नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि जो लड़की जुलाई में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से लापता हो गई थी, वह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार 'अभी नाबालिग' है. दिल्ली पुलिस ने इस लड़की को इसी महीने की शुरुआत में बरामद किया था.
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक लड़की गर्भवती नहीं है.
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता केवी विश्वनाथन की दलीलों पर गौर पर किया. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें लड़की की ओर से पेश होने के लिए नामित किया था, क्योंकि लापता बच्चों के मामलों से निपटने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी)और दिशानिर्देशों के अनुपालन के संबंध में किसी वकील द्वारा उसका प्रतिनिधित्व नहीं किया गया था. ये दिशानिर्देश 2016 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने जारी किए थे.
विश्वनाथन ने पीठ से कहा कि इस संबंध में कई दिशानिर्देश हैं और उत्तर प्रदेश सरकार तथा दिल्ली सरकार से इसके बारे में पूछा जाना चाहिए.
पीठ ने कहा कि विश्वनाथन ने अपने नोट में 'मूल्यवान सुझाव' दिए हैं और इन्हें संबंधित राज्यों के लिए भविष्य के दिशा-निर्देशों के रूप में विचार किया जा सकता है. इसका पालन अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा किया जा सकता है.
पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'हमने विभिन्न पक्षों के वकील को सुना है और आयु निर्धारण के संबंध में एम्स से मिली रिपोर्ट का अध्ययन किया है, जो बताती है कि लड़की अब भी नाबालिग है.'
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पीठ ने कहा कि मंत्रालय को मामले में एक पक्ष के रूप में शामिल किया जाए क्योंकि इसकी उपस्थिति आगे निर्देश जारी करने के लिए उपयुक्त हो सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 20 अक्टूबर की तारीख तय करते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस मामले में जांच जारी रखेगी और इसे तार्किक अंत तक पहुंचाएगी.
(पीटीआई-भाषा)