वाराणसी: प्लास्टिक का इस्तेमाल खतरनाक है. सिंगल यूज प्लास्टिक प्रकृति और सेहत दोनों के लिए नुकसानदायक है. यही वजह है की एनजीटी के निर्देश पर सिंगल यूज प्लास्टिक को पूर्णतया प्रतिबंधित किए जाने के बाद पूरे देश में इसका इस्तेमाल बंद कर दिया गया. प्लास्टिक मुक्त भारत के नारे के साथ उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्लास्टिक मुक्त प्रदेश का भी ऐलान किया. जोर शोर से अभियान चला और मुख्यमंत्री ने सरकारी कार्यक्रमों से लेकर अन्य कार्यक्रमों में प्लास्टिक को पूर्णतया प्रतिबंधित करने के निर्देश दे दिए.
शहरों में भी अभियान तेज हुए और पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी इस अभियान से अछूता नहीं रहा और इस अभियान के बल पर वाराणसी नगर निगम ने 2019 से 2023 तक करोड़ों रुपये कमा लिए या यूं कहें सिर्फ प्लास्टिक मुक्त अभियान के बल पर नगर निगम करोड़पति बन गया. लेकिन, करोड़पति बनने के बाद भी नगर निगम ने इस अभियान को क्या वास्तव में हकीकत और पूरी ईमानदारी के साथ धरातल पर उतारा जवाब तलाशेंगे तो शायद उत्तर नहीं मिलेगा. क्योंकि, ईटीवी भारत ने वाराणसी की सड़कों बाजारों में इस्तेमाल हो रहे सिंगल यूज प्लास्टिक की हकीकत को कैमरे में कैद किया. सब्जी मंडी से लेकर फल मंडी और बाजारों में धड़ल्ले से प्लास्टिक का इस्तेमाल हो रहा है. इस पर ना ही कोई रोक है ना टोक.
यही वजह है कि वाराणसी में नगर निगम ने 2019 में प्लास्टिक मुक्त शहर के अभियान को रफ्तार देने के लिए ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू कर दी. नगर निगम के अधिकारियों की मानें तो वर्ष 2019 मार्च से लेकर 2022 मार्च तक यानी 3 सालों में नगर निगम ने अकेले 1,77,420 किलो प्लास्टिक जब्त करते हुए 99,42,183 रुपये की वसूली की, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड भी थी.
प्लास्टिक मुक्त अभियान को लेकर नगर निगम का यह प्रयास यहीं पर रुका. निगम ने 2022 से 23 मार्च तक फिर से इस अभियान को रफ्तार देकर 30,783 किलो प्लास्टिक को दुकानों, मकानों, गोदाम और अन्य जगहों से बरामद करने का काम किया. इसमें 29,35,700 रुपये का जुर्माना भी नगर निगम ने वसूला. इसके बाद यह कार्रवाई अप्रैल 2023 से मई 2023 तक जारी रही और नगर निगम ने इन कुछ महीनों में 155 किलो से ज्यादा प्लास्टिक जब्त करके 20700 रुपये का जुर्माना काटा.
नगर निगम 2019 से ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए शहर को प्लास्टिक मुक्त करने के दावे कर रहा है. लेकिन, इन दावों की हकीकत जब जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने शहर की सब्जी मंडी में फल मंडी में और अलग-अलग जगहों पर जाकर प्लास्टिक मुक्त अभियान की हकीकत देखी तो निश्चित तौर पर यह साफ हो गया कि कागजों में कार्यवाही तेजी से हो रही है. ताबड़तोड़ कार्रवाई के नाम पर कुछ इलाकों में जबरदस्त चालान और जब्तीकरण की कार्रवाई करके नगर निगम करोड़पति बनता जा रहा है. शहर के तमाम इलाकों में प्लास्टिक मुक्त अभियान के पोस्टर बैनर लगाए जा रहे हैं. लेकिन, हकीकत यही है कि अभी शहर के तमाम इलाकों में प्लास्टिक का इस्तेमाल बेखौफ तरीके से धड़ल्ले से किया जा रहा है.
हालांकि इस बारे में जब नगर निगम के पब्लिक रिलेशन ऑफिसर संदीप श्रीवास्तव से बात की तो उनका कहना था कि नगर निगम पहले लोगों को जागरूक करता है और जब लोग नहीं मानते तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है. संदीप श्रीवास्तव का कहना है कि नगर निगम समय-समय पर कार्रवाई करता है और इसका स्तर भी अलग-अलग होता है. किसी बड़े स्थान पर एक साथ एकत्रित प्लास्टिक के पकड़े जाने पर 50,000 से 2 लाख रुपये तक के जुर्माने की कार्रवाई की जाती है, जबकि छोटे दुकानदारों के साथ 25 से 50 रुपये और 100 से लेकर 5000 रुपये तक की वसूली की कार्रवाई की जाती है. यह वसूली प्लास्टिक की मौजूदगी के अनुसार निर्धारित होती है. कार्रवाई लगातार जारी है और अभी भी सावन के मौके पर मेयर अशोक तिवारी ने विशेष अभियान चलाकर प्लास्टिक मुक्त सिटी बनाने का आदेश दिया है.
अशोक तिवारी से बातचीत करने पर उनका कहना था कि उन्होंने खुद रथयात्रा के मेले के दौरान प्लास्टिक का इस्तेमाल कर रहे दुकानदारों का चालान यहां से काटा है और सामान पर भी इस पर प्रतिबंध लगाने के लिए कार्रवाई तेजी से की जाएगी. शहर प्लास्टिक मुक्त होगा इसके लिए नगर निगम के अधिकारियों को निर्देशित किया गया है.
ये है आदेश
दरअसल, प्लास्टिक के कैरी बैग प्लास्टिक एवं थर्मोकोल के उत्पादन को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के इंवायरमेंटल कंपनसेशन अधिनियम की धारा 15 और 17 के आदेश के मुताबिक, 15 जुलाई 2018 से प्लास्टिक के इस्तेमाल को पूर्णतया प्रतिबंधित किया गया है. सिंगल यूज प्लास्टिक की जगह निर्धारित मानक के अनुसार ऐसे प्लास्टिक का प्रयोग करने के निर्देश दिए गए हैं, जो प्रकृति और पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं है.
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