नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने 2022 के महाराष्ट्र राजनीतिक संकट को लेकर शिवसेना के उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे धड़े की दोतरफा याचिकाओं पर आज फैसला सुनाया. प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट से संबंधित याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने माना कि 27 जून का आदेश नबाम रेबिया के फैसले पर निर्भर नहीं था और केवल डिप्टी स्पीकर के नोटिस का जवाब देने के लिए समय बढ़ाया गया था. कोर्ट ने कहा कि यह मुद्दा एक बड़ी बेंच को भेजा जायेगा.
सीजेआई ने कहा कि हमने इस विशेष मामले की मेरिट पर फैसला किया. सीजेआई ने कहा कि लोगों द्वारा सीधे चुने गए विधायकों का कर्तव्य कार्यपालिका को जवाबदेह ठहराना है. सीजेआई ने कहा कि अनुच्छेद 212 का अर्थ यह नहीं लगाया जा सकता है कि सदन की सभी प्रक्रियात्मक दुर्बलताएं न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर हैं. कोर्ट ने कहा कि स्पीकर ने असली ह्विप की जांच नहीं की है. सीजेआई ने कहा कि गोगावले को ह्विप बनाने का फैसला गलत था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्पीकर को अयोग्यता याचिकाओं पर उचित समय के भीतर फैसला करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि यथास्थिति बहाल नहीं की जा सकती क्योंकि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया और अपना इस्तीफा दे दिया.
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Maharashtra political crisis | Supreme Court says courts cannot be excluded by Article 212 from inquiring into the validity of the action of the Speaker by recognising the whip
— ANI (@ANI) May 11, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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सीजेआई ने कहा कि शिंदे गुट के नेता को स्पीकर चीफ ह्विफ नहीं बना सकते थे. सीजेआई ने इस मामले में राज्यपाल की भूमिका पर भी सवाल उठाये हैं. कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल का फैसला संविधान के मुताबिक नहीं था. उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया. इसलिए उन्हें कोई राहत नहीं दी जा सकती है.
जिसके कारण उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार गिर गयी थी. इस मामले में उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने कहा कि अगर आज सीएम शिंदे समेत 16 विधायक अयोग्य घोषित कर दिए जाएं तो देशद्रोहियों की यह जमात खत्म हो जाएगी.
शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर प्रकाशित वाद सूची के अनुसार, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ इस मामले में फैसला सुनाएंगे. संविधान पीठ में न्यायमूर्ति एम. आर. शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा भी शामिल हैं. संविधान पीठ ने 16 मार्च, 2023 को संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में अंतिम सुनवाई 21 फरवरी को शुरू हुई थी और नौ दिनों तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया था.
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Maharashtra | If the 16 MLAs including CM Shinde are disqualified today, then this group of traitors will be finished: Sanjay Raut, Uddhav Thackeray faction leader pic.twitter.com/bW3i5qy1xt
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पढ़ें : महाराष्ट्र के 2022 के राजनीतिक संकट को लेकर शीर्ष अदालत कल सुनाएगी फैसला
शीर्ष अदालत ने सुनवाई के अंतिम दिन आश्चर्य व्यक्त किया था कि वह उद्धव ठाकरे की सरकार को कैसे बहाल कर सकती है, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री ने सदन में बहुमत परीक्षण का सामना करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था. ठाकरे गुट ने सुनवाई के दौरान न्यायालय से आग्रह किया था कि वह 2016 के अपने उसी फैसले की तरह उनकी सरकार बहाल कर दे, जैसे उसने अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री नबाम तुकी की सरकार बहाल की थी.
ठाकरे गुट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी एवं देवदत्त कामत और अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी ने शीर्ष अदालत के समक्ष पक्ष रखा था, जबकि एकनाथ शिंदे गुट का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल, हरीश साल्वे एवं महेश जेठमलानी और अधिवक्ता अभिकल्प प्रताप सिंह ने किया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता राज्य के राज्यपाल कार्यालय की ओर से पेश हुए. गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने 17 फरवरी को महाराष्ट्र राजनीतिक संकट से संबंधित याचिकाओं को सात-सदस्यीय संविधान पीठ के सुपुर्द करने का आग्रह ठुकरा दिया था.