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SIPRI की चेतावनी, दुनिया में फिर बढ़ सकती है परमाणु हथियारों की होड़

आने वाले समय में दुनियाभर में परमाणु हथियारों के निर्माण में तेजी आ सकती है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि परमाणु संपन्न देश न्यूक्लियर हथियार कम करने के बजाय इसकी संख्या में बढ़ोतरी कर सकते हैं. पढ़ें संजीब बरुआ की रिपोर्ट

Nukes set to grow
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Published : Jun 13, 2022, 9:04 PM IST

नई दिल्ली : एक ओर यूक्रेन में रूसी हमले हो रहे हैं और दूसरी ओर ताइवान पर चीन के हमले का खतरा मंडरा रहा है. युद्ध की आशंका के मद्देनजर पर दुनिया भर के परमाणु शक्तियों में बयानबाजी शुरू हो गई है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) का कहना है कि अगर संघर्ष हुआ तो परमाणु संपन्न नौ देशों में से पांच इसमें प्रत्यक्ष रूप से शामिल हो जाएंगे. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) ने परमाणु खतरे की आशंका जाहिर करते हुए कहा कि दुनिया के परमाणु संपन्न देशों में न्यूक्लियर हथियारों की संख्या बढ़ सकती है.

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के वेपन्स ऑफ मास डिस्ट्रक्शन प्रोग्राम के एसोसिएट सीनियर फेलो और फेडरेशन में परमाणु सूचना परियोजना के निदेशक हैंस एम क्रिस्टेंसन ने कहा कि शीतयुद्ध के खत्म होने के बाद इन देशों में परमाणु हथियार की तादाद कम करने के लिए सहमति बनी थी, मगर युद्ध जैसे हालात के कारण इस अभियान को बड़ा धक्का लगा है. बता दें कि SIPRI दुनिया के अग्रणी थिंक टैंक में से एक है, जो हथियारों के व्यापार और उनके प्रसार के अलावा निरस्त्रीकरण और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा की वर्तमान स्थिति का अध्ययन और विश्लेषण करता है.

SIPRI की एक रिपोर्ट में सोमवार को कहा गया है कि दुनिया भर में जमा किए गए परमाणु हथियारों की संख्या में मामूली गिरावट आई. पिछले एक साल में 375 परमाणु हथियार कम हुए. जनवरी 2021 से जनवरी 2022 की अवधि में परमाणु हथियारों की संख्या 13,080 से घटकर 12,705 हो गई, मगर आने वाले दशक में परमाणु हथियारों की तादाद बढ़ने की उम्मीद है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका और रूस के परमाणु जखीरे में जो कमी आई, उसका मुख्य कारण यह था कि उन्होंने अपने पुराने हथियार नष्ट कर दिए थे. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के वेपन्स ऑफ मास डिस्ट्रक्शन प्रोग्राम के निदेशक विल्फ्रेड वान ने कहा कि सभी परमाणु संपन्न राष्ट्र अब एक बार फिर नए हथियार बना रहे हैं या उसे उन्नत कर रहे हैं. इन देशों के बीच विभिन्न मुद्दों को लेकर बयानबाजी भी तेज हो गई है. परमाणु हथियार उनकी सैन्य रणनीतियों में भूमिका निभाते हैं. यह एक बहुत ही चिंताजनक प्रवृत्ति है.

रूस-यूक्रेन संघर्ष में परमाणु हमले की आशंका को हवा मिली. रविवार को चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंघे ने ताइवान मसले पर युद्ध की धमकी दे डाली. ताइवान को चीन अपना हिस्सा मानता है और वह अमेरिका के हथियारों की सप्लाई से नाराज है. चीनी रक्षा मंत्री ने कहा कि अगर कोई ताइवान को चीन से अलग करने की हिम्मत करता है, तो चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के पास किसी भी कीमत पर लड़ने और 'ताइवान स्वतंत्रता' के किसी भी प्रयास को कुचलने का विकल्प मौजूद है. माना जाता है कि चीन पहले से ही अपने परमाणु हथियारों के जखीरे का विस्तार कर रहा है. हाल की सैटेलाइट इमेज से संकेत मिलता है कि उसने 300 से अधिक न्यूक्लियर मिसाइल का निर्माण किया है. इसके अलावा 2021 में नए मोबाइल लॉन्चर और एक पनडुब्बी पर अतिरिक्त परमाणु हथियार तैनात किया था.

