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Krishnapingala Sankashti Chaturthi 2023 : कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी पर करें गणेश पूजन, बड़ी-बड़ी समस्याओं से मिल जाती है मुक्ति

हमारी धार्मिक मान्यताओं में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर संकष्टी चतुर्थी व्रत और शुक्ल पक्ष में विनायक चतुर्थी का व्रत किया जाता है. इस दिन भगवान गणेश के अलग अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. जानिए इसके लाभ व तरीके...

Krishnapingala Sankashti Chaturthi 2023
कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी 2023
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Published : Jun 7, 2023, 1:29 AM IST

हमारे देश त्योहारों का देश है. यहां पर हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर माह कई त्योहार मनाए जाते हैं. प्रत्येक मास में चतुर्थी दो बार आती है. इसीलिए कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर संकष्टी चतुर्थी व्रत और शुक्ल पक्ष में विनायक चतुर्थी का व्रत रखकर भगवान गणेश की पूजा की जाती है. आज पूरे देश में संकष्टी चतुर्थी मनायी जा रही है. इसे कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है. यह भगवान गणेश को समर्पित इस त्योहार में विधि विधान से लंबोदर की पूजा की जाती है.

आपको बता दें कि 'संकष्टी' एक संस्कृत का शब्द है, जिसका अर्थ होता है, कठिन व बुरे समय से मुक्ति पाना. इसी के तहत विध्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा और व्रत करने का प्राविधान है. इनकी पूजा से सुख, शांति, समृद्धि के साथ ज्ञान और चातुर्य की प्राप्ति होती है.

यह है शुभ मुहूर्त
आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के देखा जाय तो यह 6 जून दिन मंगलवार को देर रात 12:50 से प्रारंभ होने जा रही है और यह तिथि 7 जून बुधवार को रात 09:50 मिनट पर खत्म होगी. इसके कारण उदयातिथि की मान्यता के आधार पर कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी व्रत 7 जून दिन बुधवार को ही रखा जाएगा.

इस दिन सभी देवी-देवतों में प्रथम पूजनीय माने जाने वाले गणपति के पूजन से तमाम तरह के लाभ मिलते हैं. इसके लिए कुछ सावधानियां बतायी जाती हैं, ताकि आपको पूजा का पूर्ण फल मिले और आपसे कोई चूक न हो.

Krishnapingala Sankashti Chaturthi 2023
कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी 2023

ऐसे करें कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी पर पूजा

  1. कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा में ध्यान रखने वाली बात ये हैं कि भूलकर भी गणेश भगवाने को तुलसी दल नहीं चढ़ाना चाहिए. इस तरह की गलती से पूजा व व्रत का लाभ नहीं मिलता है. गणपति जी को तुलसी दल की जगह दुर्वा दल चढ़ाया जाता है, क्योंकि इनको दुर्वा दल काफी पसंद है.
  2. जीवन में आर्थिक समस्याओं से बचने के लिए संकष्टी चतुर्थी व्रत करने वाली महिलाओं को जमीन के अंदर पैदा होने वाली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए. व्रती महिलाओं को कंद मूल, चुकन्दर, गाजर, मूली, शलजम, शकरकंद जैसी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए. जो इसका ध्यान नहीं रखता उसके जीवन में आर्थिक समस्याएं आती रहती हैं.
  3. चतुर्थी व्रत के दिन चंद्र देव की पूजा करके अर्घ्य दिया जाता है. गणेश भगवान की पूजा में चंद्र देव को बिना अर्घ दिए व्रत पूर्ण नहीं माना जाता है. चंद्रमा को अर्घ्य प्रदान करने के बाद ही प्रसाद ग्रहण करना चाहिए या अपने व्रत का पारण करना चाहिए.
  4. संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन भगवान गणेश की पूजा में गंध, पुष्प, धूप, दीप इत्यादि शामिल करने के साथ साथ गेंदे का फूल, मोदक और गुड़ के साथ तिल का भोग लगा सकते हैं. ऐसा करने से मंगलकारी परिणाम मिलते हैं.
  5. भगवान गणेश को सिंदूर लगाना लाभकारी होता है, क्योंकि सिंदूर गणेश को बहुत ही प्रिय माना जाता है. इसलिए संकष्टी चतुर्थी व्रत के दौरान होने वाली पूजा के समय भगवान गणेश को सिंदूर का तिलक लगाकर उसे खुद भी धारण करें. इससे अखंड सौभाग्य मिलता है और जीवन में सुख एवं समृद्धि के द्वार खुलते हैं.
  6. जीवन में आ रही बड़ी-बड़ी समस्याओं के समाधान व मुक्ति के लिए संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन भगवान गणेश को 'ॐ गं गणपतये नमः' बोलकर 17 दूर्वा एक-एक करके अर्पित करें. आप इस 'ॐ गं गणपतये नमः' मंत्र का जाप निरंतर भी कर सकते हैं, जिसका असर आपके जीवन में दिखायी देगा.

