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एनवी रमना हुए रिटायर, लिए कई ऐतिहासिक फैसले, नए सीजेआई यूयू ललित ने बड़े सुधार करने का किया ऐलान - एनवी रमना रिटायर

एनवी रमना सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पद से रिटायर हो गए. यूयू ललित शनिवार से पदभार ग्रहण करेंगे. रमना ने अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसले किए. उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि जजों की नियुक्तियों को लेकर रही है. उन्होंने शीर्ष अदालत में रिकॉर्ड 11 तथा उच्च न्यायालयों में 220 से अधिक न्यायाधीशों की नियुक्तियां सुनिश्चित करने सहित कई महत्वपूर्ण न्यायिक और प्रशासनिक फैसले लिये. भारत के अगले प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति यू. यू. ललित ने शुक्रवार को अपने कार्यकाल के दौरान तीन सुधारों की घोषणा की.

UU lalti , NV ramana
यूयू ललित, एनवी रमना
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Published : Aug 26, 2022, 10:34 PM IST

नई दिल्ली : भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमना ने राजद्रोह कानून पर रोक लगाने, धनशोधन के फैसले की समीक्षा करने, पेगासस जासूसी और लखीमपुर खीरी मामलों की जांच का आदेश देने और शीर्ष अदालत में रिकॉर्ड 11 तथा उच्च न्यायालयों में 220 से अधिक न्यायाधीशों की नियुक्तियां सुनिश्चित करने सहित कई महत्वपूर्ण न्यायिक और प्रशासनिक फैसले लिये. अपने कार्यकाल के अंतिम दिन 48वें सीजेआई ने शीर्ष अदालत की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग सुनिश्चित करने के 2018 के फैसले पर अमल के तहत आज रस्मी पीठ की कार्यवाही की वेबकास्टिंग सुनिश्चित करके एक और उपलब्धि हासिल कर ली.

आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पोन्नावरम गांव में एक कृषक परिवार से ताल्लुक रखने वाले न्यायमूर्ति रमना ने 24 अप्रैल, 2021 को ऐसे समय तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की जगह ली थी, जब शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के पद बड़े पैमाने पर रिक्त थे. गौरतलब है कि 17 नवंबर, 2019 को तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की सेवानिवृत्ति के बाद शीर्ष अदालत में एक भी न्यायाधीश की नियुक्ति नहीं हुई थी और जब न्यायमूर्ति रमना ने सीजेआई का पद संभाला था तब शीर्ष अदालत में नौ रिक्तियां थीं, जबकि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के लगभग 600 पद रिक्त थे.

सीजेआई की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने एक रिकॉर्ड कायम करते हुए 11 न्यायाधीशों की नियुक्ति सुनिश्चित की, जिनमें से नौ न्यायाधीश एक ही बार में नियुक्त हुए थे. इनमें तीन महिला न्यायाधीश भी शामिल हैं. न्यायमूर्ति रमना ने कोविड-19 महामारी के दौरान अदालतों का निर्बाध कामकाज सुनिश्चित करने के अलावा, उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए बार और न्यायिक सेवाओं से 224 नामों की सिफारिश की थी. उन्होंने देश भर के न्यायाधिकरणों में पीठासीन अधिकारियों, तकनीकी और कानूनी सदस्यों की लगभग 100 नियुक्तियां सुनिश्चित कीं. सीजेआई ने गत मई में एक ऐतिहासिक आदेश दिया और राजद्रोह के मामले में औपनिवेशिक काल के कानूनी प्रावधानों पर रोक लगा दी. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें इस प्रावधान की समीक्षा लंबित रहने तक राजद्रोह के आरोपों के तहत कोई भी मामला दर्ज नहीं करेंगी.

उन्होंने राजद्रोह कानून के दुरुपयोग का संज्ञान लिया था और केंद्र को नोटिस जारी किया था. उन्होंने औपनिवेशिक युग के उस दंडात्मक प्रावधान की आवश्यकता पर सवाल उठाया था, जिसका इस्तेमाल स्वतंत्रता सेनानियों के उत्पीड़न और यातनाओं के लिए किया गया था. सेवानिवृत्ति से एक दिन पहले भी सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कार्ति चिदम्बरम की याचिका सहित कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की तथा धनशोधन निवारक कानून के तहत प्रवर्तन निदेशालय की शक्तियों को बरकरार रखने वाले विवादित फैसलों की समीक्षा खुली अदालत में करने का निर्णय लिया. प्रधान न्यायाधीश ने एक विशेष पीठ की भी अध्यक्षता की और 2002 के बिल्कीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया.

