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एक रुपये की मुहिम से बदल दिया कई लोगों का जीवन, जरूरतमंदों के लिए मसीहा बने वाराणसी के अमन - वाराणसी न्यूज

वाराणसी के अमन कबीर (Varanasi Aman One rupee campaign) अपने समाजसेवा के जज्बे के नाते पूरे सूबे में चर्चित हैं. खुद परेशानियों में रहने के बावजूद उन्होंने कम उम्र में ही लोगों की मदद करनी शुरू कर दी थी. आज भी यह सिलसिला कायम है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 5, 2023, 8:38 PM IST

Updated : Nov 5, 2023, 10:06 PM IST

अमन कबीर की मुहिम ने बदल दी कई की जिंदगी.

वाराणसी : 'हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है, जिस तरफ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा'. मशहूर शायर बशीर भद्र के लिखे ये अलफाज शहर के अमन कबीर पर सटीक बैठते हैं. 13 साल की उम्र से उनके दिल में समाजसेव का जज्बा उमड़ा तो कारवां बनता चला गया. लोगों से एक रुपये लेकर अमन कई लोगों के जीवन को खुशियों से रोशन कर चुके हैं. वह लगातार समाजसेवा में तत्पर हैं. कोरोना काल में भी खुद की जान की परवाह न कर वह लोगों की जिंदगी को आसान बनाने में लगे रहे. 50 शवों का अंतिम संस्कार भी खुद ही किया.

घर में डांट के बावजूद नहीं बदला फैसला : जिले के कोनिया गांव के रहने वाले अमन कबीर 13 साल की उम्र से समाजसेवा करते चले आ रहे हैं. घर से डांट-फटकार सहने के बावजूद उन्होंने अपना रास्ता नहीं बदला. सड़क किनारे जख्मी मिले लोगों की मदद करना, किसी की मौत होने पर उसका अंतिम संस्कर करना, बेटियों की शादी में भी सहयोग करना उनके जीवन का हिस्सा बन चुका है. बिना किसी एनजीओ, बिना किसी संस्था के वह बनारस में एक बाइक एंबुलेंस और दो बड़ी एंबुलेंस संचालित करते हैं. यह सब लोगों की मदद से होता है. अमन का कहना है कि उनके प्रयास से कई लोगों की जिंदगी बदल चुकी है. वह इसके लिए लोगों से केवल एक रुपये की मदद मांगते हैं.

अमन कई सालों से सोगों की सेवा कर रहे हैं.
अमन कई सालों से सोगों की सेवा कर रहे हैं.

इस घटना के बाद आया समाजसेवा का विचार : अमन कबीर को बड़े नेताओं से लेकर सीएम भी जानते हैं. वह पूरे सूबे में चर्चित हैं. अमन ने बताया कि 23 सितंबर 2007 को कचहरी ब्लास्ट के बाद उन्होंने समाजसेवा का बीड़ा उठाया. ब्लास्ट में घायलों को देखकर उनका मन काफी विचलित हुआ था. इस दौरान उन्होंने समाज के लिए कुछ कर दिखाने की ठान ली. इसके बाद उनके समाजसेवा के सफर की शुरुआत हुई. कोरान काल में अमन ने अकेले 50 से ज्यादा लोगों के शवों का अंतिम संस्कार तक किया. ऐसे शवों को उनके परिजनों ने भी छूने से इनकार कर दिया था. ईटीवी भारत से बातचीत में अमन ने बताया कि उन्होंने बनारस में मुहिम की शुरुआत की. लोग मदद के लिए आगे आते गए. पैसा कहां से आ रहा था, कैसे आ रहा था, इसका हिसाब भी रख पाना संभव नहीं था. लोगों ने उन पर कई आरोप लगाने शुरू कर दिए. इसके बाद उन्होंने लोगों से प्रति व्यक्ति केवल एक रुपये की मदद करने की गुजारिश करनी शुरू कर दी.

एक मैसेज पर लोग करने लगते हैं दान : अमन बताते हैं कि जब मैं अपने सोशल मीडिया अकाउंट, वाट्सएप ग्रुप और अन्य जगहों पर किसी की मदद के लिए कोई संदेश प्रेषित करता हूं तो लोग खुद ब खुद मदद के लिए आगे आने लगते हैं. हाल ही में रवि शंकर मिश्र नाम के एक व्यक्ति का दुर्घटना में पैर टूट गया था. उनके पास इलाज के पैसे नहीं थे. लोगों से गुजारिश के बाद लगभग 12000 रुपये जुट गए. इससे जरूरतमंद की मदद की गई. एक नेत्रहीन बच्ची को डेंगू होने के कारण उसके लीवर में इन्फेक्शन हो गया था. लोगों की मदद से 15000 जुटाए. इसके बाद बच्ची के परिवार को रुपये दिए गए. बाद में बच्ची को सुरक्षित स्थान पर रखने का भी इंतजाम करवाया.

