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अरब के तेल कुओं का विकल्प बनेगा मिर्जापुर का ये प्लांट, तैयार करेगा भविष्य का ये ईंधन

देश में भविष्य के ईंधन को लेकर तैयारियां शुरू हो गईं हैं. यूपी के मिर्जापुर में इसके लिए एक खास प्लांट की स्थापना की जा रही है. वैज्ञानिकों का दावा है कि आने वाले वक्त में यहां से तैयार होने वाला ईंधन अरब के तेल कुओं का विकल्प बनेगा.

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Published : Mar 3, 2023, 7:09 PM IST

मिर्जापुर: देश में पेट्रोल की लगातार बढ़ती मांग के बीच भविष्य के ईंधन को लेकर भी सरकार ने तैयारियां तेज कर दी हैं. हाईड्रोजन को भविष्य के ईंधन के रूप में देखा जा रहा है. इसके लिए मिर्जापुर के रामपुर शक्तेशगढ़ चुनार में शुक्रवार को देश के पहले ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट की नींव रखी गई. वैज्ञानिकों का दावा है कि यहां से तैयार होने वाला ईंधन भविष्य में बहुत काम आएगा. दावा है कि ये ईंधन अरब के तेल के कुओं का विकल्प बनेगा. बताया जा रहा है कि इस प्लांट में 15 अगस्त से उत्पादन शुरू हो जाएगा. इस प्लांट के शुरू होने से जिले के युवाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार भी मिलेंगे.

मिर्जापुर में देश के पहले ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट की नींव रखी गई.

इस प्लांट का जिला अधिकारी दिव्या मित्तल व अरण्यक फ्यूल एंड पावर के मालिक ने भूमि पूजन किया. इस दौरान बीएचयू आईआईटी के हाइड्रोजन वैज्ञानिक डॉ. प्रीतम सिंह ने दावा किया कि भविष्य के ईंधन के रूप में हाईड्रोजन को देखा जा रहा है. ये हाईड्रोजन किसानों के खेतों के अपशिष्ट से तैयार होगी. आने वाले वक्त में अरब के तेल कुओं पर किसानों के खेत भारी पड़ेंगे.

वहीं, जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने कहा कि हाल ही में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में हुए एमओयू के तहत कंपनी ने इस प्लांट की नींव रखी है. यह देश का पहला बॉयोग्रीन हाइड्रोजन प्लांट है. बायो ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट शुरू होने से भारत सरकार की हाइड्रोजन मिशन में मील का पत्थर साबित होगा. ग्रीन बॉयोहाइड्रोजन प्लांट से हाइड्रोजन सीएनजी व स्मोकलेस बायोकोल का उत्पादन होगा. इसके साथ ही ग्रीन बायो हाइड्रोजन प्लांट लगने से किसानों को भी फायदा होगा. किसानों को पराली (कृषि अवशिष्ट) जलाने से छुटकारा मिलेगा. किसानों की कृषि अपशिष्ट खराब नहीं होंगे. उसे उचित मूल्य पर खरीद लिया जाएगा और किसान आत्मनिर्भर होंगे. इसके साथ ही प्लांट में रोजगार के अवसर होंगे. हजारों युवाओं को रोजगार मिलेगा.

बताया गया कि अरण्यक फ्यूल एंड पावर कंपनी की ओर से 50 करोड़ रुपये के निवेश से रोज एक टन हाइड्रोजन, 3.5 टन सीएनजी और 7.5 टन स्मोकलेस बायोकोल तैयार किया जाएगा. कंपनी ने हाल ही में उत्तर प्रदेश में आयोजित 'ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट' के दौरान राज्य सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. उसी के तहत इस प्लांट की स्थापना की गई है. आईआईटी के विज्ञानी प्रो. प्रीतम सिंह प्लांट को अंतिम रुप देने में जुटे हुए हैं. बताया गया कि 15 अगस्त तक इस प्लांट में उत्पादन शुरू हो जाएगा. दावा किया गया है कि यह प्लांट भारत सरकार के हाइड्रोजन मिशन के तहत 2030 तक 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के लक्ष्य की पूर्ति में एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगा.



