नई दिल्ली : फोरेंसिक फाइनेंशियल रिसर्च करने वाली अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडाणी ग्रुप पर सवाल उठाए हैं. हिंडनबर्ग का दावा है कि ग्रुप ने टैक्स बचाने के लिए विदेशों में बनाई गई कंपनियों का इस्तेमाल किया है. रिपोर्ट आने के बाद अडाणी ग्रुप के शेयर गिर रहे हैं. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि हिंडनबर्ग क्या है, किसने इसकी स्थापना की और ये कंपनी कैसे काम करती है.
नाथन ने की थी हिंडनबर्ग की स्थापना : हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) एलएलसी की स्थापना 38 वर्षीय नाथन एंडरसन ने की थी. कनेक्टिकट विश्वविद्यालय से अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रबंधन की पढ़ाई करने वाले नाथन ने यरुशलम में फैक्टसेट नाम की फाइनेंशियल सॉफ्टवेयर कंपनी के साथ अपने काम की शुरुआत की थी, फिर वाशिंगटन और न्यूयॉर्क में ब्रोकर डीलर फर्म के साथ काम किया.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हिंडनबर्ग की स्थापना करने से पहले नाथन ने हैरी मार्कोपोलोस के साथ काम किया, जिसने प्लेटिनम पार्टनर्स की जांच के लिए बर्नी मैडॉफ की पोंजी स्कीम को हरी झंडी दिखाई थी. एंडरसन ने पांच पूर्णकालिक कर्मचारियों और कुछ कॉन्ट्रैक्टर्स की छोटी टीम के साथ काम शुरू किया था.
कंपनियों की वित्तीय अनियमितता उजागर करती है हिंडनबर्ग : हिंडनबर्ग रिसर्च मुख्य रूप से फोरेंसिक फाइनेंशियल रिसर्च का काम करती है. कंपनी अपने आप को इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट इंडस्ट्री का एक्सपर्ट बताती है. कंपनी का दावा है कि वह जिस तरह से अनुसंधान का कार्य करती है, उससे कंपनी को अधिकतम लाभ मिलता है.
हिंडनबर्ग के अनुसार वह किसी भी कंपनी के प्रबंधन में शामिल बैड एक्टर्स पर विशेष जोर देती है. उसका फोकस ऐसे सोर्स पर विचार करना है, जिस पर शायद ही किसी की नजर जाती है, और वह टिपिकल सोर्सेस से जानकारी जुटाकर उन परिणामों को सामने रखती है. अकाउंटिंग में गड़बड़ियां ढूंढी जाती हैं. अवैध तरीके या फिर अनैतिक तरीके से बिजनेस करने वाली कंपनियों को सामने लाती है.
हिंडनबर्ग कंपनियों के वित्तीय मुद्दों, उत्पादों और छिपे हुए रेगुलेटरी फैक्टर्स को सामने लाती है. हिंडनबर्ग रिसर्च की वेबसाइट की मुताबिक कंपनी फोरेंसिक वित्तीय अनुसंधान में माहिर है. इसका इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट में दशकों का अनुभव है.
पढ़ें- Billionaires List : हिंडनबर्ग रिपोर्ट का असर, अमीरों की लिस्ट में सातवें नंबर पर लुढ़के अडाणी