इसने एक समिति की रिपोर्ट के निष्कर्षों का भी संज्ञान लिया, जिसने जनवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा उल्लंघन मामले की जांच की थी. समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि फिरोजपुर एसएसपी अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में विफल रहे, जबकि पर्याप्त सुरक्षा बल उपलब्ध था. सीजेआई ने कार्रवाई के लिए रिपोर्ट केंद्र को भेज दी है. न्यायमूर्ति रमना के नेतृत्व वाली पीठों ने राजनेताओं, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर नजर रखने के लिए एजेंसियों द्वारा इजरायली स्पाइवेयर ‘पेगासस’ के इस्तेमाल के आरोपों और लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में जांच का आदेश दिया. लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में पिछले साल अक्टूबर में चार किसानों सहित आठ लोग मारे गए थे. उन्होंने अतिक्रमण-रोधी अभियान रोकने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप भी किया. यहां जहांगीरपुरी में सांप्रदायिक दंगों के बाद कई लोगों ने इस हस्तक्षेप का स्वागत किया था.

उनके प्रयासों से तेलंगाना उच्च न्यायालय की पीठ में न्यायाधीशों की संख्या 24 से बढ़कर 42 हो गई. सत्ताईस अगस्त, 1957 को जन्मे न्यायमूर्ति रमण ने 10 फरवरी, 1983 को वकालत शुरू की थी. उन्हें 27 जून, 2000 को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था. उन्होंने 10 मार्च, 2013 से 20 मई, 2013 तक आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवा दी. न्यायमूर्ति रमण को दो सितंबर, 2013 को दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में और 17 फरवरी, 2014 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था. निवर्तमान सीजेआई के स्थान पर न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित नये प्रधान न्यायाधीश होंगे, जिनका कार्यकाल दो महीने से थोड़ा अधिक होगा.

भारत के अगले प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति यू. यू. ललित ने शुक्रवार को अपने कार्यकाल के दौरान तीन सुधारों की घोषणा की. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा आयोजित प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमना के विदाई समारोह में अपने संबोधन में, न्यायमूर्ति ललित ने तीन सुधारों के बारे में बात करते हुए कहा कि वह मामलों की सूची को स्पष्ट और पारदर्शी बनाना चाहते हैं, संबंधित पीठों के समक्ष तत्काल मामलों का उल्लेख करने के लिए एक स्पष्ट व्यवस्था पर काम करना चाहते हैं और साल भर काम करने वाली एक संविधान पीठ चाहते हैं.

उन्होंने संविधान पीठों और मामलों को विशेष रूप से तीन न्यायाधीशों की पीठों के समक्ष सूचीबद्ध मामलों पर कहा, "मैंने हमेशा माना है कि सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका स्पष्टता के साथ कानून बनाने की है. ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका है बड़ी बेंच, ताकि मुद्दों को तुरंत स्पष्ट किया जा सके." उन्होंने आगे कहा, "ताकि एकरूपता बनी रहे और लोग इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हों कि कानून की अजीबोगरीब स्थिति की रूपरेखा क्या है. हम पूरे वर्ष भर में कम से कम एक संविधान पीठ को हमेशा काम करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे."

उन्होंने प्रधान न्यायाधीश रमना की दो प्रमुख उपलब्धियों का हवाला दिया - एक, न्यायिक रिक्तियों का समाशोधन और दूसरा, न्यायिक बुनियादी ढांचे से संबंधित मुद्दों पर ध्यान देना. उन्होंने आगे कहा कि सीजेआई रमना के कार्यकाल के दौरान विभिन्न उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की 200 से अधिक नियुक्तियां की गईं. न्यायमूर्ति ललित ने कहा, "दूसरा पहलू जो मैंने देखा वह था मुख्य न्यायाधीशों और मुख्यमंत्री के सम्मेलन में जस्टिस रमना ने जिस तरह से सभी मुख्य न्यायाधीशों और मुख्यमंत्रियों को निचली न्यायपालिका में बुनियादी ढांचे से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मनाने की कोशिश की, वह उल्लेखनीय रहा."