तीन साल पहले शुरू की थी मुहिम :अमन का कहना है कि उसके नेटवर्क में ऐसे बहुत से व्यापारी, छात्र और शहर के लोग हैं, जो किसी भी मैसेज पर उसकी मदद के लिए आगे आ जाते हैं. अमन का कहना है कि वह समाजसेवा से तो काफी समय से जुड़े हैं लेकिन 1 रुपए वाले मुहिम को उन्होंने तीन साल पहले ही शुरू किया था. अब तक सैकड़ों लोगों की मदद की जा चुकी है. अमन ने बताया कि उनके पिता ऑटो चलाने का काम करते थे. पिता की मौत के बाद पूरे घर की जिम्मेदारी उनके कंधे पर थी. इसलिए वह भी ऑटो और ई-रिक्शा चला कर परिवार का पेट पालने लगे. आज भी ई रिक्शा और ऑटो से उनके घर का खर्च चलता है. एक बाइक एंबुलेंस के अलावा दो फोर व्हीलर एंबुलेंस के रूप में संचालित होती हैं. इन वाहनों को देश के अलग-अलग हिस्सों से दान दाताओं ने अमन को दान में दिया है.

हर जगह मदद के लिए तैयार रहती हैं एंबुलेंस : अमन कबीर की बाइक एंबुलेंस गलियों से लेकर सड़कों तक और घाटों से लेकर हाईवे तक हर जगह मदद के लिए तैयार रहती है. युवा समाजसेवी ने बताया कि गरीब बेटियों की शादी करवाने में भी वह मदद करते हैं. ऐसी बहुत सी बेटियां हैं जिनके शादी के लिए 50000 रुपए तक की मदद इसी मुहिम के बल पर की जा चुकी है. कुछ गरीब परिवारों में मौत के बाद उनके पास अंतिम संस्कार तक के भी पैसे नहीं थे, अमन ने ऐसे लोगों की मदद की.

युवाओं को दिया संदेश : अमन के साथ जुड़े धीरज सोनकर और पीयूष यादव का कहना है कि अमन कबीर को वह काफी लंबे वक्त से जानते हैं. वह निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा करते हैं. अमन उन युवाओं के लिए मिसाल हैं, जो केवल अपने और अपने परिवार के बारे में सोचते हैं. अमन जल्द ही शादी के बंधन में बनने वाले हैं. अमन का कहना है कि मेरी होने वाली पत्नी भी मेरे इस काम से बेहद खुश रहती है. वह बार-बार कहती है कि आपका यह काम हमारे आने वाले भविष्य के लिए भी अच्छा है. सबके आशीर्वाद से जीवन अच्छा गुजर जाएगा. उन्होंने युवाओं को संदेश दिया खुद के बारे में सोचने के साथ जरूरतमंदों की भी फिक्र करिए. आपकी छोटी सी मदद किसी की जिंदगी बदल सकती है.

यह भी पढ़ें : मथुरा में 14 साल से सतीश शर्मा कर रहे समाजसेवा, फ्री में स्ट्रीट चिल्ड्रन को दे रहे शिक्षा

अमन कबीर की मुहिम ने बदल दी कई की जिंदगी.

वाराणसी : 'हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है, जिस तरफ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा'. मशहूर शायर बशीर भद्र के लिखे ये अलफाज शहर के अमन कबीर पर सटीक बैठते हैं. 13 साल की उम्र से उनके दिल में समाजसेव का जज्बा उमड़ा तो कारवां बनता चला गया. लोगों से एक रुपये लेकर अमन कई लोगों के जीवन को खुशियों से रोशन कर चुके हैं. वह लगातार समाजसेवा में तत्पर हैं. कोरोना काल में भी खुद की जान की परवाह न कर वह लोगों की जिंदगी को आसान बनाने में लगे रहे. 50 शवों का अंतिम संस्कार भी खुद ही किया.

घर में डांट के बावजूद नहीं बदला फैसला : जिले के कोनिया गांव के रहने वाले अमन कबीर 13 साल की उम्र से समाजसेवा करते चले आ रहे हैं. घर से डांट-फटकार सहने के बावजूद उन्होंने अपना रास्ता नहीं बदला. सड़क किनारे जख्मी मिले लोगों की मदद करना, किसी की मौत होने पर उसका अंतिम संस्कर करना, बेटियों की शादी में भी सहयोग करना उनके जीवन का हिस्सा बन चुका है. बिना किसी एनजीओ, बिना किसी संस्था के वह बनारस में एक बाइक एंबुलेंस और दो बड़ी एंबुलेंस संचालित करते हैं. यह सब लोगों की मदद से होता है. अमन का कहना है कि उनके प्रयास से कई लोगों की जिंदगी बदल चुकी है. वह इसके लिए लोगों से केवल एक रुपये की मदद मांगते हैं.

अमन कई सालों से सोगों की सेवा कर रहे हैं.
अमन कई सालों से सोगों की सेवा कर रहे हैं.

