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लोकतंत्र की जननी, आचार्य चाणक्य, गुरूदेव टैगोर, जानें पीएम मोदी ने UNGA संबोधन में कैसे किया गौरवान्वित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि वह एक ऐसे देश का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसे लोकतंत्र की जननी के रूप में जाना जाता है. पीएम ने UNGA के 76वें सत्र को संबोधित करते हुए गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर को और आचार्य चाणक्य को भी याद किया और उनकी बातों के माध्यम से संबोधन समाप्त किया. पढ़ें यह रिपोर्ट.

PM Modi
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Published : Sep 25, 2021, 8:57 PM IST

संयुक्त राष्ट्र : पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के संबोधन में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की खूबसूरती को बखूबी बयां किया. उन्होंने भारत के लोकतंत्र की ताकत को रेखांकित करने के लिए एक रेलवे स्टेशन पर चाय विक्रेता से प्रधानमंत्री बनने तक के अपने सफर का हवाला दिया. इस दौरान उन्होंने नोबल पुरस्कार विजेता गुरूदेव रविंद्र नाथ टैगोर और महान कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य की उक्तियां भी सुनाईं, जो आज भी प्रासंगिक हैं.

संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च स्तरीय सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने यहां कहा कि हमारे यहां लोकतंत्र की एक महान परंपरा रही है, जो हजारों साल पुरानी है. उन्होंने कहा कि मैं एक ऐसे देश का प्रतिनिधित्व करता हूं, जिसे लोकतंत्र की जननी के तौर पर जाना जाता है. इस साल 15 अगस्त को भारत अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. उन्होंने कहा कि हमारी विविधता हमारे मजबूत लोकतंत्र की पहचान है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह एक ऐसा देश है जहां दर्जनों भाषाएं, सैकड़ों बोलियां, विभिन्न जीवन शैलियां और व्यंजन हैं. यह एक जीवंत लोकतंत्र का सबसे अच्छा उदाहरण है. उन्होंने कहा कि हमारे लोकतंत्र की ताकत इस तथ्य से प्रदर्शित होती है कि एक छोटा लड़का जो कभी रेलवे स्टेशन पर चाय की दुकान पर अपने पिता की मदद करता था, आज भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर चौथी बार संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित कर रहा है.

मोदी ने कहा कि मैं जल्द ही सरकार के मुखिया के रूप में अपने देशवासियों की सेवा करने के 20 साल पूरा करूंगा. पहले गुजरात के सबसे लंबे समय तक रहने वाले मुख्यमंत्री के रूप में और फिर पिछले सात वर्षों से प्रधानमंत्री के रूप में. उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र की देन है.

आचार्य चाणक्त से लेनी होगी सीख

संयुक्त राष्ट्र महासभा की कार्यशैली पर पीएम ने कहा कि भारत के महान कूटनीतिज्ञ, आचार्य चाणक्य ने सदियों पहले कहा था. कालाति क्रमात काल एव फलम् पिबति अर्थात जब सही समय पर सही कार्य नहीं किया जाता, तो समय ही उस कार्य की सफलता को समाप्त कर देता है. संयुक्त राष्ट्र को खुद को प्रासंगिक बनाए रखना है तो उसे अपनी प्रभावकारिता को सुधारना होगा और विश्वसनीयता को बढ़ाना होगा.

गुरूदेव रविंद्र नाथ टैगोर की पंक्तियां सुनाई

पीएम मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा संबोधित करते हुए गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की पंक्तियां सुनाकर संयुक्त राष्ट्र महासभा को नसीहत भी दे डाली. उन्होंने बताया कि गुरूदेव ने कहा था अपने शुभ कर्म-पथ पर निर्भीक होकर आगे बढ़ो. अपने संबोधन के अंत में कहा पीएम ने कहा कि मैं नोबल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी के शब्दों के साथ अपनी बात समाप्त कर रहा हूं.

शुभो कोर्मो-पोथे, धोरो निर्भोयो गान

शोब दुर्बोल सोन्शोय, होक ओबोसान.

यानि अपने शुभ कर्म-पथ पर निर्भीक होकर आगे बढ़ो. सभी दुर्बलताएं और शंकाएं समाप्त हों. ये संदेश आज के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र के लिए जितना प्रासंगिक है उतना ही हर जिम्मेदार देश के लिए. मुझे विश्वास है, हम सबका प्रयास, विश्व में शांति और सौहार्द बढ़ाएगा, विश्व को स्वस्थ, सुरक्षित और समृद्ध बनाएगा.

संयुक्त राष्ट्र : पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के संबोधन में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की खूबसूरती को बखूबी बयां किया. उन्होंने भारत के लोकतंत्र की ताकत को रेखांकित करने के लिए एक रेलवे स्टेशन पर चाय विक्रेता से प्रधानमंत्री बनने तक के अपने सफर का हवाला दिया. इस दौरान उन्होंने नोबल पुरस्कार विजेता गुरूदेव रविंद्र नाथ टैगोर और महान कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य की उक्तियां भी सुनाईं, जो आज भी प्रासंगिक हैं.

संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च स्तरीय सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने यहां कहा कि हमारे यहां लोकतंत्र की एक महान परंपरा रही है, जो हजारों साल पुरानी है. उन्होंने कहा कि मैं एक ऐसे देश का प्रतिनिधित्व करता हूं, जिसे लोकतंत्र की जननी के तौर पर जाना जाता है. इस साल 15 अगस्त को भारत अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है. उन्होंने कहा कि हमारी विविधता हमारे मजबूत लोकतंत्र की पहचान है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह एक ऐसा देश है जहां दर्जनों भाषाएं, सैकड़ों बोलियां, विभिन्न जीवन शैलियां और व्यंजन हैं. यह एक जीवंत लोकतंत्र का सबसे अच्छा उदाहरण है. उन्होंने कहा कि हमारे लोकतंत्र की ताकत इस तथ्य से प्रदर्शित होती है कि एक छोटा लड़का जो कभी रेलवे स्टेशन पर चाय की दुकान पर अपने पिता की मदद करता था, आज भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर चौथी बार संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित कर रहा है.

मोदी ने कहा कि मैं जल्द ही सरकार के मुखिया के रूप में अपने देशवासियों की सेवा करने के 20 साल पूरा करूंगा. पहले गुजरात के सबसे लंबे समय तक रहने वाले मुख्यमंत्री के रूप में और फिर पिछले सात वर्षों से प्रधानमंत्री के रूप में. उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र की देन है.

आचार्य चाणक्त से लेनी होगी सीख

संयुक्त राष्ट्र महासभा की कार्यशैली पर पीएम ने कहा कि भारत के महान कूटनीतिज्ञ, आचार्य चाणक्य ने सदियों पहले कहा था. कालाति क्रमात काल एव फलम् पिबति अर्थात जब सही समय पर सही कार्य नहीं किया जाता, तो समय ही उस कार्य की सफलता को समाप्त कर देता है. संयुक्त राष्ट्र को खुद को प्रासंगिक बनाए रखना है तो उसे अपनी प्रभावकारिता को सुधारना होगा और विश्वसनीयता को बढ़ाना होगा.

गुरूदेव रविंद्र नाथ टैगोर की पंक्तियां सुनाई

पीएम मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा संबोधित करते हुए गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की पंक्तियां सुनाकर संयुक्त राष्ट्र महासभा को नसीहत भी दे डाली. उन्होंने बताया कि गुरूदेव ने कहा था अपने शुभ कर्म-पथ पर निर्भीक होकर आगे बढ़ो. अपने संबोधन के अंत में कहा पीएम ने कहा कि मैं नोबल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी के शब्दों के साथ अपनी बात समाप्त कर रहा हूं.

शुभो कोर्मो-पोथे, धोरो निर्भोयो गान

शोब दुर्बोल सोन्शोय, होक ओबोसान.

यानि अपने शुभ कर्म-पथ पर निर्भीक होकर आगे बढ़ो. सभी दुर्बलताएं और शंकाएं समाप्त हों. ये संदेश आज के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र के लिए जितना प्रासंगिक है उतना ही हर जिम्मेदार देश के लिए. मुझे विश्वास है, हम सबका प्रयास, विश्व में शांति और सौहार्द बढ़ाएगा, विश्व को स्वस्थ, सुरक्षित और समृद्ध बनाएगा.

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