सहूलियत मिलेगी.
पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह के अनुसार, प्लेटफार्म की ऊंचाई ट्रेन के फ्लोर के बराबर न होने से अक्सर से हादसे होते थे. अक्सर यात्री चोटिल हो जाते थे. इसके बाद इसमें सुधार की प्रक्रिया शुरू की गई.
कई रेलवे स्टेशनों पर प्लेटफार्म को ऊंचा भी किया गया था लेकिन अब इसे एक विशेष प्रोजेक्ट के तौर पर लेकर हाई लेवल प्लेटफॉर्म बनाए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इससे भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं से बचा जा सकेगा. उन्होंने कहा कि यही नहीं कई जगहों पर प्लेटफार्म की लंबाई ट्रेन की बोगियों के हिसाब से नहीं होती. जब ट्रेन प्लेटफार्म पर खड़ी होती हो तो कुछ बोगियां प्लेटफार्म से बाहर हो जाती हैं जिससे यात्रियों को उतरने में भी असुविधा होती है. ऐसे प्लेटफार्म को चिन्हित कर लिया गया है चाहे वह छोटे हों या बड़े, उनकी लंबाई बढ़ाई जाएगी जिससे यात्रियों को ट्रेन पकड़ने के लिए न तो दौड़ लगानी पड़े.
उन्होने कहा कि इसके साथ ही ट्रेनों के इंडिकेशन बोर्ड को लेकर भी तमाम जगहों से शिकायतें मिली हैं इसमें भी सुधार की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इससे प्लेटफार्म पर आकर खड़ी होने वाली ट्रेनों के डिब्बे की सही पोजीशन यात्रियों को मिल सकेगी, जिससे उन्हें ट्रेन में चढ़ने के लिए प्लेटफार्म पर दौड़भाग नहीं करनी पड़ेगी.
उन्होंने कहा कि ऐसी शिकायतें मिली हैं और वह सही भी पाई गई थीं कि प्लेटफार्म पर ट्रेन के खड़े होने की स्थिति में कुछ और इंडिकेशन पॉइंट में अंतर था. उन्होने कहा कि इस शिकायत को दूर करने के लिए रेलवे ने एनटीईएस(NTES) के माध्यम से इसे इंटीग्रेट करने का कार्य शुरू कर दिया है, जितने भी नए कोच लगे हुए हैं जिसमें सॉफ्टवेयर के माध्यम इस सुविधा को अपग्रेड किया जा सकता है, उसको तेजी के साथ शुरू किया जा रहा है, जिन प्लेटफार्म पर यह सुविधा नहीं उपलब्ध है वहां पर रेल कर्मचारियों के माध्यम से यात्रियों को सुविधा प्रदान की जाएगी.
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