ये भी पढ़ेंः यूपी विधानसभा में 58 साल बाद लगी अदालत, छह पुलिसकर्मियों को सुनाई गई ये सजा

मिर्जापुर: देश में पेट्रोल की लगातार बढ़ती मांग के बीच भविष्य के ईंधन को लेकर भी सरकार ने तैयारियां तेज कर दी हैं. हाईड्रोजन को भविष्य के ईंधन के रूप में देखा जा रहा है. इसके लिए मिर्जापुर के रामपुर शक्तेशगढ़ चुनार में शुक्रवार को देश के पहले ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट की नींव रखी गई. वैज्ञानिकों का दावा है कि यहां से तैयार होने वाला ईंधन भविष्य में बहुत काम आएगा. दावा है कि ये ईंधन अरब के तेल के कुओं का विकल्प बनेगा. बताया जा रहा है कि इस प्लांट में 15 अगस्त से उत्पादन शुरू हो जाएगा. इस प्लांट के शुरू होने से जिले के युवाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार भी मिलेंगे.

मिर्जापुर में देश के पहले ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट की नींव रखी गई.

इस प्लांट का जिला अधिकारी दिव्या मित्तल व अरण्यक फ्यूल एंड पावर के मालिक ने भूमि पूजन किया. इस दौरान बीएचयू आईआईटी के हाइड्रोजन वैज्ञानिक डॉ. प्रीतम सिंह ने दावा किया कि भविष्य के ईंधन के रूप में हाईड्रोजन को देखा जा रहा है. ये हाईड्रोजन किसानों के खेतों के अपशिष्ट से तैयार होगी. आने वाले वक्त में अरब के तेल कुओं पर किसानों के खेत भारी पड़ेंगे.

वहीं, जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने कहा कि हाल ही में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में हुए एमओयू के तहत कंपनी ने इस प्लांट की नींव रखी है. यह देश का पहला बॉयोग्रीन हाइड्रोजन प्लांट है. बायो ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट शुरू होने से भारत सरकार की हाइड्रोजन मिशन में मील का पत्थर साबित होगा. ग्रीन बॉयोहाइड्रोजन प्लांट से हाइड्रोजन सीएनजी व स्मोकलेस बायोकोल का उत्पादन होगा. इसके साथ ही ग्रीन बायो हाइड्रोजन प्लांट लगने से किसानों को भी फायदा होगा. किसानों को पराली (कृषि अवशिष्ट) जलाने से छुटकारा मिलेगा. किसानों की कृषि अपशिष्ट खराब नहीं होंगे. उसे उचित मूल्य पर खरीद लिया जाएगा और किसान आत्मनिर्भर होंगे. इसके साथ ही प्लांट में रोजगार के अवसर होंगे. हजारों युवाओं को रोजगार मिलेगा.

बताया गया कि अरण्यक फ्यूल एंड पावर कंपनी की ओर से 50 करोड़ रुपये के निवेश से रोज एक टन हाइड्रोजन, 3.5 टन सीएनजी और 7.5 टन स्मोकलेस बायोकोल तैयार किया जाएगा. कंपनी ने हाल ही में उत्तर प्रदेश में आयोजित 'ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट' के दौरान राज्य सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. उसी के तहत इस प्लांट की स्थापना की गई है. आईआईटी के विज्ञानी प्रो. प्रीतम सिंह प्लांट को अंतिम रुप देने में जुटे हुए हैं. बताया गया कि 15 अगस्त तक इस प्लांट में उत्पादन शुरू हो जाएगा. दावा किया गया है कि यह प्लांट भारत सरकार के हाइड्रोजन मिशन के तहत 2030 तक 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के लक्ष्य की पूर्ति में एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगा.



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