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ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ी मुस्लिम पक्ष की सभी याचिकाएं इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कीं, छह महीने में सुनवाई पूरी करने का आदेश

ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque Case) से जुड़ी पांच याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट फैसला (Allahabad High Court Verdict) आ गया है. अदालत ने मुस्लिम पक्ष की सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है. पिछली सुनवाई में अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 6 महीने में सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया है.

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Etv Bharat ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ी पांच याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला आज
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 19, 2023, 6:35 AM IST

Updated : Dec 19, 2023, 8:13 PM IST

प्रयागराज: वाराणसी की ज्ञानवापी केस में अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी और प्रकरण से जुड़ी अन्य सभी पांचों याचिकाओं पर इलाहाबाद हाइकोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया. इलाहाबाद हाइकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की सभी याचिकाएं खारिज कर दीं. कोर्ट ने कहा कि यह मामला राष्ट्रीय महत्व का है. इस केस में इलाहाबाद हाइकोर्ट ने 1991 के मुकदमे के ट्रायल को मंजूरी दी. होईकोर्ट ने वाराणसी कोर्ट को 6 महीने में इस केस की सुनवाई पूरा करने का आदेश दिया.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के ज्ञानवापी स्वयंभू विश्वेश्वर नाथ मंदिर के स्वामित्व को लेकर दाखिल सभी याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दीं. कोर्ट ने वाराणसी की ज़िला अदालत में इस मामले में चल रहे सिविल सूट को 6 माह में निस्तारित करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने एएसआई सर्वे को चुनौती देने वाली याचिका भी खारिज करते हुए कहा कि एएसआई सर्वे कर चुकी है, इसलिए इसको चुनौती नहीं दी जा सकती. कोर्ट ने एएसआई को अपनी रिपोर्ट ज़िला अदालत में पेश करने और जरूरत होने पर आगे भी सर्वे करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि मामला प्लेसेस ऑफ़ वरशिप एक्ट से बाधित नहीं है. कोर्ट ने कहा कि इस एक्ट में धार्मिक चरित्र को परिभाषित नहीं किया गया है, सिर्फ पूजा स्थल को ही परिभाषित किया गया है. किसी स्थान का धार्मिक चरित्र साक्ष्यों के आधार पर अदालत ही तय कर सकती है.

यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद दिया. कोर्ट ने कहा कि यह मामला पिछले 32 वर्षों से लंबित है. अंतरिम आदेश के कारण 25 साल से सुनवाई नहीं हुई है. इसलिए दोनों पक्षों को अनावश्यक मुकदमा टालने की अनुमति दिए बिना सिविल वाद को तय किया जाए. कोर्ट में यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और हिंदू पक्ष की ओर से दलीलें पेश की गईं. हाईकोर्ट में ज्ञानवापी विवाद से जुड़ी पांच याचिकाए दाख़िल की गई थीं. इनमें से तीन याचिकाएं 1991 में वाराणसी की अदालत में दाखिल मुकदमे की पोषणीयता से जुड़ी हैं. यह मुकदमा 1991 में वाराणसी की अदालत में दाखिल किया गया था.

1991 के इस मुकदमे में विवादित परिसर हिंदुओं को सौंपे जाने और वहां पूजा अर्चना की इजाजत दिए जाने की मांग की गई थी. जबकि दो याचिकाएं एएसआई के सर्वेक्षण आदेश के खिलाफ दाखिल की गई हैं. गौरतलब है कि इन याचिकाओं पर एक पीठ ने पहले भी निर्णय सुरक्षित किया था. उसके बाद चीफ़ जस्टिस की कोर्ट में सुनवाई हुई. इस पीठ के समक्ष फिर से याचिकाओं पर सुनवाई हुई.

ये भी पढ़ें- टायर चोर पुलिस: थाने के बाहर खड़ी सीज कार का पहिया खोल ले गया सिपाही, देखें वीडियो

प्रयागराज: वाराणसी की ज्ञानवापी केस में अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी और प्रकरण से जुड़ी अन्य सभी पांचों याचिकाओं पर इलाहाबाद हाइकोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया. इलाहाबाद हाइकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की सभी याचिकाएं खारिज कर दीं. कोर्ट ने कहा कि यह मामला राष्ट्रीय महत्व का है. इस केस में इलाहाबाद हाइकोर्ट ने 1991 के मुकदमे के ट्रायल को मंजूरी दी. होईकोर्ट ने वाराणसी कोर्ट को 6 महीने में इस केस की सुनवाई पूरा करने का आदेश दिया.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के ज्ञानवापी स्वयंभू विश्वेश्वर नाथ मंदिर के स्वामित्व को लेकर दाखिल सभी याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दीं. कोर्ट ने वाराणसी की ज़िला अदालत में इस मामले में चल रहे सिविल सूट को 6 माह में निस्तारित करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने एएसआई सर्वे को चुनौती देने वाली याचिका भी खारिज करते हुए कहा कि एएसआई सर्वे कर चुकी है, इसलिए इसको चुनौती नहीं दी जा सकती. कोर्ट ने एएसआई को अपनी रिपोर्ट ज़िला अदालत में पेश करने और जरूरत होने पर आगे भी सर्वे करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि मामला प्लेसेस ऑफ़ वरशिप एक्ट से बाधित नहीं है. कोर्ट ने कहा कि इस एक्ट में धार्मिक चरित्र को परिभाषित नहीं किया गया है, सिर्फ पूजा स्थल को ही परिभाषित किया गया है. किसी स्थान का धार्मिक चरित्र साक्ष्यों के आधार पर अदालत ही तय कर सकती है.

यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद दिया. कोर्ट ने कहा कि यह मामला पिछले 32 वर्षों से लंबित है. अंतरिम आदेश के कारण 25 साल से सुनवाई नहीं हुई है. इसलिए दोनों पक्षों को अनावश्यक मुकदमा टालने की अनुमति दिए बिना सिविल वाद को तय किया जाए. कोर्ट में यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और हिंदू पक्ष की ओर से दलीलें पेश की गईं. हाईकोर्ट में ज्ञानवापी विवाद से जुड़ी पांच याचिकाए दाख़िल की गई थीं. इनमें से तीन याचिकाएं 1991 में वाराणसी की अदालत में दाखिल मुकदमे की पोषणीयता से जुड़ी हैं. यह मुकदमा 1991 में वाराणसी की अदालत में दाखिल किया गया था.

1991 के इस मुकदमे में विवादित परिसर हिंदुओं को सौंपे जाने और वहां पूजा अर्चना की इजाजत दिए जाने की मांग की गई थी. जबकि दो याचिकाएं एएसआई के सर्वेक्षण आदेश के खिलाफ दाखिल की गई हैं. गौरतलब है कि इन याचिकाओं पर एक पीठ ने पहले भी निर्णय सुरक्षित किया था. उसके बाद चीफ़ जस्टिस की कोर्ट में सुनवाई हुई. इस पीठ के समक्ष फिर से याचिकाओं पर सुनवाई हुई.

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Last Updated : Dec 19, 2023, 8:13 PM IST
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