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आश्रित परिवार की देखरेख न करने पर वापस ली जा सकती नौकरी, इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश

आश्रित परिवार की देखरेख न करने पर नौकरी वापस ली जा सकती है. यह बात गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले (allahabad high court order) में कही गयी.

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dependent family allahabad high court order
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Published : Nov 11, 2022, 10:32 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर मध्य रेलवे प्रयागराज को आश्रित कोटे में नियुक्त कर्मचारी द्वारा परिवार के अन्य सदस्यों की देखरेख की जिम्मेदारी पूरी न करने के मामले में तीन माह में उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि यदि सभी आश्रितों के हित पूरे नहीं करने की स्थिति हो तो वह आश्रित कर्मचारी की नियुक्ति वापस भी ले सकते हैं.

यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने प्रयागराज की सुधा शर्मा व अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है. याचियों का कहना था कि आश्रित कर्मचारी को इस आश्वासन पर नियुक्ति दी गई थी कि वह याचियों की भी देखभाल करेगी लेकिन वह अपने वादे का पालन नहीं कर रही है.

याचियों के पिता रेलवे कर्मचारी थे. सेवाकाल में मृत्यु के कारण परिवार की एक सदस्य को आश्रित कोटे में नियुक्ति दी गई. याची वृद्ध है और आश्रित कर्मचारी ने उनकी देखभाल करने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा आश्रित की नियुक्ति वारिसों के लाभ के लिए की जाती है. ताकि वे अचानक आई विपत्ति से उबर सकें. कोर्ट ने याचियों से रेल अधिकारी को अपनी शिकायत देने और रेल अफसर को उनकी परेशानियों पर विचार कर निर्णय लेने का आदेश (allahabad high court order ) दिया है.

ये भी पढ़ें- जेठानी डिंपल के खिलाफ देवरानी अपर्णा के उपचुनाव लड़ने की अटकलें, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से की मुलाकात

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर मध्य रेलवे प्रयागराज को आश्रित कोटे में नियुक्त कर्मचारी द्वारा परिवार के अन्य सदस्यों की देखरेख की जिम्मेदारी पूरी न करने के मामले में तीन माह में उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि यदि सभी आश्रितों के हित पूरे नहीं करने की स्थिति हो तो वह आश्रित कर्मचारी की नियुक्ति वापस भी ले सकते हैं.

यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने प्रयागराज की सुधा शर्मा व अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है. याचियों का कहना था कि आश्रित कर्मचारी को इस आश्वासन पर नियुक्ति दी गई थी कि वह याचियों की भी देखभाल करेगी लेकिन वह अपने वादे का पालन नहीं कर रही है.

याचियों के पिता रेलवे कर्मचारी थे. सेवाकाल में मृत्यु के कारण परिवार की एक सदस्य को आश्रित कोटे में नियुक्ति दी गई. याची वृद्ध है और आश्रित कर्मचारी ने उनकी देखभाल करने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा आश्रित की नियुक्ति वारिसों के लाभ के लिए की जाती है. ताकि वे अचानक आई विपत्ति से उबर सकें. कोर्ट ने याचियों से रेल अधिकारी को अपनी शिकायत देने और रेल अफसर को उनकी परेशानियों पर विचार कर निर्णय लेने का आदेश (allahabad high court order ) दिया है.

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