जस्टिस ललित ने बताया कि सीजेआई रमना द्वारा किए गए प्रयास अब प्रतिध्वनित हो रहे हैं, जब नालसा (राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण) सभी जिलों में कानूनी सहायता रक्षा परामर्शदाता कार्यालय स्थापित करने के लिए कदम उठा रहा है.

नई दिल्ली : भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमना ने राजद्रोह कानून पर रोक लगाने, धनशोधन के फैसले की समीक्षा करने, पेगासस जासूसी और लखीमपुर खीरी मामलों की जांच का आदेश देने और शीर्ष अदालत में रिकॉर्ड 11 तथा उच्च न्यायालयों में 220 से अधिक न्यायाधीशों की नियुक्तियां सुनिश्चित करने सहित कई महत्वपूर्ण न्यायिक और प्रशासनिक फैसले लिये. अपने कार्यकाल के अंतिम दिन 48वें सीजेआई ने शीर्ष अदालत की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग सुनिश्चित करने के 2018 के फैसले पर अमल के तहत आज रस्मी पीठ की कार्यवाही की वेबकास्टिंग सुनिश्चित करके एक और उपलब्धि हासिल कर ली.

आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पोन्नावरम गांव में एक कृषक परिवार से ताल्लुक रखने वाले न्यायमूर्ति रमना ने 24 अप्रैल, 2021 को ऐसे समय तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की जगह ली थी, जब शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के पद बड़े पैमाने पर रिक्त थे. गौरतलब है कि 17 नवंबर, 2019 को तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की सेवानिवृत्ति के बाद शीर्ष अदालत में एक भी न्यायाधीश की नियुक्ति नहीं हुई थी और जब न्यायमूर्ति रमना ने सीजेआई का पद संभाला था तब शीर्ष अदालत में नौ रिक्तियां थीं, जबकि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के लगभग 600 पद रिक्त थे.

सीजेआई की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने एक रिकॉर्ड कायम करते हुए 11 न्यायाधीशों की नियुक्ति सुनिश्चित की, जिनमें से नौ न्यायाधीश एक ही बार में नियुक्त हुए थे. इनमें तीन महिला न्यायाधीश भी शामिल हैं. न्यायमूर्ति रमना ने कोविड-19 महामारी के दौरान अदालतों का निर्बाध कामकाज सुनिश्चित करने के अलावा, उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए बार और न्यायिक सेवाओं से 224 नामों की सिफारिश की थी. उन्होंने देश भर के न्यायाधिकरणों में पीठासीन अधिकारियों, तकनीकी और कानूनी सदस्यों की लगभग 100 नियुक्तियां सुनिश्चित कीं. सीजेआई ने गत मई में एक ऐतिहासिक आदेश दिया और राजद्रोह के मामले में औपनिवेशिक काल के कानूनी प्रावधानों पर रोक लगा दी. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें इस प्रावधान की समीक्षा लंबित रहने तक राजद्रोह के आरोपों के तहत कोई भी मामला दर्ज नहीं करेंगी.

उन्होंने राजद्रोह कानून के दुरुपयोग का संज्ञान लिया था और केंद्र को नोटिस जारी किया था. उन्होंने औपनिवेशिक युग के उस दंडात्मक प्रावधान की आवश्यकता पर सवाल उठाया था, जिसका इस्तेमाल स्वतंत्रता सेनानियों के उत्पीड़न और यातनाओं के लिए किया गया था. सेवानिवृत्ति से एक दिन पहले भी सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कार्ति चिदम्बरम की याचिका सहित कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की तथा धनशोधन निवारक कानून के तहत प्रवर्तन निदेशालय की शक्तियों को बरकरार रखने वाले विवादित फैसलों की समीक्षा खुली अदालत में करने का निर्णय लिया. प्रधान न्यायाधीश ने एक विशेष पीठ की भी अध्यक्षता की और 2002 के बिल्कीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया.

