वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर में मां शृंगार गौरी की रोज पूजा करने की अनुमति देने और अन्य देवी-देवताओं को संरक्षित करने को लेकर दायर मामले की सुनवाई आज पूरी कर ली गई है. जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेस की अदालत में सुनवाई हुई. कोर्ट ने कल तक के लिए फैसला सुरक्षित ऱखा है. कल दोपहर 2:00 बजे के बाद यह निर्धारित होगा कि पूरा मामला किस रूप में आगे बढ़ेगा. जिला जज की अदालत में नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के आदेश 7 नियम 11 के तहत वाद की पोषणीयता पर पहले सुनवाई हुई.
कोर्ट में कल सात याचिकाओं पर सुनवाई होनी है. जिसमें आज श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉ. कुलपति तिवारी की तरफ से मस्जिद में भगवान विशेश्वर के होने और उनके पूजा के अधिकार मांगे जाने की याचिका भी शामिल है. आज जिला जज ने पूरे प्रकरण में सुनवाई शुरू करते हुए सबसे पहले मामले को समझने की कोशिश की. इसके बाद दोनों पक्षों को बारी-बारी से सुना गया और पूर्व में दाखिल किए गए प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने हिंदू पक्ष की तरफ से दी गई दलीलों पर गौर किया. हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने बताया कि उन लोगों की तरफ से कोर्ट में पूरे प्रकरण की समग्र सुनवाई करने की अपील की गई है. इसके अलावा वकील कमिश्नर की तरफ से दायर की गई कमीशन की रिपोर्ट और फोटोग्राफ और वीडियो को सीडी में उपलब्ध करवाने की अपील भी की गई है.
न्यायालय ने वादी-प्रतिवादी दोनों पक्ष को सुना.वादी पक्ष ने वकील कमिश्नर विशाल सिंह की तरफ से दाखिल की गई रिपोर्ट में तस्वीरों और वीडियो की सीडी कोर्ट से मांगी है, जबकि प्रतिवादी पक्ष ने 711 के तहत कार्यवाही को आगे बढ़ाते हुए इस पर निर्णय लेने की अपील की. फिलहाल कोर्ट में दोनों पक्षों को सुनने के बाद कल की तिथि मुकर्रर की है. कल कोर्ट यह डिसाइड करेगा कि इस पूरे मामले को किस रूप में आगे बढ़ाना है और सुनवाई कैसे जारी रहेगी.
आज बीजेपी नेता की तरफ से भी एक याचिका दायर की गई है, जिसमें 1947 के वरशिप एक्ट मैं ज्ञानवापी मस्जिद को ना लिए जाने की बात कही गई है. उनका कहना है कि यह बात तो पहले से ही न्यायालय में है. यह डिसाइड ही नहीं है कि 1947 के पहले मामला क्या था और यहां पर मस्जिद थी या मंदिर. इसलिए यह एक्ट तो यहां लागू ही नहीं होना चाहिए. इसके अलावा मंदिर के महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने भी भगवान विश्वेश्वर के शिवलिंग के ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे हिस्से में होने का दावा करते हुए उसके पूजा के अधिकार और देख-रेख की अनुमति मांगी है, जिस पर भी कल सुनवाई होगी.
वहीं आज शासकीय अधिवक्ता महेंद्र प्रसाद पांडे की तरफ से भी पूर्व में दायर की गई अपनी याचिका (जिसमें वजूखाने को शिफ्ट करने, शौचालय को दूसरे स्थान पर बनाने और जलीय जीवों की सुरक्षा के लिए वजूखाने के तालाब में मौजूद मछलियों को दूसरे स्थान पर शिफ्ट करने की बात कही गई थी) जिस पर मुस्लिम पक्ष की तरफ से दायर की गई लिखित आपत्ति के बाद आज प्रति आपत्ति भी दाखिल की गई है. जिसमें कहा गया है कि यह आवश्यक है कि इन सारी बातों पर गौर किया जाए.
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉ. कुलपति तिवारी जिला जज न्यायालय में पहुंचे. वो ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर वजू खाने में मिले शिवलिंग समय तहखाने के अंदर मुख्य गुंबद के नीचे शिवलिंग के रूप में विराजमान मुख्य विश्वेश्वर ज्ञानी भगवान विश्वनाथ के पूजा का अधिकार मांगने के लिए याचिका दायर करने के लिए पहुंचे. उनका कहना है कि हम न्यायिक तरीके से अपने भगवान की पूजा का अधिकार लेने आए हैं. मेरी तरफ से स्वयं न्यायालय में याचिका दायर की जा रही है कि हमें वहां मौजूद शिवलिंग के पूजा का अधिकार दिया जाए.
