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Gandhi Jayanti: महात्मा गांधी को Kashi से था खास लगाव, मालवीय जी को दी थी BHU स्थापना की प्रेरणा - महात्मा गांधी का काशी से नाता

महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) को काशी (Kashi) से खास लगाव था. वह कई बार काशी आए. आज गांधी जयंती के मौके पर चलिए जानते हैं इस बारे में.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 2, 2023, 9:35 AM IST

Updated : Oct 2, 2023, 12:47 PM IST

काशी से बापू को था विशेष लगाव.

वाराणसीः आज पूरा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की 154 वी जयंती मना रहा है. बापू का बनारस से खास लगाव था. वह कई बार बनारस आए थे. वह काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्थापना समारोह में भी शामिल हुए थे. उन्होंने मदन मोहन मालवीय (Madan Mohan Malviya) को काशी हिंदू विश्वविद्यालय (Kashi Hindu University) की स्थापना के लिए प्रेरणा दी थी.

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बीएचयू की शोभा बढा रहीं बापू से जुड़ीं यादें.

बताते चलें कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय, भारत रत्नपंडित मदन मोहन मालवीय और महात्मा गांधी का विशेष नाता है. महामना मदन मोहन मालवीय ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ आजादी के आंदोलन में बढ़चढ़ कर भाग लिया था. महात्मा गांधा को महामना के साथ ही काशी से विशेष लगाव था.

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कई बार वाराणसी आए थे महात्मा गांधी.

महात्मा गांधी वर्ष 1903 में पहली बार बनारस आए थे. उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन किया और उसके बाद गांधी की दूसरी यात्रा 3 फरवरी 1916 को बसंत पंचमी को हुई. उसी दिन काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी जिसमें बापू ने शिरकत की थी.

तीसरी बार बापू 20 फरवरी 1920 को बनारस आए थे. यहां पर उन्होंने 21 फरवरी 1920 को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित किया था. तब तक वह भारतीय राजनीति और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के क्षितिज पर छा चुके थे. चौथी यात्रा में 30 मई 1920 को हिंदू स्कूल में कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में उन्होंने शिरकत की थी. इसके साथ ही अंतिम बार काशी हिंदू विश्वविद्यालय के रजत समारोह में बापू शामिल हुए. 21 जनवरी 1942 को बापू ने आखिरी बार बनारस की यात्रा की थी. काशी उन्हें बेहद पसंद था.

बीएचयू के प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्रा ने बताया कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना में भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय का मुख्य योगदान था. उसके साथ ही महात्मा गांधी की प्रेरणा भी थी. महात्मा गांधी चाहते थे कि नालंदा विश्वविद्यालय की तर्ज पर एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना हो जिसको महामना ने पूरा किया. महात्मा गांधी ने काशी में ही स्वच्छ भारत की नींव रखी थी.

ये भी पढ़ेंः BHU के रिसर्च में खुलासा: श्रीलंका के सिंहली और तमिल लोगों का DNA एक, 2100 साल पहले आई जाति

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बीएचयू की शोभा बढा रहीं बापू से जुड़ीं यादें.

बताते चलें कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय, भारत रत्नपंडित मदन मोहन मालवीय और महात्मा गांधी का विशेष नाता है. महामना मदन मोहन मालवीय ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ आजादी के आंदोलन में बढ़चढ़ कर भाग लिया था. महात्मा गांधा को महामना के साथ ही काशी से विशेष लगाव था.

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कई बार वाराणसी आए थे महात्मा गांधी.

महात्मा गांधी वर्ष 1903 में पहली बार बनारस आए थे. उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन किया और उसके बाद गांधी की दूसरी यात्रा 3 फरवरी 1916 को बसंत पंचमी को हुई. उसी दिन काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी जिसमें बापू ने शिरकत की थी.

तीसरी बार बापू 20 फरवरी 1920 को बनारस आए थे. यहां पर उन्होंने 21 फरवरी 1920 को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित किया था. तब तक वह भारतीय राजनीति और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के क्षितिज पर छा चुके थे. चौथी यात्रा में 30 मई 1920 को हिंदू स्कूल में कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में उन्होंने शिरकत की थी. इसके साथ ही अंतिम बार काशी हिंदू विश्वविद्यालय के रजत समारोह में बापू शामिल हुए. 21 जनवरी 1942 को बापू ने आखिरी बार बनारस की यात्रा की थी. काशी उन्हें बेहद पसंद था.

बीएचयू के प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्रा ने बताया कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना में भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय का मुख्य योगदान था. उसके साथ ही महात्मा गांधी की प्रेरणा भी थी. महात्मा गांधी चाहते थे कि नालंदा विश्वविद्यालय की तर्ज पर एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना हो जिसको महामना ने पूरा किया. महात्मा गांधी ने काशी में ही स्वच्छ भारत की नींव रखी थी.

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Last Updated : Oct 2, 2023, 12:47 PM IST
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