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अफगानी जज के नाम से याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता पर कोर्ट ने लगाया जुर्माना

अफगानिस्तान की एक जज, पूर्व गवर्नर और पायलट के नाम से जनहित याचिका दाखिल करना एक अधिवक्ता को महंगा पड़ गया. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उक्त अधिवक्ता पर दस हजार रुपये का हर्जाना लगाया है.

जुर्माना
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Published : Sep 17, 2021, 9:21 PM IST

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक अधिवक्ता के ऊपर दस हजार रुपये का हर्जाना लगाया है. दरअसल अधिवक्ता ने अफगानिस्तान की एक जज, पूर्व गवर्नर और पायलट के नाम से जनहित याचिका दाखिल की थी. उसने अफगानिस्तान के सुप्रीम कोर्ट की जज काजी मर्जिया समेत कंधार की पूर्व गवर्नर सलीमा माजरी और पायलट नीलोफर रहमानी की ओर से खुद को उनका मित्र बताते हुए एक जनहित याचिका दाखिल की थी.

याचिका में इन तीनों को राजनीतिक शरण देने और अफगानिस्तान में सुरक्षित माहौल बनाने के लिए भारत सरकार को कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई थी.

ये आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की खंडपीठ ने उक्त तीनों की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया है. सुनवाई के दौरान न्यायालय ने अधिवक्ता से पूछा कि वह इन तीनों का ‘मित्र’ कैसे है. इस पर अधिवक्ता का कहना था कि सोशल मीडिया के द्वारा उक्त तीनों को जानता है. न्यायालय ने पूछा कि क्या इन तीनों की ओर से उसे अधिकृत किया गया है. इसका सुरेश गुप्ता कोई जवाब नहीं दे सके. न्यायालय ने याचिका में वर्णित तथ्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि स्पष्ट है कि सुरेश गुप्ता झूठ बोल रहे हैं. वर्तमान याचिका उन्होंने अपनी मर्जी से मात्र पब्लिसिटी के लिए दाखिल की है.

इसे भी पढ़ें- ISIS भारत में जड़ें जमाने की ताक में, NIA ने जारी किया हॉटलाइन नंबर

न्यायालय ने आगे कहा कि इस याचिका के जरिए न्यायालय का बहुमूल्य समय भी बर्बाद किया गया है. लिहाजा न्यायालय ने सुरेश गुप्ता पर दस हजार रुपये का हर्जाना लगाते हुए हर्जाने की रकम लीगल सर्विस कमेटी में जमा करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही जिलाधिकारी लखनऊ को भी आदेश दिया है कि तीस दिनों में हर्जाने की रकम न जमा होने पर सुरेश गुप्ता से वसूली की जाए.

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक अधिवक्ता के ऊपर दस हजार रुपये का हर्जाना लगाया है. दरअसल अधिवक्ता ने अफगानिस्तान की एक जज, पूर्व गवर्नर और पायलट के नाम से जनहित याचिका दाखिल की थी. उसने अफगानिस्तान के सुप्रीम कोर्ट की जज काजी मर्जिया समेत कंधार की पूर्व गवर्नर सलीमा माजरी और पायलट नीलोफर रहमानी की ओर से खुद को उनका मित्र बताते हुए एक जनहित याचिका दाखिल की थी.

याचिका में इन तीनों को राजनीतिक शरण देने और अफगानिस्तान में सुरक्षित माहौल बनाने के लिए भारत सरकार को कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई थी.

ये आदेश न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की खंडपीठ ने उक्त तीनों की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया है. सुनवाई के दौरान न्यायालय ने अधिवक्ता से पूछा कि वह इन तीनों का ‘मित्र’ कैसे है. इस पर अधिवक्ता का कहना था कि सोशल मीडिया के द्वारा उक्त तीनों को जानता है. न्यायालय ने पूछा कि क्या इन तीनों की ओर से उसे अधिकृत किया गया है. इसका सुरेश गुप्ता कोई जवाब नहीं दे सके. न्यायालय ने याचिका में वर्णित तथ्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि स्पष्ट है कि सुरेश गुप्ता झूठ बोल रहे हैं. वर्तमान याचिका उन्होंने अपनी मर्जी से मात्र पब्लिसिटी के लिए दाखिल की है.

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न्यायालय ने आगे कहा कि इस याचिका के जरिए न्यायालय का बहुमूल्य समय भी बर्बाद किया गया है. लिहाजा न्यायालय ने सुरेश गुप्ता पर दस हजार रुपये का हर्जाना लगाते हुए हर्जाने की रकम लीगल सर्विस कमेटी में जमा करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही जिलाधिकारी लखनऊ को भी आदेश दिया है कि तीस दिनों में हर्जाने की रकम न जमा होने पर सुरेश गुप्ता से वसूली की जाए.

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