इस घटना के बाद आया समाजसेवा का विचार : अमन कबीर को बड़े नेताओं से लेकर सीएम भी जानते हैं. वह पूरे सूबे में चर्चित हैं. अमन ने बताया कि 23 सितंबर 2007 को कचहरी ब्लास्ट के बाद उन्होंने समाजसेवा का बीड़ा उठाया. ब्लास्ट में घायलों को देखकर उनका मन काफी विचलित हुआ था. इस दौरान उन्होंने समाज के लिए कुछ कर दिखाने की ठान ली. इसके बाद उनके समाजसेवा के सफर की शुरुआत हुई. कोरान काल में अमन ने अकेले 50 से ज्यादा लोगों के शवों का अंतिम संस्कार तक किया. ऐसे शवों को उनके परिजनों ने भी छूने से इनकार कर दिया था. ईटीवी भारत से बातचीत में अमन ने बताया कि उन्होंने बनारस में मुहिम की शुरुआत की. लोग मदद के लिए आगे आते गए. पैसा कहां से आ रहा था, कैसे आ रहा था, इसका हिसाब भी रख पाना संभव नहीं था. लोगों ने उन पर कई आरोप लगाने शुरू कर दिए. इसके बाद उन्होंने लोगों से प्रति व्यक्ति केवल एक रुपये की मदद करने की गुजारिश करनी शुरू कर दी.

एक मैसेज पर लोग करने लगते हैं दान : अमन बताते हैं कि जब मैं अपने सोशल मीडिया अकाउंट, वाट्सएप ग्रुप और अन्य जगहों पर किसी की मदद के लिए कोई संदेश प्रेषित करता हूं तो लोग खुद ब खुद मदद के लिए आगे आने लगते हैं. हाल ही में रवि शंकर मिश्र नाम के एक व्यक्ति का दुर्घटना में पैर टूट गया था. उनके पास इलाज के पैसे नहीं थे. लोगों से गुजारिश के बाद लगभग 12000 रुपये जुट गए. इससे जरूरतमंद की मदद की गई. एक नेत्रहीन बच्ची को डेंगू होने के कारण उसके लीवर में इन्फेक्शन हो गया था. लोगों की मदद से 15000 जुटाए. इसके बाद बच्ची के परिवार को रुपये दिए गए. बाद में बच्ची को सुरक्षित स्थान पर रखने का भी इंतजाम करवाया.

तीन साल पहले शुरू की थी मुहिम :अमन का कहना है कि उसके नेटवर्क में ऐसे बहुत से व्यापारी, छात्र और शहर के लोग हैं, जो किसी भी मैसेज पर उसकी मदद के लिए आगे आ जाते हैं. अमन का कहना है कि वह समाजसेवा से तो काफी समय से जुड़े हैं लेकिन 1 रुपए वाले मुहिम को उन्होंने तीन साल पहले ही शुरू किया था. अब तक सैकड़ों लोगों की मदद की जा चुकी है. अमन ने बताया कि उनके पिता ऑटो चलाने का काम करते थे. पिता की मौत के बाद पूरे घर की जिम्मेदारी उनके कंधे पर थी. इसलिए वह भी ऑटो और ई-रिक्शा चला कर परिवार का पेट पालने लगे. आज भी ई रिक्शा और ऑटो से उनके घर का खर्च चलता है. एक बाइक एंबुलेंस के अलावा दो फोर व्हीलर एंबुलेंस के रूप में संचालित होती हैं. इन वाहनों को देश के अलग-अलग हिस्सों से दान दाताओं ने अमन को दान में दिया है.

हर जगह मदद के लिए तैयार रहती हैं एंबुलेंस : अमन कबीर की बाइक एंबुलेंस गलियों से लेकर सड़कों तक और घाटों से लेकर हाईवे तक हर जगह मदद के लिए तैयार रहती है. युवा समाजसेवी ने बताया कि गरीब बेटियों की शादी करवाने में भी वह मदद करते हैं. ऐसी बहुत सी बेटियां हैं जिनके शादी के लिए 50000 रुपए तक की मदद इसी मुहिम के बल पर की जा चुकी है. कुछ गरीब परिवारों में मौत के बाद उनके पास अंतिम संस्कार तक के भी पैसे नहीं थे, अमन ने ऐसे लोगों की मदद की.

युवाओं को दिया संदेश : अमन के साथ जुड़े धीरज सोनकर और पीयूष यादव का कहना है कि अमन कबीर को वह काफी लंबे वक्त से जानते हैं. वह निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा करते हैं. अमन उन युवाओं के लिए मिसाल हैं, जो केवल अपने और अपने परिवार के बारे में सोचते हैं. अमन जल्द ही शादी के बंधन में बनने वाले हैं. अमन का कहना है कि मेरी होने वाली पत्नी भी मेरे इस काम से बेहद खुश रहती है. वह बार-बार कहती है कि आपका यह काम हमारे आने वाले भविष्य के लिए भी अच्छा है. सबके आशीर्वाद से जीवन अच्छा गुजर जाएगा. उन्होंने युवाओं को संदेश दिया खुद के बारे में सोचने के साथ जरूरतमंदों की भी फिक्र करिए. आपकी छोटी सी मदद किसी की जिंदगी बदल सकती है.

यह भी पढ़ें : मथुरा में 14 साल से सतीश शर्मा कर रहे समाजसेवा, फ्री में स्ट्रीट चिल्ड्रन को दे रहे शिक्षा

Last Updated : Nov 5, 2023, 10:06 PM IST
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