नयी दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) को सौंपी गई इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्वोत्तर के विभिन्न उग्रवादी संगठन म्यांमार में नए शिविर स्थापित कर रहे हैं, क्योंकि देश म्यांमार की सेना और समर्थक लोकतांत्रिक ताकतों के बीच एक बड़ी हिंसक झड़प देख रहा है. रिपोर्ट में किया गया खुलासा, इस तथ्य के बाद और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है कि नए शिविरों की स्थापना पूर्वोत्तर राज्यों के लिए एक नई सुरक्षा चुनौती ला सकती है.
अरूणाचल प्रदेश और नगालैंड की सीमा से सटे इलाकों में उग्रवादी संगठनों के कैंप लगा दिए गए हैं. रिपोर्ट के बाद गृह मंत्रालय ने असम राइफल्स से सीमावर्ती इलाकों में अपनी गश्त तेज करने को कहा है. गौरतलब है कि कुल छह अंतरराष्ट्रीय सीमा में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) चीन सीमा की देखभाल करती है, BSF पाकिस्तान और बांग्लादेश सीमा की देखभाल करती है, असम राइफल्स म्यांमार सीमा की देखभाल करती है जबकि सशस्त्र सीमा बल (SSB) नेपाल और भूटान सीमा की देखभाल करती है.
भारत के सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को ईटीवी भारत को बताया कि म्यांमार सेना और लोकतंत्र समर्थक ताकतों के बीच जारी हिंसक संघर्ष ने पूर्वोत्तर के विद्रोही संगठनों को पड़ोसी देश में नए शिविर स्थापित करने की गुंजाइश दी है. जैसा कि पिछले कुछ दिनों में म्यांमार की सेना तेज हो गई है, बड़ी संख्या में लोग पहले ही भारत में घुसपैठ कर चुके हैं और मिजोरम और मणिपुर में शरण ले चुके हैं.
म्यांमार में रखाइन, अराकान और काचिन के नागरिकों ने पहले ही सेना से लड़ने के लिए लोकतंत्र समर्थक समर्थन करने वाले जन रक्षा बलों का गठन कर लिया है. अधिकारी ने बताया कि जातीय विद्रोही समूहों की मौजूदगी के कारण म्यांमार की सेना का इन क्षेत्रों में अधिक नियंत्रण नहीं है. अधिकारी ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार, पूर्वोत्तर विद्रोहियों ने अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगे म्यांमार में एक शिविर स्थापित किया है, जबकि नागालैंड के मोन जिले में दो शिविर स्थापित किए गए हैं.
यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असोम (उल्फा), नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन) के (वाईए) ने म्यांमार में अपने शिविर स्थापित किए हैं. 2019 से पहले, म्यांमार पूर्वोत्तर विद्रोही समूहों के लिए एक सुरक्षित स्वर्ग था. हालांकि, सभी विद्रोही समूहों के खिलाफ भारतीय और म्यांमार सेना द्वारा संयुक्त रूप से शुरू की गई एक बड़ी कार्रवाई के बाद, म्यांमार में पूर्वोत्तर विद्रोहियों की उपस्थिति कम हो गई है.
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अधिकारी ने कहा कि पूर्वोत्तर उग्रवादियों ने हमेशा अराकान सेना जैसे जातीय विद्रोही समूहों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखे. ऐसे में म्यांमार में नए कैंप लगाने की खबरें भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को कड़ी चुनौती दे सकती हैं. अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मिजोरम और मणिपुर सहित चार पूर्वोत्तर राज्य म्यांमार के साथ कुल 1,643 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं.