गोरखपुर: रामजन्मभूमि अयोध्या में बन रहे भगवान राम के मंदिर परिसर में रामायण से जुड़े प्रमुख पात्रों जिनमें महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, तुलसीदास, शबरी, जटायु, निषादराज की भी मूर्तियां बनाई जाएंगी. आपको जानकर हैरानी होगी कि इन मूर्तियों के निर्माण का आधार गोरखपुर की गीता प्रेस का 'लीला चित्र मंदिर' बनेगा. इस चित्र मंदिर में भगवान राम के जन्म से लेकर लंका कांड और वन गमन की विभिन्न स्थियों, भाव और रामचरितमानस के श्लोक के आधार पर चित्रण किया गया है.
रामायण के पात्रों की मूर्तियों को रूप देने के लिए मूर्तिकारों को प्रामाणिक चित्र की आवश्यकता है. इसके क्रम में अध्ययन के लिए ट्रस्ट की टीम के दो बड़े पदाधिकारी इसका अवलोकन करने के साथ चित्रों की सॉफ्ट कॉपी अपने साथ ले गए हैं. ट्रस्ट की टीम में शामिल अयोध्या राज परिवार के सदस्य यतींद्र मिश्र ने गीता प्रेस आकर रामायण के पात्रों के प्रामाणिक चित्रों का अध्ययन किया और कई चित्रों का चयन भी. रामायण के पात्रों की मूर्तियां गीता प्रेस के प्रामाणिक चित्रों के आधार पर बनेंगी.
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने भी गीता प्रेस आकर रामायण के पात्रों का चित्रण, ग्रंथों में किस प्रकार व किस रूप में किया गया है, इसकी जानकारी हासिल की थी. इसकी जानकारी गीता प्रेस ट्रस्ट के उत्पाद प्रबंधक लाल मणि तिवारी ने देते हुए कहा कि यह प्रभु श्रीराम की इच्छा से ही हो रहा है. जो कृतियां गीता प्रेस की स्थापना के साथ भाई हनुमान प्रसाद पोद्दार की प्रेरणा से चित्रकारों ने बनाई और जिस लीला चित्र मंदिर का 29 अप्रैल 1955 को देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने लोकार्पण किया, उसके चित्रों की छाया राम मंदिर परिसर में भी दिखेगी.
उन्होंने बताया कि रामजन्मभूमि परिसर में रामायण के पात्रों की मूर्तियों की स्थापना, गीता प्रेस के लीला चित्र मंदिर में जिस भाव में प्रदर्शित की गई हैं, वैसी ही बनाई जाएंगी. जो उसका पूरा भाव आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं पर प्रभाव डालेगा. उन्होंने इसका उदाहरण देते हुए कहा कि निषादराज गुह्य की प्रतिमा लगाए जाने की बात ट्रस्ट के सदस्यों ने उनसे की तो उन्होंने, इस दौरान नाव को चलाते हुए निषाद राज का चित्र दिखाया. इसमें भगवान राम, सीता सभी नाव पर सवार हैं. ऐसी प्रतिमा बनाए जाने की बात उन्होंने टीम के सामने रखी.
उन्होंने बताया कि एक संत गोविंदराव ने ट्रस्ट के सदस्यों को रामायण के पात्रों की मूर्तियां गीता प्रेस के प्रामाणिक चित्रों के आधार पर बनाए जाने की बात कही तो लोग यहां चले आए. मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय गीता प्रेस आकर रामायण के पात्रों का चित्रण ग्रंथों में किस प्रकार व किस रूप में किया गया है, इसकी जानकारी हासिल की थी. ट्रस्ट का कहना है कि जटायु, शबरी की मूर्तियों को देखकर भक्तों को रामायणकाल की अनुभूति हो जाए, इसलिए प्रामाणिक चित्रों का अध्ययन कर मूर्ति बनाने का काम किया जाएगा.
इस लीला चित्र मंदिर की महत्ता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि रामायण धारावाहिक में भी यहां के चित्रों का उपयोग हुआ था. निर्माता-निर्देशक रामानंद सागर ने धारावाहिक के पात्रों राम, लक्ष्मण, सीता, कौशल्या, हनुमान, सुग्रीव आदि के वस्त्र और उनके रंग, आभूषण आदि का चुनाव किया. धारावाहिक में सजाए गए दरबार का आधार भी यही चित्र थे. गीता प्रेस प्रबंधक लाल मणि तिवारी ने कहा कि अयोध्या राम मंदिर परिसर में ऐसा चित्र मंदिर बनेगा जो यह हम सभी के लिए बड़े ही सौभाग्य की बात होगी. उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार होगा, जब लीला चित्र मंदिर की सॉफ्ट कॉपी किसी को प्रबंधन खुद सौंपेगा. यह बड़े ही हर्ष की बात है कि गीता प्रेस राम मंदिर निर्माण में कुछ योगदान दे पा रहा है.
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