हमारे देश त्योहारों का देश है. यहां पर हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर माह कई त्योहार मनाए जाते हैं. प्रत्येक मास में चतुर्थी दो बार आती है. इसीलिए कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर संकष्टी चतुर्थी व्रत और शुक्ल पक्ष में विनायक चतुर्थी का व्रत रखकर भगवान गणेश की पूजा की जाती है. आज पूरे देश में संकष्टी चतुर्थी मनायी जा रही है. इसे कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है. यह भगवान गणेश को समर्पित इस त्योहार में विधि विधान से लंबोदर की पूजा की जाती है.

आपको बता दें कि 'संकष्टी' एक संस्कृत का शब्द है, जिसका अर्थ होता है, कठिन व बुरे समय से मुक्ति पाना. इसी के तहत विध्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा और व्रत करने का प्राविधान है. इनकी पूजा से सुख, शांति, समृद्धि के साथ ज्ञान और चातुर्य की प्राप्ति होती है.

यह है शुभ मुहूर्त
आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के देखा जाय तो यह 6 जून दिन मंगलवार को देर रात 12:50 से प्रारंभ होने जा रही है और यह तिथि 7 जून बुधवार को रात 09:50 मिनट पर खत्म होगी. इसके कारण उदयातिथि की मान्यता के आधार पर कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी व्रत 7 जून दिन बुधवार को ही रखा जाएगा.

इस दिन सभी देवी-देवतों में प्रथम पूजनीय माने जाने वाले गणपति के पूजन से तमाम तरह के लाभ मिलते हैं. इसके लिए कुछ सावधानियां बतायी जाती हैं, ताकि आपको पूजा का पूर्ण फल मिले और आपसे कोई चूक न हो.

Krishnapingala Sankashti Chaturthi 2023
कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी 2023

ऐसे करें कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी पर पूजा

  1. कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा में ध्यान रखने वाली बात ये हैं कि भूलकर भी गणेश भगवाने को तुलसी दल नहीं चढ़ाना चाहिए. इस तरह की गलती से पूजा व व्रत का लाभ नहीं मिलता है. गणपति जी को तुलसी दल की जगह दुर्वा दल चढ़ाया जाता है, क्योंकि इनको दुर्वा दल काफी पसंद है.
  2. जीवन में आर्थिक समस्याओं से बचने के लिए संकष्टी चतुर्थी व्रत करने वाली महिलाओं को जमीन के अंदर पैदा होने वाली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए. व्रती महिलाओं को कंद मूल, चुकन्दर, गाजर, मूली, शलजम, शकरकंद जैसी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए. जो इसका ध्यान नहीं रखता उसके जीवन में आर्थिक समस्याएं आती रहती हैं.
  3. चतुर्थी व्रत के दिन चंद्र देव की पूजा करके अर्घ्य दिया जाता है. गणेश भगवान की पूजा में चंद्र देव को बिना अर्घ दिए व्रत पूर्ण नहीं माना जाता है. चंद्रमा को अर्घ्य प्रदान करने के बाद ही प्रसाद ग्रहण करना चाहिए या अपने व्रत का पारण करना चाहिए.
  4. संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन भगवान गणेश की पूजा में गंध, पुष्प, धूप, दीप इत्यादि शामिल करने के साथ साथ गेंदे का फूल, मोदक और गुड़ के साथ तिल का भोग लगा सकते हैं. ऐसा करने से मंगलकारी परिणाम मिलते हैं.
  5. भगवान गणेश को सिंदूर लगाना लाभकारी होता है, क्योंकि सिंदूर गणेश को बहुत ही प्रिय माना जाता है. इसलिए संकष्टी चतुर्थी व्रत के दौरान होने वाली पूजा के समय भगवान गणेश को सिंदूर का तिलक लगाकर उसे खुद भी धारण करें. इससे अखंड सौभाग्य मिलता है और जीवन में सुख एवं समृद्धि के द्वार खुलते हैं.
  6. जीवन में आ रही बड़ी-बड़ी समस्याओं के समाधान व मुक्ति के लिए संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन भगवान गणेश को 'ॐ गं गणपतये नमः' बोलकर 17 दूर्वा एक-एक करके अर्पित करें. आप इस 'ॐ गं गणपतये नमः' मंत्र का जाप निरंतर भी कर सकते हैं, जिसका असर आपके जीवन में दिखायी देगा.
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