24 फरवरी को यूक्रेन में रूसी सैन्य कार्रवाई शुरू होने के ठीक बाद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 27 फरवरी को घोषणा की कि वह रूस के न्यूक्लियर फोर्स को अलर्ट स्टेटस पर ला रहे हैं. एक जून को रूस ने मास्को के उत्तर-पूर्व में इवानोवो क्षेत्र में अपनी परमाणु एसेट का प्रयोग शुरू कर दिया. रूसी रक्षा मंत्रालय के एक बयान में कहा गया था कि स्ट्रैटजिक (read nuclear) रॉकेट मैन मिसाइल सिस्टम को फील्ड पोजीशन पर लाने के लिए काम कर रहे हैं. इसके लिए 100 किमी तक फील्ड पोजीशन में बदलाव किया गया है. परमाणु हथियारों के एक्सरसाइज में लगभग 1,000 सैन्यकर्मी और 100 से अधिक उपकरण शामिल थे. दुनिया के परमाणु हथियारों का 90 प्रतिशत हिस्सा अमेरिका और रूस के पास है, इसके बाद सात अन्य देश हैं- यूके, फ्रांस, चीन, भारत, इज़राइल, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया शामिल है.

2022 की शुरुआत में यह अनुमान लगाया गया कि दुनिया में मौजूद 12,705 परमाणु हथियारों में 9,440 संभावित उपयोग के लिए सैन्य भंडार में रखे गए थे. 3,732 परमाणु हथियार मिसाइलों और एयरक्राफ्ट के साथ तैनात किए गए थे. रूस और अमेरिका ने लगभग 2,000 परमाणु हथियार को हाई ऑपरेशनल अलर्ट की स्थिति में रखा था.

पढ़ें : भारत स्वतंत्र विदेश नीति की राह पर, किसी दबाव में तय नहीं होते देशों के रिश्ते

नई दिल्ली : एक ओर यूक्रेन में रूसी हमले हो रहे हैं और दूसरी ओर ताइवान पर चीन के हमले का खतरा मंडरा रहा है. युद्ध की आशंका के मद्देनजर पर दुनिया भर के परमाणु शक्तियों में बयानबाजी शुरू हो गई है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) का कहना है कि अगर संघर्ष हुआ तो परमाणु संपन्न नौ देशों में से पांच इसमें प्रत्यक्ष रूप से शामिल हो जाएंगे. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) ने परमाणु खतरे की आशंका जाहिर करते हुए कहा कि दुनिया के परमाणु संपन्न देशों में न्यूक्लियर हथियारों की संख्या बढ़ सकती है.

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के वेपन्स ऑफ मास डिस्ट्रक्शन प्रोग्राम के एसोसिएट सीनियर फेलो और फेडरेशन में परमाणु सूचना परियोजना के निदेशक हैंस एम क्रिस्टेंसन ने कहा कि शीतयुद्ध के खत्म होने के बाद इन देशों में परमाणु हथियार की तादाद कम करने के लिए सहमति बनी थी, मगर युद्ध जैसे हालात के कारण इस अभियान को बड़ा धक्का लगा है. बता दें कि SIPRI दुनिया के अग्रणी थिंक टैंक में से एक है, जो हथियारों के व्यापार और उनके प्रसार के अलावा निरस्त्रीकरण और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा की वर्तमान स्थिति का अध्ययन और विश्लेषण करता है.

