मिर्जापुर: अमेरिका में मिर्जापुर के डॉ. मयंक (scientist Dr Mayank Singh) को बड़ी कामयाबी मिली है. वह विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक संगठन सिग्मा-सी (Sigma XI) में शामिल हुए हैं. इस संगठन में 200 से अधिक नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक शामिल रहे हैं.

मिर्जापुर चुनार क्षेत्र के बगहीं गांव के रहने वाले डॉ. मयंक सिंह ने तीन सहयोगी वैज्ञानिकों के साथ मिलकर न्यूनतम मूल्य के डेनड्रिटिक (डेंड्रिमर) नैनोटेक्नोलॉजी को विकसित करने की उपलब्धि हासिल की है. इसी के मद्देनजर सिग्मा-सी ने उन्हें बीती 20 दिसंबर को संगठन में शामिल करने का ऐलान किया. उन्हें दो वैज्ञानिकों द्वारा नामित किया गया था.
बता दें कि सिग्मा-सी संगठन लगभग 137 वर्ष पुराना प्रतिष्ठित वैज्ञानिक संगठन हैं. इसके 200 से अधिक नोबेल विजेता वैज्ञानिक सदस्य रह चुके हैं. इनमें अल्बर्ट आइंस्टीन, एनरिको फर्मी, लिनस पॉलिंग, फ्रांसिस क्रिक, जेम्स वाटसन, बारबरा मैक्लिंटॉक, जॉन गुडइनफ, जेनिफर डौडना जैसे कई नोबेल विजेता शामिल हैं.

यह संगठन अपने सदस्यों से नामांकन एकत्र कराता है और रसायन विज्ञान, भौतिकी, फिजियोलॉजी या चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार पर अग्रिम शोध के लिए मतदान कराता है. सभी नामांकन प्राप्त करने के बाद नोबेल समिति नोबेल पुरस्कार के लिए उम्मीदवार के अंतिम चयन के लिए आगे बढ़ती है.
डेंड्रिमर प्रौद्योगिकी के जनक कहे जाने वाले 84 वर्षीय वैज्ञानिक डॉ. डोनाल्ड ने बताया कि डॉ. मयंक की वैज्ञानिक क्षमता, निष्ठा, और समर्पण के आधार पर उन्हें डेंड्रिमर उद्योग में 5 प्रतिशत की हिस्सेदारी दी गई है. डॉ. मयंक को कंपनी के लिए स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने और सुझाव देने का समान अधिकार होगा.
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