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टोक्यो ओलंपिक में जीत का हिस्सा बने वाराणसी के ललित, घर पर जश्न का माहौल

ओलंपिक में आज 41 साल बाद भारत ने हॉकी में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया. इस ऐतिहासिक जीत में टीम की कड़ी मेहनत सफलता का राज बनी. जिसमें वाराणसी के लाल (खिलाड़ी) ललित उपाध्याय ने महत्वपूर्ण योगदान दिया.

टोक्यो ओलंपिक में जीत का हिस्सा बने वाराणसी के ललित
टोक्यो ओलंपिक में जीत का हिस्सा बने वाराणसी के ललित
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Published : Aug 5, 2021, 12:31 PM IST

वाराणसी: ओलंपिक में आज 41 साल बाद भारत ने हॉकी में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया है. एग्रेसिव और कड़ी मेहनत करने वाले ललित ने अपनी टीम का महत्वपूर्ण साथ दिया. जिसकी वजह से आज भारत को यह सुखद दिन देखने को मिल रहा है.

भारतीय हॉकी टीम में वाराणसी के ललित उपाध्याय भी उन भाग्यशाली 16 खिलाड़ियों में से एक हैं, जो इस जीत का हिस्सा रहे. बता दें, ललित की टीम में पोजीशन मुख्य रूप से फॉरवर्ड और फिर मिडफील्ड की है. भारतीय हॉकी टीम की जीत में ललित ने अहम भूमिका निभाई. इस ऐतिहासिक जीत में टीम की कड़ी मेहनत सफलता का राज बनी.

वाराणसी के ललित के घर पर जश्न का माहौल

41 साल बाद भारत ने ओलंपिक में जर्मनी को हराकर हॉकी में नया इतिहास रच दिया. जिसके बाद पूरे देश को जश्न का मौका मिल गया है. सबसे ज्यादा खुशी धर्म नगरी वाराणसी में देखने को मिल रही है, क्योंकि यहां पर शिवपुर के भगतपुर गांव के रहने वाले हॉकी खिलाड़ी ललित भी टीम इंडिया में शामिल है. ललित ने पूरी टीम के साथ मिलकर जिस तरह से आज प्रदर्शन किया है वह पूरे परिवार को गौरवान्वित कर रहा है. ललित के माता-पिता समेत पूरा परिवार जश्न मनाने में डूबा है.

खुशी से झूमा परिवार

इस जीत से पूरा परिवार खुशी से झूम उठा. मिठाइयां खिलाई जाने लगीं और परिवार हर-हर महादेव और भारत माता की जय के नारों के साथ अपनी खुशी को जाहिर कर रहे हैं. ललित के पिताजी का कहना है कि खुशी इतनी है कि उसे शब्दों में नहीं बताया जा सकता. ललित ने जिस तरह से मेहनत की वह आज देखने को मिल रहा है. पूरा परिवार गौरवान्वित है कि आज बेटे के नाम से हम सभी को जाना जा रहा है.

खिलाएंगी आलू के पराठे

वहीं, माता ललिता उपाध्याय भी बेहद खुश हैं. उनका कहना है कि ललित के स्वागत की तैयारियां हम लोग जोर-शोर से करेंगे. परिवार के लोग उनके आने पर उनका भव्य स्वागत करेंगे और ललित की फेवरेट डिश बनाकर उनकी मां उन्हें खिलाएंगी. ललित को पराठा बहुत पसंद है. इसलिए मां के हाथ के बने आलू प्याज के पराठे ललित को परोसे जाएंगे. वहीं परिवार में ललित की बहने भी बेहद खुश हैं. बहनों का कहना है कि रक्षाबंधन से पहले ही भाई ने उन्हें रक्षाबंधन का गिफ्ट दे दिया. जो जिंदगी का सबसे बड़ा गिफ्ट है.

वाराणसी के ललित के घर पर जश्न का माहौल

ललित के हॉकी गुरु परमानंद ललित को काफी आगे ले जाने का काम किया है. यही वजह है कि इस बार ललित का चयन ओलंपिक में जाने वाली हॉकी टीम में भी हो सका ललित फिलहाल 120 से ज्यादा मैच खेल चुके हैं और दो बार हॉकी वर्ल्ड कप एशिया कप' कॉमन वेल्थ गेम सहित कई बड़े टूर्नामेंट में भी हिस्सा ले चुके हैं. 2018 में ललित को लक्ष्मण पुरस्कार से भी नवाजा गया है. पूरा घर ललित का मेडल और अवार्ड से भरा हुआ है. फिलहाल बनारस के लिए यह खुशी का मौका है क्योंकि 1996 में ओलंपिक विवेक सिंह के भाई राहुल सिंह और उसके पहले मोहम्मद शाहिद और विवेक सिंह बनारस का प्रतिनिधित्व इंडियन हॉकी टीम में ओलंपिक के दौरान कर चुके हैं और अब ललित ने हॉकी टीम में बनारस का नाम रोशन कर परिवार को गौरवान्वित किया है.

