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तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के मौलवी ने अहमदी गर्भवती महिलाओं पर हमले की मांग की

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Published : Oct 9, 2022, 1:05 PM IST

Updated : Oct 9, 2022, 1:21 PM IST

प्रतिबंधित तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के एक मौलवी ने अपने अनुयायियों से अहमदी गर्भवती महिलाओं पर हमला करने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि अहमदी गर्भवती महिलाओं पर हमला किया जाये ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई नया अहमदी पैदा न हो.

तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के मौलवी ने अहमदी गर्भवती महिलाओं पर हमले की मांग की
तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के मौलवी ने अहमदी गर्भवती महिलाओं पर हमले की मांग की

इस्लामाबाद (पाकिस्तान) : प्रतिबंधित तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के एक मौलवी ने अपने अनुयायियों से अहमदी गर्भवती महिलाओं पर हमला करने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि अहमदी गर्भवती महिलाओं पर हमला किया जाये ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई नया अहमदी पैदा न हो. सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया है जिसमें टीएलपी के मौलवी मुहम्मद नईम चट्ठा कादरी का एक भाषण दिखाया गया है जिसमें उन्होंने अपने समर्थकों से गर्भवती अहमदी महिलाओं के खिलाफ हमले करने का आह्वान किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई नया अहमदी पैदा न हो.

पढ़ें: पाकिस्तान : साथियों की रिहाई की मांग को लेकर आतंकवादियों ने सड़क को रोका

उन्होंने जोर देकर कहा कि निन्दा करने वालों के लिए केवल एक ही सजा है, सिर काटना. धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों पर एक पत्रिका, बिटर विंटर की एक रिपोर्ट के अनुसार, उपदेशक ने कहा कि अगर हमले सफल नहीं होते हैं, तो जो बच्चे पैदा हो रहे हैं, उन्हें मार दिया जाना चाहिए. पत्रिका में लिखते हुए, धर्मों के एक इतालवी समाजशास्त्री, मास्सिमो इंट्रोविग्ने ने कहा कि टीएलपी ईसाई और अहमदियों सहित धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ अपने हमलों के लिए कुख्यात है.

पढ़ें: ईरान के सुरक्षा बलों ने विरोध प्रदर्शनों पर कार्रवाई तेज की, 2 मारे गए

रिपोर्ट के अनुसार, कादरी ने पुलिस को टीएलपी द्वारा अहमदियों की धार्मिक सफाई में हस्तक्षेप करने के प्रयास के खिलाफ भी चेतावनी दी. उसने कहा कि आप में से जो पुलिस से हैं, या अगर कोई डीपीओ (जिला पुलिस अधिकारी) या डीसी (उपायुक्त) या एसएचओ (पुलिस स्टेशन हाउस ऑफिसर) है तो उसे समझना चाहिए कि हमें रोका नहीं जा सकता है. 12 अगस्त को, 3 साल के बच्चे के पिता नसीर अहमद ( 62 वर्षीय) को जो की एक अहमदी मुसलमान थे को अहमदी बहुल शहर रबवाह के मुख्य बस स्टॉप पर एक टीएलपी कार्यकर्ता ने चाकू मार दिया था. टीएलपी ने पाकिस्तानी सुन्नी मुस्लिम राजनेताओं पर भी निशाना साधा और उनपर 'अहमदियों के प्रति नरम' होने का आरोप लगाया गया है.

पढ़ें: पाकिस्तान: पीटीआई चीफ खान ने ऑडियो लीक के पीछे सत्ताधारी पार्टी का दावा किया

अहमदी विशिष्ट कानूनों के माध्यम से पाकिस्तान में उत्पीड़ित धार्मिक अल्पसंख्यक हैं जो उन्हें दूसरे दर्जे का नागरिक बनाते हैं. उन्हें कथित तौर पर मतदान और पद धारण करने से भी रोका जाता है. अपने धर्म का प्रचार करने और उसका पालन करने के उनके कानूनी अधिकार से भी उन्हें वंचित किया जाता है. अहमदियों पर ईशनिंदा के लिए नियमित रूप से मुकदमा चलाया जाता है, जिसमें मृत्युदंड सहित अत्यंत कठोर सजा दी जाती है. अल अरबिया पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, कई अहमदियों पर ईशनिंदा का झूठा आरोप लगा कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया.

(एएनआई)

इस्लामाबाद (पाकिस्तान) : प्रतिबंधित तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के एक मौलवी ने अपने अनुयायियों से अहमदी गर्भवती महिलाओं पर हमला करने के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि अहमदी गर्भवती महिलाओं पर हमला किया जाये ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई नया अहमदी पैदा न हो. सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया है जिसमें टीएलपी के मौलवी मुहम्मद नईम चट्ठा कादरी का एक भाषण दिखाया गया है जिसमें उन्होंने अपने समर्थकों से गर्भवती अहमदी महिलाओं के खिलाफ हमले करने का आह्वान किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई नया अहमदी पैदा न हो.

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उन्होंने जोर देकर कहा कि निन्दा करने वालों के लिए केवल एक ही सजा है, सिर काटना. धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों पर एक पत्रिका, बिटर विंटर की एक रिपोर्ट के अनुसार, उपदेशक ने कहा कि अगर हमले सफल नहीं होते हैं, तो जो बच्चे पैदा हो रहे हैं, उन्हें मार दिया जाना चाहिए. पत्रिका में लिखते हुए, धर्मों के एक इतालवी समाजशास्त्री, मास्सिमो इंट्रोविग्ने ने कहा कि टीएलपी ईसाई और अहमदियों सहित धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ अपने हमलों के लिए कुख्यात है.

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रिपोर्ट के अनुसार, कादरी ने पुलिस को टीएलपी द्वारा अहमदियों की धार्मिक सफाई में हस्तक्षेप करने के प्रयास के खिलाफ भी चेतावनी दी. उसने कहा कि आप में से जो पुलिस से हैं, या अगर कोई डीपीओ (जिला पुलिस अधिकारी) या डीसी (उपायुक्त) या एसएचओ (पुलिस स्टेशन हाउस ऑफिसर) है तो उसे समझना चाहिए कि हमें रोका नहीं जा सकता है. 12 अगस्त को, 3 साल के बच्चे के पिता नसीर अहमद ( 62 वर्षीय) को जो की एक अहमदी मुसलमान थे को अहमदी बहुल शहर रबवाह के मुख्य बस स्टॉप पर एक टीएलपी कार्यकर्ता ने चाकू मार दिया था. टीएलपी ने पाकिस्तानी सुन्नी मुस्लिम राजनेताओं पर भी निशाना साधा और उनपर 'अहमदियों के प्रति नरम' होने का आरोप लगाया गया है.

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अहमदी विशिष्ट कानूनों के माध्यम से पाकिस्तान में उत्पीड़ित धार्मिक अल्पसंख्यक हैं जो उन्हें दूसरे दर्जे का नागरिक बनाते हैं. उन्हें कथित तौर पर मतदान और पद धारण करने से भी रोका जाता है. अपने धर्म का प्रचार करने और उसका पालन करने के उनके कानूनी अधिकार से भी उन्हें वंचित किया जाता है. अहमदियों पर ईशनिंदा के लिए नियमित रूप से मुकदमा चलाया जाता है, जिसमें मृत्युदंड सहित अत्यंत कठोर सजा दी जाती है. अल अरबिया पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, कई अहमदियों पर ईशनिंदा का झूठा आरोप लगा कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया.

(एएनआई)

Last Updated : Oct 9, 2022, 1:21 PM IST
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