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'अंतःकरण से आई आवाज मुझे भारत रत्न चाहिए', कथा वाचक के ड्राइवर की अजीब फरमाइश, कमिश्नर को लिखा पत्र

गोरखपुर के कथा वाचक के चालक (Gorakhpur Driver Bharat Ratna Demand) ने अफसरों को पत्र लिखकर भारत रत्न की मांग की है. पूरे शहर में इसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. चालक का यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल भी हो रहा है.

गोरखपुर
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 20, 2023, 6:27 PM IST

गोरखपुर : जिले के कथावाचक के चालक की अजीब फरमाइश ने अफसरों की भी नींद उड़ा दी है. चालक ने कमिश्नर को पत्र लिखकर खुद को भारत रत्न से नवाजे जाने की मांग की है. उसके पत्र पर आला अफसरों ने दस्तखत और मुहर लगाकर आगे बढ़ा दिया. यह लेटर सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है. लेखपाल ने चालक से देश का सर्वोच्च सम्मान मांगे जाने का कारण पूछा है. चालक ने इसकी पीछे की हैरान करने वाली वजह भी बताई है.

पहले ई-रिक्शा चलाता था विनोद : पिपराइच इलाके के गांव महराजी का रहने वाला विनोद कुमार गौड़ कुछ महीने पहले ई-रिक्शा चलाकर परिवार का भरण पोषण करता था. उसके दो बेटे हैं. दोनों पढ़ाई कर रहे हैं. जुलाई महीने में उसका ई-रिक्शा चोरी हो गया. इसके बाद वह शहर के तारामंडल रोड स्थित दिव्य सेवा संस्थान के एक कथा वाचक की गाड़ी चलाने लगा. 30 सितंबर को विनोद ने खुद को भारत रत्न देने के लिए कमिश्नर को पत्र लिखा. पत्र को यहां से अपर आयुक्त न्यायिक को भेजा गया. इसके बाद लेटर डीएम तक पहुंचा. यहां से पत्र सीडीओ कार्यालय होते हुए एसडीएम सदर के पास पहुंचा. लेखपाल को मामले में रिपोर्ट लगाने के लिए बोला गया. लेखपाल ने विनोद से भारत रत्न मांगे जाने का कारण पूछा है. यह भी पूछा कि किस उपलब्धि के लिए यह सम्मान मांगा जा रहा है.

अब पढ़िए विनोद के लिखे पत्र का मजमून : विनोद ने पत्र में खुद के गांव, शहर और किराए के मकान का पता मोबाइल नंबरों के साथ लिखा है. कार्यालय आयुक्त गोरखपुर को संबोधित पत्र में लिखा है कि 'मैं कुसुम्ही बाजार के महराजी गांव के उत्तर टोला का निवासी हूं. संध्या वंदन में मैं बैठकर तपस्या कर रहा था. अचानक मेरे अंतःकरण से बहुत तेजी से आवाज आने लगी कि मुझे भारत रत्न चाहिए. अतः आप श्रीमान जी से निवेदन है कि प्रार्थी की समस्त मनोकामना पूर्ण करें व भारत रत्न से सम्मानित कराने की कृपा करें'.

क्या अफसरों ने बिना पढ़े ही पत्र को आगे बढ़ा दिया : विनोद हाईस्कूल फेल है. कथा वाचक के संपर्क में आने के बाद वह पूजा-पाठ भी करने लगा. ईटीवी भारत से बातचीत में उसने बताया कि मन की आवाज के बाद उसने भारत रत्न सम्मान के लिए प्रयास शुरू कर दिया. वहीं हैरान करने वाली बात यह है कि बड़े अफसरों के कार्यालयों से उसकी अजीब फरमाइश वाला पत्र लगातार आगे बढ़ाया जाता रहा. ऐसे में सवाल यह भी उठने लगा है कि क्या अफसर कार्यालयों में आए प्रार्थना पत्रों को बिना पढ़े ही आगे बढ़ा देते हैं. विनोद के अनुसार जब अफसरों के कार्यालयों से उसका पत्र आगे बढ़ता रहा तो उसे भी यकीन होने लगा कि उसकी मांग जायज है. इस पर उसने सांसद से भी मांग करनी शुरू कर दी. अब सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद यह लेटर अफसरशाही की फजीहत करा रहा है. अब अफसर इस मामले में बोलने ले बच रहे हैं, उन्होंने फोन रिसीव करना भी बंद कर दिया है.

मैंने अंतरमन की आवाज पर की मांग : विनोद ने अनुसार लेखपाल ने उससे कह दिया है कि उसकी मांग पत्र पर विचार नहीं होगा. बता दें कि विनोद फोन चलाता है, बातचीत करता है, लेकिन सोशल मीडिया पर उसका कोई अकाउंट नहीं है. वह इसके बारे में जानता भी नहीं है. विनोद कहता है कि उसे भारत रत्न पाने की प्रक्रिया से क्या लेना-देना, उसके अंतरमन से जो आवाज आई उसकी बात मानकर उसने इसके लिए प्रयास शुरू कर दिया. अब चाहे उस पर कोई बवाल मचा हो, उससे इसका कुछ लेना देना नहीं है.

इंद्रदेव के खिलाफ शिकायत ने भी कराई थी फजीहत : इसी तरह का एक मामला पिछले साल गोंडा में भी सामने आया था. जिले के झाला गांव के रहने वाले सुमित ने बारिश न होने पर इंद्र देवता के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए संपूर्ण समाधान दिवस में प्रार्थना पत्र दिया था. तहसीलदार तक यह पत्र पहुंचा था. हैरत की बात यह थी इस पत्र को भी बिना पढ़े उचित कार्रवाई का निर्देश लगाकर अफसरों को भेज दिया गया था. इस मामले में भी अफसरों की फजीहत हुई थी.