ज्ञानवापी मामले में सोमवार को जिला जज की अदालत में सुनवाई होगी. जिला जज की अदालत में सुनवाई का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है . इस मामले में अदालत को आठ सप्ताह में सुनवाई करने का निर्देश दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब सबकी नज़र जिला जज की अदालत में होने वाली सुनवाई पर है.
आज होगी तीन मामलों की सुनवाई
आज कोर्ट में तीन मामले में कुल सुनवाई होगी पहला वकील कमिश्नर विशाल सिंह अजय प्रताप सिंह समेत अजय मिश्रा की रिपोर्ट दाखिल होने के बाद कोर्ट पहली बार इस प्रकरण पर सुनवाई शुरू करेगा. इसके अतिरिक्त शासकीय अधिवक्ता महेंद्र प्रसाद पांडेय की तरफ से तीन बिंदुओं पर पहले ही दाखिल की गई याचिका पर भी सुनवाई होगी. इसमें वजू खाने को हटाने शौचालय बंद कर के नए जगह पर शौचालय बनाने ताकि नमाजियों को दिक्कत न हो.
सील किए गए वजू खाने में मौजूद जलीय जीवों के जीवन को सुरक्षित रखने के लिए उनके इंतजाम पर भी सुनवाई होगी. इसके अलावा वादी पक्ष की तरफ से दाखिल की गई याचिका जिसमें मस्जिद के नीचे तहखाने में मौजूद दीवार हटाकर और मलबा हटाकर जांच करने की मांग को भी कोर्ट आज संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू करेगा. इसके अलावा मुस्लिम पक्ष की तरफ से भी इस पर आपत्ति दर्ज की गई है. जिसके बाद कोर्ट इसे लेकर भी आगे बढ़ेगा.
कब मामले ने पकड़ा तूल
अगस्त 2021 में राखी सिंह समेत चार अन्य महिलाओं ने वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर में मौजूद श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन की मांग करते हुए याचिका डाली थी. जिस पर कोर्ट ने अप्रैल 2022 में कमीशन की कार्रवाई का आदेश देते हुए अजय मिश्रा को वकील कमिश्नर के तौर पर नियुक्त कर पूरे परिसर की वीडियोग्राफी का आदेश दिया था.
हालांकि बाद में विशाल सिंह और अजय प्रताप सिंह दो अन्य वकील कमिश्नर विशेष तौर पर नियुक्त किए गए थे और 14 से 16 मई तक कमीशन की कार्यवाही करने के बाद इसकी रिपोर्ट भी कोर्ट में सबमिट की जा चुकी है. दोनों रिपोर्ट सबमिट होने के बाद मामले की सुनवाई शुरू होती है उसके पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने पूरा प्रकरण जिला जज न्यायालय में ट्रांसफर करने का आदेश देते हुए 8 सप्ताह में इस सुनवाई को पूरा करने का आदेश दिया है.
जिला जज न्यायालय में सुनवाई
आज पहला दिन है जब जिला जज न्यायालय में इस मामले की सुनवाई हुई. इस बारे में हिंदू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी का कहना है कि हमारा वाद बेहद मजबूत है और हमने तहखाने के अंदर मिली दीवार को हटाकर उस स्थान पर पुनः कमीशन की कार्यवाही की मांग की है. इसके अलावा आज वजू खाने में मिले शिवलिंग की पूजा पाठ के लिए भी वादी पक्ष के द्वारा एक वाद दाखिल किया जा सकता है.
वहीं मुस्लिम पक्ष के वकील अभय नाथ यादव का कहना है कि यह मुकदमा खारिज होने योग्य है, क्योंकि सीधे-सीधे वरशिप एक्ट के उल्लंघन के तहत कोर्ट 7 नियम 11 के तहत पोषणीयता के प्रश्न पर पहले सुनवाई शुरू करेगा, क्योंकि वरशिप एक्ट हमारे लिए एक ढाल की तरह काम कर रहा है और कोई भी कानून किसी मामले में महत्वपूर्ण होता है पुराने कानून के आधार पर ही यह मुकदमा खारिज होने योग्य ही माना जाएगा.
ज्ञानवापी परिसर में मां शृंगार गौरी के दैनिक पूजा-अर्चना की इजाजत देने और अन्य देवी-देवताओं को संरक्षित करने को लेकर दायर वाद की सोमवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेस की अदालत में सुनवाई होगी. जिला जज की अदालत में नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के आदेश 7 नियम 11 के तहत वाद की पोषणीयता पर पहले सुनवाई होगी.
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