लखनऊ: उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष पर बनारस के बड़े नेता व पांच बार के विधायक अजय राय को कमान सौंप गई है. वहीं, इसके साथ उत्तर प्रदेश के प्रभारी के तौर पर प्रियंका गांधी के बाद कौन आएगा इसको लेकर चर्चाओं का बाजार बहुत तेजी से गर्म है. बीते दिनों हुए अगर घटनाक्रमों को देखा जाए तो पार्टी सूत्रों का कहना है कि पार्टी उत्तर प्रदेश में किसी प्रभारी को जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी में है. इसमें कई बड़े अल्पसंख्यक नेता विशेष तौर पर मुस्लिम समुदाय के तारीख अनवर, सलमान खुर्शीद व नदीम जावेद का नाम प्रमुखता से चल रहा है. वहीं अब इसमें एक नया नाम भी जुड़ गया है. अजय राय के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद बीते दिनों उनसे मिले एक बड़े कांग्रेसी नेता का नाम यूपी के प्रभारी के तौर पर बहुत तेजी से सामने आया है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि पार्टी उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंप सकती है.
कांग्रेस पार्टी के सूत्रों का कहना है कि प्रियंका गांधी के बाद उत्तर प्रदेश में उनके उत्तराधिकारी के तौर पर मौजूदा समय में सबसे आगे नवजोत सिद्धू का नाम चल रहा है. पार्टी सूत्रों ने बताया कि जिस तरह से बीते दिनों उन्होंने वाराणसी में काशी विश्वनाथ के दर्शन करने के साथ ही अजय राय के साथ उनकी मुलाकात हुई थी. उसके ठीक एक सप्ताह के अंदर ही अजय राय को यूपी प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया. सूत्रों का कहना है कि नवजोत सिंह सिद्धू राहुल गांधी व प्रियंका गांधी दोनों के बहुत करीबी है. ऐसे में उनका उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया जाना लगभग माना जा रहा है. हालांकि इस लिस्ट में उन्हें पड़ोसी राज उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत से चुनौती मिलने की बात कही जा रही है.
पार्टी के सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी के बाद किसी अल्पसंख्यक समाज के नेता को प्रभारी बनाने की बात चल रही है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि नवजोत सिंह सिद्धू पार्टी के लिए दो फ्रंटो पर सबसे फिट बैठ रहे हैं. पहला तो वह देश में एक जाने-माने चेहरे के तौर पर स्थापित है. इसके अलावा वह अल्पसंख्यक समाज से भी आते हैं. ऐसे में मुसलमानों के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश खासकर तराई के जिलों में जो सिख समुदाय के लोग हैं उन्हें पार्टी से जोड़ने में काफी मदद मिल सकती है.
सूत्रों का कहना है कि नवजोत सिंह सिद्धू को पार्टी पंजाब से हटाकर उत्तर प्रदेश भेजने का एक बड़ा मकसद यह है कि पंजाब में बीते साल हुए विधानसभा चुनाव के दौरान जो गतिरोध उत्पन्न हुए थे उसे भी पार्टी काबू कर सकती है. नवजोत सिंह सिद्धू के यूपी प्रभारी बनने पर पंजाब में कांग्रेस व आपके बीच गठबंधन को लेकर रास्ता आसान हो सकता है. ज्ञात हो कि पंजाब विधानसभा के चुनाव के समय नवजोत सिंह सिद्धू व कांग्रेस के पंजाब के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ के बीच में काफी विवाद बढ़ गया था.