यह भी पढ़ें : गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे दिसंबर 2023 में हो जाएगा तैयार, लखनऊ जाने का मिलेगा तेज और वैकल्पिक मार्ग

गोरखपुर : जिले के कथावाचक के चालक की अजीब फरमाइश ने अफसरों की भी नींद उड़ा दी है. चालक ने कमिश्नर को पत्र लिखकर खुद को भारत रत्न से नवाजे जाने की मांग की है. उसके पत्र पर आला अफसरों ने दस्तखत और मुहर लगाकर आगे बढ़ा दिया. यह लेटर सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है. लेखपाल ने चालक से देश का सर्वोच्च सम्मान मांगे जाने का कारण पूछा है. चालक ने इसकी पीछे की हैरान करने वाली वजह भी बताई है.

पहले ई-रिक्शा चलाता था विनोद : पिपराइच इलाके के गांव महराजी का रहने वाला विनोद कुमार गौड़ कुछ महीने पहले ई-रिक्शा चलाकर परिवार का भरण पोषण करता था. उसके दो बेटे हैं. दोनों पढ़ाई कर रहे हैं. जुलाई महीने में उसका ई-रिक्शा चोरी हो गया. इसके बाद वह शहर के तारामंडल रोड स्थित दिव्य सेवा संस्थान के एक कथा वाचक की गाड़ी चलाने लगा. 30 सितंबर को विनोद ने खुद को भारत रत्न देने के लिए कमिश्नर को पत्र लिखा. पत्र को यहां से अपर आयुक्त न्यायिक को भेजा गया. इसके बाद लेटर डीएम तक पहुंचा. यहां से पत्र सीडीओ कार्यालय होते हुए एसडीएम सदर के पास पहुंचा. लेखपाल को मामले में रिपोर्ट लगाने के लिए बोला गया. लेखपाल ने विनोद से भारत रत्न मांगे जाने का कारण पूछा है. यह भी पूछा कि किस उपलब्धि के लिए यह सम्मान मांगा जा रहा है.

अब पढ़िए विनोद के लिखे पत्र का मजमून : विनोद ने पत्र में खुद के गांव, शहर और किराए के मकान का पता मोबाइल नंबरों के साथ लिखा है. कार्यालय आयुक्त गोरखपुर को संबोधित पत्र में लिखा है कि 'मैं कुसुम्ही बाजार के महराजी गांव के उत्तर टोला का निवासी हूं. संध्या वंदन में मैं बैठकर तपस्या कर रहा था. अचानक मेरे अंतःकरण से बहुत तेजी से आवाज आने लगी कि मुझे भारत रत्न चाहिए. अतः आप श्रीमान जी से निवेदन है कि प्रार्थी की समस्त मनोकामना पूर्ण करें व भारत रत्न से सम्मानित कराने की कृपा करें'.

क्या अफसरों ने बिना पढ़े ही पत्र को आगे बढ़ा दिया : विनोद हाईस्कूल फेल है. कथा वाचक के संपर्क में आने के बाद वह पूजा-पाठ भी करने लगा. ईटीवी भारत से बातचीत में उसने बताया कि मन की आवाज के बाद उसने भारत रत्न सम्मान के लिए प्रयास शुरू कर दिया. वहीं हैरान करने वाली बात यह है कि बड़े अफसरों के कार्यालयों से उसकी अजीब फरमाइश वाला पत्र लगातार आगे बढ़ाया जाता रहा. ऐसे में सवाल यह भी उठने लगा है कि क्या अफसर कार्यालयों में आए प्रार्थना पत्रों को बिना पढ़े ही आगे बढ़ा देते हैं. विनोद के अनुसार जब अफसरों के कार्यालयों से उसका पत्र आगे बढ़ता रहा तो उसे भी यकीन होने लगा कि उसकी मांग जायज है. इस पर उसने सांसद से भी मांग करनी शुरू कर दी. अब सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद यह लेटर अफसरशाही की फजीहत करा रहा है. अब अफसर इस मामले में बोलने ले बच रहे हैं, उन्होंने फोन रिसीव करना भी बंद कर दिया है.

मैंने अंतरमन की आवाज पर की मांग : विनोद ने अनुसार लेखपाल ने उससे कह दिया है कि उसकी मांग पत्र पर विचार नहीं होगा. बता दें कि विनोद फोन चलाता है, बातचीत करता है, लेकिन सोशल मीडिया पर उसका कोई अकाउंट नहीं है. वह इसके बारे में जानता भी नहीं है. विनोद कहता है कि उसे भारत रत्न पाने की प्रक्रिया से क्या लेना-देना, उसके अंतरमन से जो आवाज आई उसकी बात मानकर उसने इसके लिए प्रयास शुरू कर दिया. अब चाहे उस पर कोई बवाल मचा हो, उससे इसका कुछ लेना देना नहीं है.

इंद्रदेव के खिलाफ शिकायत ने भी कराई थी फजीहत : इसी तरह का एक मामला पिछले साल गोंडा में भी सामने आया था. जिले के झाला गांव के रहने वाले सुमित ने बारिश न होने पर इंद्र देवता के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए संपूर्ण समाधान दिवस में प्रार्थना पत्र दिया था. तहसीलदार तक यह पत्र पहुंचा था. हैरत की बात यह थी इस पत्र को भी बिना पढ़े उचित कार्रवाई का निर्देश लगाकर अफसरों को भेज दिया गया था. इस मामले में भी अफसरों की फजीहत हुई थी.

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