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महाराष्ट्र : 365 दिन चलता है स्कूल, सभी बच्चे दोनों हाथों से लिखने में हैं एक्सपर्ट

महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर तालुका स्थित हिवाली गांव का जिला परिषद स्कूल सुर्खियां बटोर रहा है. यह स्कूल सालभर खुला रहता है साथ ही यहां पर बारह घंटे कक्षा चलती है. इस दौरान बच्चों को रोगगारपरक शिक्षा देने के अलावा अन्य कई चीजें सिखाई जाती हैं. स्कूल के सभी बच्चे दोनों हाथों से लिख लेते हैं. पढ़िए पूरी खबर...

School runs 365 days
365 दिन चलता है स्कूल
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Published : Nov 30, 2022, 6:44 PM IST

Updated : Nov 30, 2022, 7:12 PM IST

नासिक: महाराष्ट्र के नासिक से 75 किलोमीटर की दूरी पर त्र्यंबकेश्वर तालुका स्थित हिवाली गांव के जिला परिषद स्कूल की शिक्षा व्यवस्था से यह प्रदेश में हर जगह चर्चा का विषय बना हुआ है. करीब तीन सौ की आबादी वाला यह आदिवासी बहुल गांव है.स्कूल के सभी बच्चे कापी में दोनों हाथों से एकसाथ लिख सकते हैं.

इतना ही नहीं आधारभूत संरचना के अभाव के बाद भी इस स्कूल ने न केवल जिले बल्कि प्रदेश में मिसाल कायम की है. इस स्कूल की खास बात यह है कि स्कूल में साल में एक भी छुट्टी नहीं होती होती है और यह स्कूल 365 दिन चलता है. यह स्कूल प्रतिदिन सुबह 8 बजे से रात 8 बजे संचालित किया जाात है, इस दौरान छात्रों का पढ़ाया जाता है.

देखें वीडियो

1000 तक टेबल: स्कूल में पहली से 5वीं तक के सभी छात्रों को 1000 तक का टेबल याद है. इसके अलावा सभी छात्रों को सामान्य ज्ञान, राष्ट्रीय राजमार्ग, भारतीय संविधान के सभी खंड और दुनिया भर के देशों की राजधानियों ने नाम उन्हें कंठस्थ हैं. दिलचस्प बात यह है कि यहां के छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं के संदर्भ में पूछे गए गणितीय और तार्किक प्रश्नों के सही उत्तर देते हैं.

रोजगारोन्मुखी शिक्षा पर जोर: स्कूल के शिक्षक केशव गावित ने हिवाली के स्कूल को एक अलग ऊंचाई पर पहुंचाया है. गावित का कहना है कि उनका जोर छात्रों को सिर्फ किताबी ज्ञान देने की बजाय रोजगारपरक शिक्षा देने पर है. प्रतिदिन आठ घंटे किताबी ज्ञान और शेष सात घंटे भविष्य के रोजगारोन्मुख ट्यूटर्स के लिए होते हैं. इसमें विद्यार्थियों को प्लंबर, फिटर, इलेक्ट्रीशियन, कारपेंटर, पेंटिंग आदि की शिक्षा दी जाती है.

वारली पेंटिंग पाठ: इस स्कूल के छात्रों को यूट्यूब के माध्यम से वारली पेंटिंग का पाठ पढ़ाया जाता है. उसके बाद न केवल स्कूल की दीवारों बल्कि गांव के घरों को भी छात्रों द्वारा वारली पेंटिंग से रंगा गया है.

बच्चों का अफसर बनने का सपना : स्कूल आने वाले बच्चों में का सपना है कि वो अफसर बनें. इस बारे में उन्होंने कहा कि इसलिए हम साल भर स्कूल आते हैं. साथ ही रोज 14 से 15 घंटे स्कूल में बिताते हैं. बच्चों ने कहा कि स्कूल में ही दो वक्त का खाना दिया जाता है इसलिए माता-पिता बेफिक्र होकर काम पर चले जाते हैं. हमारा शेड्यूल फिक्स है. कक्षा के सभी बच्चे एक ही समय में दोनों हाथों से लिखते हैं. इनका कहना है कि वे आगे चलकर डॉक्टर, आईएस अधिकारी और पुलिस अधिकारी बनने का सपना देखते हैं.
स्कूल की विशेषताएं: स्कूल 365 दिनों के लिए दिन में 12 घंटे खुला रहता है. बालवाड़ी से ही बच्चों को पढ़ना-लिखना सिखाया जाता है. छात्र दोनों हाथों से एक ही पेन का उपयोग करके पुस्तक के बाएं और दाएं पृष्ठों पर दो अलग-अलग विषय लिखते हैं. इतना ही नहीं छात्रवृत्ति परीक्षा में शत प्रतिशत विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए.