वाराणसी (Varanasi) की धरती का नाम एक बार फिर ओलंपिक (Olympics) के इतिहास में दर्ज हो गया. शिवपुर क्षेत्र के भगतपुर गांव निवासी ललित उपाध्याय (Lalit Upadhyay Olympic) का जन्म अतिमध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था, लेकिन उनके हौसले कहीं से मध्यम नहीं रहे. भारतीय हॉकी टीम की इस यादगार जीत के लिए देशभर से बधाइयां मिल रही हैं.

इसे भी पढे़ं- एथलीट नीरज चोपड़ा का फाइनल का टिकट पक्का

वाराणसी: ओलंपिक में आज 41 साल बाद भारत ने हॉकी में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया है. एग्रेसिव और कड़ी मेहनत करने वाले ललित ने अपनी टीम का महत्वपूर्ण साथ दिया. जिसकी वजह से आज भारत को यह सुखद दिन देखने को मिल रहा है.

भारतीय हॉकी टीम में वाराणसी के ललित उपाध्याय भी उन भाग्यशाली 16 खिलाड़ियों में से एक हैं, जो इस जीत का हिस्सा रहे. बता दें, ललित की टीम में पोजीशन मुख्य रूप से फॉरवर्ड और फिर मिडफील्ड की है. भारतीय हॉकी टीम की जीत में ललित ने अहम भूमिका निभाई. इस ऐतिहासिक जीत में टीम की कड़ी मेहनत सफलता का राज बनी.

वाराणसी के ललित के घर पर जश्न का माहौल

41 साल बाद भारत ने ओलंपिक में जर्मनी को हराकर हॉकी में नया इतिहास रच दिया. जिसके बाद पूरे देश को जश्न का मौका मिल गया है. सबसे ज्यादा खुशी धर्म नगरी वाराणसी में देखने को मिल रही है, क्योंकि यहां पर शिवपुर के भगतपुर गांव के रहने वाले हॉकी खिलाड़ी ललित भी टीम इंडिया में शामिल है. ललित ने पूरी टीम के साथ मिलकर जिस तरह से आज प्रदर्शन किया है वह पूरे परिवार को गौरवान्वित कर रहा है. ललित के माता-पिता समेत पूरा परिवार जश्न मनाने में डूबा है.

खुशी से झूमा परिवार

इस जीत से पूरा परिवार खुशी से झूम उठा. मिठाइयां खिलाई जाने लगीं और परिवार हर-हर महादेव और भारत माता की जय के नारों के साथ अपनी खुशी को जाहिर कर रहे हैं. ललित के पिताजी का कहना है कि खुशी इतनी है कि उसे शब्दों में नहीं बताया जा सकता. ललित ने जिस तरह से मेहनत की वह आज देखने को मिल रहा है. पूरा परिवार गौरवान्वित है कि आज बेटे के नाम से हम सभी को जाना जा रहा है.

खिलाएंगी आलू के पराठे

वहीं, माता ललिता उपाध्याय भी बेहद खुश हैं. उनका कहना है कि ललित के स्वागत की तैयारियां हम लोग जोर-शोर से करेंगे. परिवार के लोग उनके आने पर उनका भव्य स्वागत करेंगे और ललित की फेवरेट डिश बनाकर उनकी मां उन्हें खिलाएंगी. ललित को पराठा बहुत पसंद है. इसलिए मां के हाथ के बने आलू प्याज के पराठे ललित को परोसे जाएंगे. वहीं परिवार में ललित की बहने भी बेहद खुश हैं. बहनों का कहना है कि रक्षाबंधन से पहले ही भाई ने उन्हें रक्षाबंधन का गिफ्ट दे दिया. जो जिंदगी का सबसे बड़ा गिफ्ट है.

वाराणसी के ललित के घर पर जश्न का माहौल

ललित के हॉकी गुरु परमानंद ललित को काफी आगे ले जाने का काम किया है. यही वजह है कि इस बार ललित का चयन ओलंपिक में जाने वाली हॉकी टीम में भी हो सका ललित फिलहाल 120 से ज्यादा मैच खेल चुके हैं और दो बार हॉकी वर्ल्ड कप एशिया कप' कॉमन वेल्थ गेम सहित कई बड़े टूर्नामेंट में भी हिस्सा ले चुके हैं. 2018 में ललित को लक्ष्मण पुरस्कार से भी नवाजा गया है. पूरा घर ललित का मेडल और अवार्ड से भरा हुआ है. फिलहाल बनारस के लिए यह खुशी का मौका है क्योंकि 1996 में ओलंपिक विवेक सिंह के भाई राहुल सिंह और उसके पहले मोहम्मद शाहिद और विवेक सिंह बनारस का प्रतिनिधित्व इंडियन हॉकी टीम में ओलंपिक के दौरान कर चुके हैं और अब ललित ने हॉकी टीम में बनारस का नाम रोशन कर परिवार को गौरवान्वित किया है.

वाराणसी (Varanasi) की धरती का नाम एक बार फिर ओलंपिक (Olympics) के इतिहास में दर्ज हो गया. शिवपुर क्षेत्र के भगतपुर गांव निवासी ललित उपाध्याय (Lalit Upadhyay Olympic) का जन्म अतिमध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था, लेकिन उनके हौसले कहीं से मध्यम नहीं रहे. भारतीय हॉकी टीम की इस यादगार जीत के लिए देशभर से बधाइयां मिल रही हैं.

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