नई दिल्ली : एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्ति और उनकी सेवा में एक साल के विस्तार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती है. याचिका में अस्थाना की नियुक्त को रद्द करने की मांग की गई है.
वर्ष 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी अस्थाना को 27 जुलाई को दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था. उनकी नियुक्ति 31 जुलाई को होने वाली उनकी सेवानिवृत्ति से चार दिन पहले हुई थी. राष्ट्रीय राजधानी के पुलिस प्रमुख के तौर पर उनका एक वर्ष का कार्यकाल होगा.
एनजीओ 'सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन' ने सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को 27 जुलाई के आदेश को पेश करने का निर्देश देने का आग्रह किया, जिसमें गुजरात कैडर से एजीएमयूटी कैडर में अस्थाना की अंतर-कैडर प्रतिनियुक्ति को मंजूरी दी गई थी.
याचिका में कहा गया है कि अस्थाना के सेवानिवृत्त होने से ठीक चार दिन पहले, 31 जुलाई, 2021 को, गृह मंत्रालय ने उन्हें गुजरात के अपने मूल कैडर से एजीएमयूटी (अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और दिल्ली समेत अन्य केन्द्र शासित प्रदेश) में अंतर-कैडर स्थानांतरण की अनुमति दी थी और उन्हें उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख से एक वर्ष के लिए सेवा का विस्तार प्रदान किया गया और दिल्ली के पुलिस आयुक्त के रूप में उनकी नियुक्ति की गई.
इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार और एसीसी द्वारा 27 जुलाई को पारित दोनों आदेश पूरी तरह से अवैध हैं क्योंकि ये 2006 के 'प्रकाश सिंह' मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों का उल्लंघन करते हैं.
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याचिका में कहा गया है, यह आदेश प्रकाश सिंह मामले में इस अदालत द्वारा पारित निर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन हैं क्योंकि अस्थाना का न्यूनतम छह महीने का कार्यकाल नहीं था, दिल्ली पुलिस आयुक्त की नियुक्ति के लिए किसी यूपीएससी समिति का गठन नहीं किया गया और दो साल के न्यूनतम कार्यकाल संबंधी मानदंड की अनदेखी की गई है.
इससे पहले वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अस्थाना की नियुक्ति के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया है.