नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मोदी ने क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित मुद्दों पर एक बैठक की अध्यक्षता की. यह जानकारी सरकारी सूत्रों ने दी. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद सरकारी सूत्र ने कहा ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी पर बढ़ा-चढ़ाकर वादे करने, गैर-पारदर्शी विज्ञापनों से युवाओं को गुमराह करने की कोशिश बंद होनी चाहिए.
सूत्रों ने कहा, गैर-विनियमित क्रिप्टो बाजारों को काला धन सफेद करने और आतंकी गतिविधियों के वित्तपोषण की अनुमति नहीं दी जा सकती है.
सरकार को क्रिप्टो बाजारों के लिए जरूरी प्रारूप बनाने के लिए विशेषज्ञों एवं हितधारकों के साथ सक्रियता से जुड़ना होगा.
बैठक भारतीय रिजर्व बैंक, वित्त मंत्रालय और गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा की गई एक परामर्श प्रक्रिया के बाद आयोजित की गई जिसमें वैश्विक और भारतीय विशेषज्ञों से परामर्श किया गया. साथ ही वैश्विक उदाहरणों और सर्वोत्तम प्रथाओं का अध्ययन किया गया.
यह भी चर्चा की गई कि अनियमित क्रिप्टो बाजारों को मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग के लिए रास्ता नहीं बनने दिया जा सकता.
सूत्रों ने कहा कि सरकार इस तथ्य से अवगत है कि यह एक विकसित तकनीक है इसलिए वह कड़ी नजर रखेगी और सक्रिय कदम उठाएगी.
इस बात पर भी सहमति थी कि सरकार द्वारा इस क्षेत्र में उठाए गए कदम प्रगतिशील और दूरंदेशी होंगे. सरकार विशेषज्ञों और अन्य हितधारकों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना जारी रखेगी.
चूंकि यह मुद्दा अलग-अलग देशों की सीमाओं से संबंधित है, इसलिए यह महसूस किया गया कि इसके लिए वैश्विक भागीदारी और सामूहिक रणनीतियों की भी आवश्यकता होगी.
पढ़ें :- 'बिटक्वाइन घोटाले' की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय की निगरानी में एसआईटी बने : कांग्रेस
आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ अपनी दृढ़ राय को बार-बार दोहराते हुए कहा है कि इससे देश की व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है. केंद्रीय बैंक ने इनके बाजार मूल्य पर भी संदेह जताया है.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने गत बुधवार को ही क्रिप्टोकरेंसी को अनुमति देने के खिलाफ अपने विचारों को दोहराते हुए कहा था कि ये किसी भी वित्तीय प्रणाली के लिए एक गंभीर खतरा हैं, क्योंकि वे केंद्रीय बैंकों द्वारा नियंत्रित नहीं हैं.
क्रिप्टोकरेंसी पर आरबीआई की आंतरिक पैनल की रिपोर्ट अगले महीने आने की उम्मीद है.
उच्चतम न्यायालय ने मार्च 2020 की शुरुआत में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने वाले आरबीआई के परिपत्र को रद्द कर दिया था. इसके बाद पांच फरवरी 2021 को केंद्रीय बैंक ने इस डिजिटल मुद्रा के मॉडल पर सुझाव देने के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया था.