SIPRI की एक रिपोर्ट में सोमवार को कहा गया है कि दुनिया भर में जमा किए गए परमाणु हथियारों की संख्या में मामूली गिरावट आई. पिछले एक साल में 375 परमाणु हथियार कम हुए. जनवरी 2021 से जनवरी 2022 की अवधि में परमाणु हथियारों की संख्या 13,080 से घटकर 12,705 हो गई, मगर आने वाले दशक में परमाणु हथियारों की तादाद बढ़ने की उम्मीद है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका और रूस के परमाणु जखीरे में जो कमी आई, उसका मुख्य कारण यह था कि उन्होंने अपने पुराने हथियार नष्ट कर दिए थे. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के वेपन्स ऑफ मास डिस्ट्रक्शन प्रोग्राम के निदेशक विल्फ्रेड वान ने कहा कि सभी परमाणु संपन्न राष्ट्र अब एक बार फिर नए हथियार बना रहे हैं या उसे उन्नत कर रहे हैं. इन देशों के बीच विभिन्न मुद्दों को लेकर बयानबाजी भी तेज हो गई है. परमाणु हथियार उनकी सैन्य रणनीतियों में भूमिका निभाते हैं. यह एक बहुत ही चिंताजनक प्रवृत्ति है.

रूस-यूक्रेन संघर्ष में परमाणु हमले की आशंका को हवा मिली. रविवार को चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंघे ने ताइवान मसले पर युद्ध की धमकी दे डाली. ताइवान को चीन अपना हिस्सा मानता है और वह अमेरिका के हथियारों की सप्लाई से नाराज है. चीनी रक्षा मंत्री ने कहा कि अगर कोई ताइवान को चीन से अलग करने की हिम्मत करता है, तो चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के पास किसी भी कीमत पर लड़ने और 'ताइवान स्वतंत्रता' के किसी भी प्रयास को कुचलने का विकल्प मौजूद है. माना जाता है कि चीन पहले से ही अपने परमाणु हथियारों के जखीरे का विस्तार कर रहा है. हाल की सैटेलाइट इमेज से संकेत मिलता है कि उसने 300 से अधिक न्यूक्लियर मिसाइल का निर्माण किया है. इसके अलावा 2021 में नए मोबाइल लॉन्चर और एक पनडुब्बी पर अतिरिक्त परमाणु हथियार तैनात किया था.

24 फरवरी को यूक्रेन में रूसी सैन्य कार्रवाई शुरू होने के ठीक बाद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 27 फरवरी को घोषणा की कि वह रूस के न्यूक्लियर फोर्स को अलर्ट स्टेटस पर ला रहे हैं. एक जून को रूस ने मास्को के उत्तर-पूर्व में इवानोवो क्षेत्र में अपनी परमाणु एसेट का प्रयोग शुरू कर दिया. रूसी रक्षा मंत्रालय के एक बयान में कहा गया था कि स्ट्रैटजिक (read nuclear) रॉकेट मैन मिसाइल सिस्टम को फील्ड पोजीशन पर लाने के लिए काम कर रहे हैं. इसके लिए 100 किमी तक फील्ड पोजीशन में बदलाव किया गया है. परमाणु हथियारों के एक्सरसाइज में लगभग 1,000 सैन्यकर्मी और 100 से अधिक उपकरण शामिल थे. दुनिया के परमाणु हथियारों का 90 प्रतिशत हिस्सा अमेरिका और रूस के पास है, इसके बाद सात अन्य देश हैं- यूके, फ्रांस, चीन, भारत, इज़राइल, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया शामिल है.

2022 की शुरुआत में यह अनुमान लगाया गया कि दुनिया में मौजूद 12,705 परमाणु हथियारों में 9,440 संभावित उपयोग के लिए सैन्य भंडार में रखे गए थे. 3,732 परमाणु हथियार मिसाइलों और एयरक्राफ्ट के साथ तैनात किए गए थे. रूस और अमेरिका ने लगभग 2,000 परमाणु हथियार को हाई ऑपरेशनल अलर्ट की स्थिति में रखा था.

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