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इस्लामिक धर्मगुरु मौलाना अरशद मदनी ने ओम की उत्पत्ति को लेकर दिया बड़ा बयान, जानें क्या कहा

इस्लामिक धर्मगुरु एवं जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने ओम और मनु को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अल्लाह और ओम एक हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि जब शिव और राम नहीं थे, तब मनु किसकी पूजा करते थे.

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इस्लामिक धर्मगुरु मौलाना अरशद मदनी
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Published : Feb 12, 2023, 8:54 PM IST

इस्लामिक धर्मगुरु मौलाना अरशद मदनी

सहारनपुर: रामचरितमानस को लेकर चल रहा विवाद अभी रुका भी नहीं है कि अब इस्लामिक धर्मगुरु एवं जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने ओम और मनु को लेकर बड़ा बयान दिया है. जमीयत उलेमा ए हिन्द के अधिवेशन में मौलाना अरशद मदनी ने ओम की उत्पत्ति को लेकर बयान दिया है. वहीं, भारत में मुसलामानों का इतिहास भी बताया है.

इस्लामिक धर्मगुरु एवं जमीयत अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मुसलमान भारत में 14 सौ साल से रह रहा है. पहले न शिव थे और न ही श्रीराम थे, उस वक्त मनु किसकी पूजा करते थे. जिसको हिन्दू ओम कहते हैं, उसको मुसलमान अल्लाह कहते हैं और ईसाई धर्म के लोग गॉड कहते हैं. जिसका कोई रूप रंग नहीं, फिर वह पूरी दुनिया में है. जिसने आसमान बनाया है उसी ने जमीन भी बनाई है.

जमीयत उलेमा ए हिन्द के अधिवेशन में धर्मगुरु मौलाना अरशद मदनी ने भारत में इस्लाम धर्म की उत्पत्ति को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है. उन्होंने कहा‌ कि 'मुसलमान भारत में 14 सौ वर्ष से रह रहा है. जब बड़े-बड़े धर्मगुरुओं से पूछा जब संसार में कोई नहीं था न शिव थे, न श्री राम थे, न ब्रह्मा थे कोई नहीं था, तो सवाल पैदा होता है कि मनु पूजते किसको थे? कोई कहता है शिव को पूजते थे, लेकिन उनके पास इस बात का इल्म नहीं है. बहुत कम लोग यह बताते हैं कि जब संसार में कुछ नहीं था मनु ओम को पूजते थे. बहुत से लोगों ने कहा एक हवा है जिसका कोई रूप नहीं है, न कोई रंग है. दुनिया में हर जगह है. उन्होंने ही आसमान बनाया, उन्होंने ही जमीन बनाई'.

इसके बाद मौलाना अरशद मदनी ने कहा 'जिसे तुम लोग ओम कहते हो, उसे हम अल्लाह कहते हैं, उसको फारसी में खुदा कहते हैं और अंग्रेजी में गॉड कहते हैं. इसका मतलब मनु यानी एक अल्लाह, मनु यानी एक आदम, मनु यानी एक ओम इसलिए हिंदुस्तान जितना तुम्हारा है, इतना हमारा भी है'. मौलाना अरसद मदनी यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि 'तुम्हारे परदादा हिंदू नहीं थे मनु थे, जिन्हें आदम कहा जाता है. मुसलमान 14 सौ साल से भारत में रह रहा है, जो देश को तोड़ने की बात करते हैं जनता उन्हें सिरे से नकार देगी'.

पढ़ेंः मदनी के बयान पर भड़के स्वामी जितेंद्रानन्द सरस्वती, बोले-इन्हें इतिहास पढ़ने की जरूरत है

इस्लामिक धर्मगुरु मौलाना अरशद मदनी

सहारनपुर: रामचरितमानस को लेकर चल रहा विवाद अभी रुका भी नहीं है कि अब इस्लामिक धर्मगुरु एवं जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने ओम और मनु को लेकर बड़ा बयान दिया है. जमीयत उलेमा ए हिन्द के अधिवेशन में मौलाना अरशद मदनी ने ओम की उत्पत्ति को लेकर बयान दिया है. वहीं, भारत में मुसलामानों का इतिहास भी बताया है.

इस्लामिक धर्मगुरु एवं जमीयत अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मुसलमान भारत में 14 सौ साल से रह रहा है. पहले न शिव थे और न ही श्रीराम थे, उस वक्त मनु किसकी पूजा करते थे. जिसको हिन्दू ओम कहते हैं, उसको मुसलमान अल्लाह कहते हैं और ईसाई धर्म के लोग गॉड कहते हैं. जिसका कोई रूप रंग नहीं, फिर वह पूरी दुनिया में है. जिसने आसमान बनाया है उसी ने जमीन भी बनाई है.

जमीयत उलेमा ए हिन्द के अधिवेशन में धर्मगुरु मौलाना अरशद मदनी ने भारत में इस्लाम धर्म की उत्पत्ति को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है. उन्होंने कहा‌ कि 'मुसलमान भारत में 14 सौ वर्ष से रह रहा है. जब बड़े-बड़े धर्मगुरुओं से पूछा जब संसार में कोई नहीं था न शिव थे, न श्री राम थे, न ब्रह्मा थे कोई नहीं था, तो सवाल पैदा होता है कि मनु पूजते किसको थे? कोई कहता है शिव को पूजते थे, लेकिन उनके पास इस बात का इल्म नहीं है. बहुत कम लोग यह बताते हैं कि जब संसार में कुछ नहीं था मनु ओम को पूजते थे. बहुत से लोगों ने कहा एक हवा है जिसका कोई रूप नहीं है, न कोई रंग है. दुनिया में हर जगह है. उन्होंने ही आसमान बनाया, उन्होंने ही जमीन बनाई'.

इसके बाद मौलाना अरशद मदनी ने कहा 'जिसे तुम लोग ओम कहते हो, उसे हम अल्लाह कहते हैं, उसको फारसी में खुदा कहते हैं और अंग्रेजी में गॉड कहते हैं. इसका मतलब मनु यानी एक अल्लाह, मनु यानी एक आदम, मनु यानी एक ओम इसलिए हिंदुस्तान जितना तुम्हारा है, इतना हमारा भी है'. मौलाना अरसद मदनी यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि 'तुम्हारे परदादा हिंदू नहीं थे मनु थे, जिन्हें आदम कहा जाता है. मुसलमान 14 सौ साल से भारत में रह रहा है, जो देश को तोड़ने की बात करते हैं जनता उन्हें सिरे से नकार देगी'.

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