इसने एक समिति की रिपोर्ट के निष्कर्षों का भी संज्ञान लिया, जिसने जनवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा उल्लंघन मामले की जांच की थी. समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि फिरोजपुर एसएसपी अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में विफल रहे, जबकि पर्याप्त सुरक्षा बल उपलब्ध था. सीजेआई ने कार्रवाई के लिए रिपोर्ट केंद्र को भेज दी है. न्यायमूर्ति रमना के नेतृत्व वाली पीठों ने राजनेताओं, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर नजर रखने के लिए एजेंसियों द्वारा इजरायली स्पाइवेयर ‘पेगासस’ के इस्तेमाल के आरोपों और लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में जांच का आदेश दिया. लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में पिछले साल अक्टूबर में चार किसानों सहित आठ लोग मारे गए थे. उन्होंने अतिक्रमण-रोधी अभियान रोकने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप भी किया. यहां जहांगीरपुरी में सांप्रदायिक दंगों के बाद कई लोगों ने इस हस्तक्षेप का स्वागत किया था.

उनके प्रयासों से तेलंगाना उच्च न्यायालय की पीठ में न्यायाधीशों की संख्या 24 से बढ़कर 42 हो गई. सत्ताईस अगस्त, 1957 को जन्मे न्यायमूर्ति रमण ने 10 फरवरी, 1983 को वकालत शुरू की थी. उन्हें 27 जून, 2000 को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था. उन्होंने 10 मार्च, 2013 से 20 मई, 2013 तक आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवा दी. न्यायमूर्ति रमण को दो सितंबर, 2013 को दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में और 17 फरवरी, 2014 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था. निवर्तमान सीजेआई के स्थान पर न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित नये प्रधान न्यायाधीश होंगे, जिनका कार्यकाल दो महीने से थोड़ा अधिक होगा.

भारत के अगले प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति यू. यू. ललित ने शुक्रवार को अपने कार्यकाल के दौरान तीन सुधारों की घोषणा की. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा आयोजित प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमना के विदाई समारोह में अपने संबोधन में, न्यायमूर्ति ललित ने तीन सुधारों के बारे में बात करते हुए कहा कि वह मामलों की सूची को स्पष्ट और पारदर्शी बनाना चाहते हैं, संबंधित पीठों के समक्ष तत्काल मामलों का उल्लेख करने के लिए एक स्पष्ट व्यवस्था पर काम करना चाहते हैं और साल भर काम करने वाली एक संविधान पीठ चाहते हैं.

उन्होंने संविधान पीठों और मामलों को विशेष रूप से तीन न्यायाधीशों की पीठों के समक्ष सूचीबद्ध मामलों पर कहा, "मैंने हमेशा माना है कि सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका स्पष्टता के साथ कानून बनाने की है. ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका है बड़ी बेंच, ताकि मुद्दों को तुरंत स्पष्ट किया जा सके." उन्होंने आगे कहा, "ताकि एकरूपता बनी रहे और लोग इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हों कि कानून की अजीबोगरीब स्थिति की रूपरेखा क्या है. हम पूरे वर्ष भर में कम से कम एक संविधान पीठ को हमेशा काम करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे."

उन्होंने प्रधान न्यायाधीश रमना की दो प्रमुख उपलब्धियों का हवाला दिया - एक, न्यायिक रिक्तियों का समाशोधन और दूसरा, न्यायिक बुनियादी ढांचे से संबंधित मुद्दों पर ध्यान देना. उन्होंने आगे कहा कि सीजेआई रमना के कार्यकाल के दौरान विभिन्न उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की 200 से अधिक नियुक्तियां की गईं. न्यायमूर्ति ललित ने कहा, "दूसरा पहलू जो मैंने देखा वह था मुख्य न्यायाधीशों और मुख्यमंत्री के सम्मेलन में जस्टिस रमना ने जिस तरह से सभी मुख्य न्यायाधीशों और मुख्यमंत्रियों को निचली न्यायपालिका में बुनियादी ढांचे से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मनाने की कोशिश की, वह उल्लेखनीय रहा."

जस्टिस ललित ने बताया कि सीजेआई रमना द्वारा किए गए प्रयास अब प्रतिध्वनित हो रहे हैं, जब नालसा (राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण) सभी जिलों में कानूनी सहायता रक्षा परामर्शदाता कार्यालय स्थापित करने के लिए कदम उठा रहा है.

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