ये भी पढ़ें - उरी सेक्टर में जीरो लाइन के पास लौट रही लोगों में उम्मीद, 17 साल बाद इलाके में होगा स्थाई स्कूल

नासिक: महाराष्ट्र के नासिक से 75 किलोमीटर की दूरी पर त्र्यंबकेश्वर तालुका स्थित हिवाली गांव के जिला परिषद स्कूल की शिक्षा व्यवस्था से यह प्रदेश में हर जगह चर्चा का विषय बना हुआ है. करीब तीन सौ की आबादी वाला यह आदिवासी बहुल गांव है.स्कूल के सभी बच्चे कापी में दोनों हाथों से एकसाथ लिख सकते हैं.

इतना ही नहीं आधारभूत संरचना के अभाव के बाद भी इस स्कूल ने न केवल जिले बल्कि प्रदेश में मिसाल कायम की है. इस स्कूल की खास बात यह है कि स्कूल में साल में एक भी छुट्टी नहीं होती होती है और यह स्कूल 365 दिन चलता है. यह स्कूल प्रतिदिन सुबह 8 बजे से रात 8 बजे संचालित किया जाात है, इस दौरान छात्रों का पढ़ाया जाता है.

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1000 तक टेबल: स्कूल में पहली से 5वीं तक के सभी छात्रों को 1000 तक का टेबल याद है. इसके अलावा सभी छात्रों को सामान्य ज्ञान, राष्ट्रीय राजमार्ग, भारतीय संविधान के सभी खंड और दुनिया भर के देशों की राजधानियों ने नाम उन्हें कंठस्थ हैं. दिलचस्प बात यह है कि यहां के छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं के संदर्भ में पूछे गए गणितीय और तार्किक प्रश्नों के सही उत्तर देते हैं.

रोजगारोन्मुखी शिक्षा पर जोर: स्कूल के शिक्षक केशव गावित ने हिवाली के स्कूल को एक अलग ऊंचाई पर पहुंचाया है. गावित का कहना है कि उनका जोर छात्रों को सिर्फ किताबी ज्ञान देने की बजाय रोजगारपरक शिक्षा देने पर है. प्रतिदिन आठ घंटे किताबी ज्ञान और शेष सात घंटे भविष्य के रोजगारोन्मुख ट्यूटर्स के लिए होते हैं. इसमें विद्यार्थियों को प्लंबर, फिटर, इलेक्ट्रीशियन, कारपेंटर, पेंटिंग आदि की शिक्षा दी जाती है.

वारली पेंटिंग पाठ: इस स्कूल के छात्रों को यूट्यूब के माध्यम से वारली पेंटिंग का पाठ पढ़ाया जाता है. उसके बाद न केवल स्कूल की दीवारों बल्कि गांव के घरों को भी छात्रों द्वारा वारली पेंटिंग से रंगा गया है.

बच्चों का अफसर बनने का सपना : स्कूल आने वाले बच्चों में का सपना है कि वो अफसर बनें. इस बारे में उन्होंने कहा कि इसलिए हम साल भर स्कूल आते हैं. साथ ही रोज 14 से 15 घंटे स्कूल में बिताते हैं. बच्चों ने कहा कि स्कूल में ही दो वक्त का खाना दिया जाता है इसलिए माता-पिता बेफिक्र होकर काम पर चले जाते हैं. हमारा शेड्यूल फिक्स है. कक्षा के सभी बच्चे एक ही समय में दोनों हाथों से लिखते हैं. इनका कहना है कि वे आगे चलकर डॉक्टर, आईएस अधिकारी और पुलिस अधिकारी बनने का सपना देखते हैं.
स्कूल की विशेषताएं: स्कूल 365 दिनों के लिए दिन में 12 घंटे खुला रहता है. बालवाड़ी से ही बच्चों को पढ़ना-लिखना सिखाया जाता है. छात्र दोनों हाथों से एक ही पेन का उपयोग करके पुस्तक के बाएं और दाएं पृष्ठों पर दो अलग-अलग विषय लिखते हैं. इतना ही नहीं छात्रवृत्ति परीक्षा में शत प्रतिशत विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए.

ये भी पढ़ें - उरी सेक्टर में जीरो लाइन के पास लौट रही लोगों में उम्मीद, 17 साल बाद इलाके में होगा स्थाई स्कूल

Last Updated : Nov 30, 2022, 7:12 PM IST
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