लखनऊ : देश के अजीम और मकबूल शायर मुनव्वर राना की आखिरी विदाई में हजारों की संख्या में लोग पहुंचे. सोमवार दोपहर जोहर की नमाज के बाद करीब 1.45 बजे नदवा कॉलेज परिसर में मुनव्वर राना की नमाजे जनाजा पढ़ाई गई. मौलाना जाफर हसनी ने जनाजे की नमाज अदा कराई. इसके बाद उन्हें ऐशबाग के कब्रिस्तान में दफन किया गया. उनके जाने से हर कोई दुखी था. नम आंखों सभी ने उन्हें अंतिम विदाई दी. सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा जनाजे में शामिल हुए.
नदवा कॉलेज के प्रवक्ता मौलाना आफताब ने बताया कि मुनव्वर राना ने उर्दू के लिए अपना पूरा जीवन बिता दिया. उनका जाना देश का नुकसान है. वे सभी के लिए एक समान बात करते थे. वहीं कांग्रेस नेता तारिक सिद्दीकी ने कहा कि मुनव्वर जैसे मिजाज के लोग बहुत कम होते हैं. वे बड़ी बेबाकी से अपनी बात रखते थे. उनके जैसा शायर और कौमपरस्त इंसान मुश्किल से होते हैं. उनका जाना हम सबके लिए बहुत गम देने वाला है.
एआईएमआईएम के प्रवक्ता आसिम वकार ने कहा कि मुनव्वर राना के जाने से सिर्फ मुसलमानों का नहीं, हिंदुओं का भी नुकसान हुआ है. वो सभी को एक साथ लेकर चलने की बात करते थे. उनके साथ अक्सर बातचीत और मिलना-जुलना होता था. उनका जाना हम सब के लिए बहुत दुखद है. शायर सैफ अब्बास ने कहा कि मुनव्वर जैसे शायर बहुत कम होते हैं. उनसे बहुत कुछ सीखा है. वे मुशायरे के बेमिसाल शायर थे. उनके जाने से उर्दू भाषा ही नही हिंदी भाषा का भी नुकसान हुआ है. बहुत से हिंदी शायर और कवि उनसे सीखते थे.
शायर तारिक कमर ने कहा कि बहुत अफसोस हो रहा है कि आज हमारे सबसे करीब शायर मुनव्वर राना नहीं रहे. इनके जाने से शायरी खासकर उर्दू शायरी का नुकसान हुआ है. वे हम लोगों के सरपरस्त थे. उनके लिए अल्फाज कम पड़ गए हैं. शायरा तरन्नुम नाज ने कहा कि करीब बीस सालों से उनके साथ मंच साझा कर रही हूं. उनकी शायरी से बहुत कुछ सीखा है. ऐसा लग रहा है कि मेरे सिर से एक साया उठ गया है.